“हमारी किस्मत एक तो पहले से ही खराब थी, जिस वजह से धंधा चुना लेकिन कोरोना ने जीवन को पटरी से उतार दिया। घर में राशन नहीं है, बच्चे को दूध नहीं मिल पा रहा। हम एक वक्त खाते हैं बाकी समय भूखे ही सोना पड़ता है। ना हमारी मदद को कोई आगे आता है और ना किसी को हमारी चिंता है।”
यह कहना था मुज़फ्फरपुर चतुर्भुज स्थान में काम करने वाली एक सेक्स वर्कर आरती (बदला हुआ नाम) का। घर वाले की मृत्यु के बाद आरती पेट की भूख मिटाने के लिए देह का सौदा करने को मजबूर हो गई थीं।
कोरोना के कारण अव्यवस्थित होती ज़िन्दगी
कोरोना ने दुनिया के सामने अनेक संकट पैदा कर दिए हैं। लोगों की रोज़ी-रोटी पर कोरोना ने लात मार दी। एक तबका जो हमेशा से हाशिये पर रहा है, उनके लिए कोरोना किसी बड़े तूफान से कम नहीं है।
कोरोना की वजह पूरे भारत में वेश्यावृत्ति बंद पड़ी है। कोरोना के डर से शायद ही कोई है, जो कोठे पर जाने की चाहत रखता है। हालात यह हैं कि सेक्स वर्कर्स आज दाने-दाने के लिए मोहताज हैं।
कोई सुध लेने वाला नहीं
जी हां, सुध लेने वाला कोई नहीं है। हालांकि सरकार ने 500 रुपए बैंक खाते में भेजे थे लेकिन जन धन खाता नहीं होने के कारण इसका लाभ सेक्स वर्कर्स को नहीं मिल सका। एशिया का सबसे बड़ा रेडलाइट एरिया सोनागाछी, जो कोलकाता में स्थित है, वहां लगभग तीन लाख महिलाएं देह व्यापार से जुड़ी हैं।
दूसरे नंबर पर मुंबई का कमाठीपुरा है, जहां दो लाख से अधिक सेक्स वर्कर हैं। दिल्ली का जीबी रोड, आगरा का कश्मीरी मार्केट, ग्वालियर का रेशमपुरा और पुणे का बुधवर पेठ भी काफी चर्चित है।
छोटे शहरों की बात की जाए तो वाराणसी का मडुआडिया, मुज़फ्फरपुर का चतुर्भुज स्थान, आंध्र प्रदेश के पेड्डापुरम व गुडिवडा, सहारनपुर का नक्काफसा बाज़ार, इलाहाबाद का मीरगंज, नागपुर का गंगा जुमना और मेरठ का कबाड़ी बाज़ार भी प्रसिद्ध है। लॉकडाउन लगते ही ये सभी इलाके बंद हो चुके हैं। बिना सेक्स वर्कर्स के कोठे सूने पड़े हैं।
सेक्स वर्कर्स पलायन करने पर मजबूर
खबर यह है कि कुछ सेक्स वर्कर्स अपने शहरों को पलायन करने पर मजबूर हैं। तो कुछ यहां की अंधेरी कोठरियों में कैद होकर रह गई हैं।
इन कोठरियों में इनके पास ना तो साफ-सफाई के पर्याप्त इंतज़ाम हैं और ना ही राशन की व्यवस्था। कुछ स्वयं सेवी संस्थाएं इनकी मदद के लिए आगे आई हैं मगर वे सभी के लिए पर्याप्त नहीं हैं।
समाज से मदद की कोई उम्मीद नहीं!
