5 जून को पूरे भारत देश में पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। पर्यावरण विश्व दिवस इसलिए मनाया जाता है ताकि मनुष्य जाति को पर्यावरण के प्रति जागरूक कराया जा सके। लेकिन इस बार कोरोना वायरस संकट के कारण धूमधाम से छत्तीसगढ़ के हमारे गाँव में हम पर्यावरण दिवस को नहीं मना सके। इस बार गाँव के सभी लोगों ने अपने अपने घरों में घर के आस पास बाहर जाकर वृक्षारोपण किया।
पर्यावरण प्रदूषण के दुष्प्रभाव से होने वाली समस्या के बारे में लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए 1972 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने स्टाकहोम (स्वीडन) में विश्व भर के देशों का पहला विश्व पर्यावरण सम्मेलन का कार्यक्रम आयोजित किया गया। यहाँ पर्यावरण से संबंधित चर्चा की गई और उसी चर्चा के बाद इस पर्यावरण दिवस को मनाना शुरू किया था। हर साल इस दिवस के लिए एक विषय होता है। लोगों में पर्यावरण के बारे में जागरूकता जगाने के लिए विश्व पर्यावरण दिवस दुनिया का सबसे बड़ा वार्षिक आयोजन है ।
गाँव में मनाया गया पर्यावरण दिवस
यह दिन हमारे राज्य में और भारत भर में स्कूलों में और पूरे गाँव में मनाया जाता है। मेरे गाँव में इस दिन के लिए नर्सरी से बहुत सारे पौधे लाए गए और वृक्षारोपण किया गया। इसके साथ साथ लोगों ने प्रण भी लिया, कि हम हर साल ऐसे ही पर्यावरण दिवस में वृक्षारोपण करेंगे और पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं पहुँचाएँगे। ख़ास आज के भारत में यह प्रण ज़रूरी है, क्योंकि बड़ी बड़ी कम्पनियाँ और कई जगह सरकार भी प्रकृति का नाश कर रही है, वहाँ के आदिवासियों और जीव-जनतुओं को हानी पहुँचा रही है। अगर आदिवासियों को जंगल से हटाया जाए, तो जंगलों की रक्षा कौन करेगा? और अगर जंगल नष्ट हो गए, तो पूरे भारत के लोगों का नुक़सान होगा।
लॉक्डाउन की वजह से वृक्षारोपण में कमी
वृक्षारोपण में इस बार वृक्ष लगाने में कमी हुई, क्योंकि लॉकडाउन की वजह से लोग अधिकतर घरों से बाहर नहीं निकल पाए। इस महामारी की वजह से जो लोग बाहर से काम करके आए हैं, उन्हें गाँव से बाहर क्वॉरंटीन में रखा गया है। हर साल गाँव में 1000 से ऊपर वृक्ष लगाए जाते है, लेकिन इस बार यह सामूहिक वृक्षारोपण सम्भव ना हो सका, और लोग अपने घरों के आस पास 1-2 वृक्ष लगा पाए।
दूसरी तरफ़ लॉक्डाउन की वजह से ये भी देखने को मिला की प्रदूषण बहुत ही कम हो गया है। खबरों में ये भी बता रहे है की शहरों में हवा साफ़ हो गयी है और पशु-पक्षी बाहर घूमने आ रहे है।
वृक्षारोपण के लाभ
वृक्षारोपण करने से बहुत सारे लाभ है। अगर हम इस धरती पर जीवित हैं, तो सिर्फ पेड़-पौधों की वजह से, क्योंकि पौधों से हमें ऑक्सीजन प्राप्त होता है, जो हमारे जीवन के लिए अटल है। साफ़ हवा के और ऑक्सीजन के साथ साथ हमें पेड़ों से फल-फूल और छाया मिलती है, और कई पशु-पक्षियों के लिए पेड़ घर भी है। शहरों में बहुत ज़्यादा पेट कटाई होने के कारण प्रदूषण ज्यादा होता है और वातावरण का संतुलन भी बिगड़ता है। हम वातावरण को जितना नुक़सान पहुँचाएँगे, उतना ही हम खुद का भी नुक़सान करेंगे। वृक्षारोपण से हम प्रकृति और वातावरण को बचा सकते है।
हमें इस धरती को स्वास्थ्य रखने के लिए लगातार प्रयास करना चाहिए। जितना हो सके, हमें पेड़-पौधे लगाने चाहिए, और पेड़ों को काटना बंद कर देना चाहिए। अगर प्रकृति नष्ट हो गयी, तो सोचो हम भी नष्ट हो गए।
यह लेख Adivasi Awaaz प्रोजैक्ट के अंतर्गत लिखा गया है, और इसमें Prayog Samaj Sevi Sanstha और Misereor का सहयोग है।