औरंगाबाद के कलाकार सिद्धार्थ सोनवणे अपनी कहानी बयां करते हुए बताते हैं, “कला ही मेरी ज़िंदगी है और कला ही मेरी कमाई का एक मात्र ज़रिया है लेकिन लॉकडाउन के कारण पिछले चार-पांच महीनों से काम बंद होने से अब दूसरों कि खेती में मज़दूरी करने के अलावा मेरे पास दूसरा विकल्प नहीं है।
उनका कहना है, “अभिनेता सलमान खान ने लुक लाइक असोसिएशन को अप्रैल महीने में मदद की थी। उसी से मुझे तीन हज़ार रुपये मिले थे, उसके बाद हम छोटे कलाकारों कि मदद के लिए ना कोई आगे आया और ना ही किसी ने हमारा हालचाल पूछा।”
लॉकडाउन की वजह से जिस तरह हर दिन कमाकर अपना घर चलाने वाले मज़दूर कई समस्याओं का सामना कर रहे हैं, उसी तरह अपनी कला पर आजीविका चलाने वाले छोटे कलाकार भी अपना गुज़र-बसर करने में कठिनाइयां झेल रहे हैं।
पिछले सात सालों से हास्यकला और कुछ मराठी सिनेमाओं में छोटे रोल करते हुए अपना घर चलाने वाले महाराष्ट्र के औरंगाबाद ज़िले के सिद्धार्थ सोनवणे अब काम बंद रहने की वजह से अपने गाँव में दूसरों कि खेती में मज़दूरी करने के लिए मजबूर हैं।
सिद्धार्थ सोनवणे महाराष्ट्र के औरंगाबाद ज़िले के बनोटी गाँव से हैं। पिछले सात सालों से वे मिमिक्री और अन्य शो करते रहे हैं। महाराष्ट्र के स्कूल-कॉलेजों में भी वे पूरे सालभर शो करते हैं। उनके अब तक सात हज़ार से ज़्यादा शो हुए हैं। उनके घर में खेती नहीं है, कला ही उनकी कमाई का एक मात्र ज़रिया है।
‘लढा मातीचा’, ‘मी तुमचीच’, ‘लढा शिक्षणाचा’ मराठी कि इन लो बजट वाली फिल्मों में सिद्धार्थ काम कर चुके हैं। इसके अलावा अहिरानी भाषा कि चार फिल्मों में भी उन्होंने किरदार निभाएं है। सिद्धार्थ एक मल्टी टैलेंटेड कलाकार हैं लेकिन कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए लॉकडाउन लगने से सार्वजनिक कार्यक्रमों पर पाबन्दी है इसलिए उनके शो बंद हैं।
बड़ें कलाकारों को नहीं पड़ता फर्क
सिद्धार्थ कहते हैं, “अगले एक-दो साल भी काम बंद रहा, तो बड़े कलाकारों को कुछ भी फर्क नहीं पड़ने वाला है लेकिन मुझ जैसे छोटे कलाकारों को अब घर का खर्च चलाना भी मुश्किल हो गया है, इसलिए मैं अब दूसरों कि खेती में मज़दूरी करने को मज़बूर हूं। मेरे पास इसके आलावा और कोई विकल्प ही नहीं है।”
दो मिनट में विभिन्न प्रकार की चालीस आवाजें निकालने के लिए गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के लिए सिद्धार्थ ने आवेदन भी किया है, उन्हें उम्मीद है कि इसमें वो सफल भी होंगे।
सिद्धार्थ कहते है, “हम जैसे छोटे कलाकारों के पास काम नहीं होने से अब घर चलाना मुश्किल हो गया है, कला के बगैर हम और कुछ कर नहीं सकते हैं। ऐसे में, राज्य सरकार से हम अनुरोध करते हैं कि हमारी मदद के लिए वे ज़रूरी कदम उठाएं।”