जिस समाजिक दूरी को पालन करने के लिए सरकार ज़ोर दे रही है, शायद सेक्स वर्कर्स से समाजिक दूरी की अपेक्षा करना नाइंसाफी है। 8×10 कमरे पांच-छह महिलाएं रहती हैं।
ठीक से हवा तक नहीं पहुंच पाती है। समाजिक दूरी तो आगे की बात है, सेक्स वर्कर्स का नाम सुनते ही समाज पहले ही उनसे दूरी बना लेता है। ऐसे में समाज से मदद की उम्मीद भी नहीं रखी जा सकती है।
मुज़फ्फरपुर चतुर्भुज स्थान में काम करने वाली एक अन्य सेक्स वर्कर रज़िया (बदला हुआ नाम) बताती हैं, “यहां पर काम करने वाली कई लड़कियां पहले से ही ब्लड प्रेशर, हेपेटाइटिस से पीड़ित हैं लेकिन धंधा ठप्प होने से दवा खरीद नहीं पा रही हैं। माहवारी के दौरान सैनिटरी नैपकिन का इस्तेमाल नहीं कर पा रही हैं, क्योंकि पैसे खत्म हो चुके हैं।”
भारत में वेश्यावृत्ति पहले से अवैध है
भारत जैसे देश में वेश्यावृत्ति पहले से अवैध है लेकिन अन्य देशों की बात की जाए तो नीदरलैंड, बांग्लादेश, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी और कनाडा आदि देशों में देह व्यापार को सरकार की तरफ से मान्यता प्राप्त है।
सरकार भी सेक्स वर्कर्स को मायूस नहीं करती है। समय-समय पर सरकार उनकी जांच करवाती है तथा इलाज के लिए सरकार की तरफ से इंतज़ाम किए जाते हैं। इसलिए अन्य देशों की सेक्स वर्कर्स के हालात भारत के मुकाबले बेहतर हैं।
कोरोना काल में फोन सेक्स बना धंधा का नया ज़रिया
बहुत सी ऐसी सेक्स वर्कर्स हैं, जिनके पास अच्छे मोबाइल के साथ इंटरनेट भी हैं। ऐसे में सेक्स वर्कर्स ने ऑनलाइन सेक्स को कमाई का ज़रिया बना लिया। कई सेक्स वर्कर्स फोन सेक्स कर रही हैं, तो कई वीडियो कॉल पर अपने ग्राहकों को संतुष्ट करने की कोशिश करती हैं।
हालांकि इससे उतने धन की प्राप्ति नहीं हो रही है लेकिन थोड़ा बहुत पैसा मिल जाता है ताकि राशन-पानी का कुछ इंतज़ाम हो सके।
मुज़फ्फरपुर चतुर्भुज स्थान में कई सेक्स वर्कर्स हैं, जो इसी तरह से अपने ग्राहकों के संपर्क रहकर पैसा कमा रही हैं।
पूजा (बदला हुआ नाम) बताती हैं, “वह तय समय पर तैयार होकर अपने ग्राहक को वीडियो कॉल करती हैं और आधा घंटा से लेकर एक या दो घंटे तक वीडियो कॉल कर ऑनलाइन सेक्स करती हैं और क्लाइंट को फोन सेक्स के ज़रिये खुश करने की कोशिश करती हैं।”
फोन सेक्स के लिए अलग-अलग समय पर अलग चार्ज
एक अन्य सेक्स वर्कर के अनुसार, फोन सेक्स के लिए अलग-अलग टाइम पर अलग-अलग चार्जेज़ हैं। अगर कोई एक घंटा वीडियो कॉल कर कर सेवाएं लेता है, तो उसके लिए अलग चार्ज है। अधिक टाइम के लिए ज़्यादा पैसा लगता है।
वो बताती हैं कि ग्राहक उन्हें ऑनलाइन पेमेंट के ज़रिये सीधे अकाउंट में पैसे भेजते हैं या गूगल पे, पेटीएम से भी रुपये भेज देते हैं।
कुल मिलाकर कोरोना ने हरेक वर्ग को तबाह कर दिया है। हालांकि कोरोना काल ने फोन सेक्स को बढ़ावा देने का अवसर प्रदान किया है। आज कोठों से इंसान दूरी बना चुका है। कुछ दिन और अगर कोरोना रहा तो सेक्स वर्कर्स भूखे मरने को मजबूर हो जाएंगे। अर्थात सरकार को भी इन पर ध्यान देना चाहिए, ये तो पहले से ही आत्मनिर्भर थे।