शानदार अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की खुदकुशी की बात सुन, कुछ देर तक खुद को यह समझाता रहा कि यह खबर झूठी होगी। लेकिन यह इस क्रूर समय का एक क्रूर सच निकला। फिर कुछ देर तक निढाल पड़े रहने के बाद उठकर अपने बच्चों के चेहरे देखे। इस आस में कि उनमें सुशांत का कोई अक्स दिखे, ज़िंदगी में फिर से यकीन पैदा हो।
दरअसल मेरे बच्चों को सुशांत अभिनीत धोनी फिल्म (एम.एस.धोनी: द अनटोल्ड स्टोरी) बहुत पसंद थी। गाहे-बगाहे वे खुद से लैपटॉप पर यह फिल्म देखने बैठ जाते थे। इत्तफाकन मैं भी टुकड़े-टुकड़े में अक्सर यह फिल्म देखता रहता था।
सुशांत ने कई फिल्मों और सीरियल में अपने अभिनय का जलवा बिखेरा मगर मुझे उनकी धोनी फिल्म सबसे अच्छी लगी। खासकर इस फिल्म में उनकी संवाद अदायगी। रांची में पले-बढ़े एक शख्स के टोन को उन्होंने जिस तरह से अपनी आवाज़ और अंदाज़ में पर्दे पर उतारा वह बहुत सजीव और सहज-सरल लगता है।
धोनी फिल्म के बाद ही उनको लेकर स्पेस फिल्म ‘चंदा मामा दूर के’ का एलान किया गया था, खबरों के मुताबिक बजट के अभाव में फिल्म की शूटिंग रोक दी गई थी। फिल्म का नाम बच्चों की पसंदीदा चीज़ से जुड़ा था तो इस आने वाली फिल्म के बारे में भी उन्हें बताया था। फिल्म बनने की अपनी गति होती है और यह बच्चों की ख्वाहिशों से कहां कदमताल कर सकती है। फिल्म अभी तक रिलीज़ नहीं हुई मगर बच्चे जब भी धोनी फिल्म देखते तो अक्सर ‘चंदा मामा’ दिखाने को कहते। और मेरे द्वारा फिल्म रिलीज़ नहीं होने की बात कहने पर वह मुझे ही बहानेबाज़, झूठा ठहरा देते।
दरअसल बच्चे चंदा मामा बने सुशांत को देखना चाहते थे। बच्चों को किसी के गुज़र जाने की खबर बताना मुश्किल भरा होता है। फिलहाल मुझमें यह साहस और सलीका नहीं कि मैं उन्हें सुशांत की मौत की खबर बता सकूं। मगर अगली बार धोनी फिल्म देखते हुए चंदा मामा के बारे में पूछेंगे तो क्या कहूंगा!
शायद बस यही कह पाऊं कि ‘चंदा मामा’ अब बहुत दूर, बहुत-बहुत दूर चले गए।