नोट: इस आर्टिकल में आत्महत्या का ज़िक्र है।
हम हार जीत सक्सेस फेलियर में इतने उलझ गए है की ज़िन्दगी जीना भूल गए है ज़िन्दगी में अगर कुछ सबसे ज्यादा इम्पोर्टेन्ट है तो वो है खुद ज़िन्दगी
अपने इस डायलॉग से लोगों में उम्मीद की किरण जगाने वाले वाले सुशांत सिंह राजपूत ने जब अपनी ज़िन्दगी से चल रहे युद्ध को इस तरह हारने का फैसला किया तो यकीं करना मुश्किल था लेकिन व्यक्ति किन परिस्थितियों से गुज़र रहा है और उसके मन में क्या चल रहा होता है वो तो केवल वह व्यक्ति ही जान सकता है।
सुशांत सिंह राजपूत ने रविवार को कर ली आत्महत्या
सुशांत सिंह राजपूत ने रविवार को मुंबई के बांद्रा स्थित अपने फ्लैट में सुसाइड कर लिया। खबरों के मुताबिक सुशांत बीते कुछ समय से डिप्रेशन में थे।
यह भी एक अजीब बात है कि अपनी आखिरी फिल्म छिछोरे में निभाए गए रोल से सुशांत ने दुनिया को समझाया कि सुसाइड नहीं करना चाहिए लेकिन शायद चमकती दुनिया में निभाए गए किरदार और व्यक्ति के निजी जीवन के बीच का फर्क बहुत बड़ा और गहरा होता है।किसी फिल्म के किरदार के डायलॉग को निजी जीवन में अपनाना भी शायद उतना ही मुश्किल होता है।
लाइट कैमरा एक्शन की चमकती रौशनी के बीच के अंधेरे की एक अलग कहानी है जहां इंसान सब कुछ पाकर भी खुद अकेला होता है और शायद फॉलोवर्स और फैंस की भीड़ में उस अकेलेपन को महसूस करने के लिए कोई नहीं होता।
ऐसी कई कहांनियां हैं जब कई फिल्मी और टीवी के सितारें ऐसे ही आचानक सब छोड़कर चले गए।
गुरुदत्त
प्यासा, कागज के फूल और साहिब बीबी और गुलाम जैसी बेहतरीन फिल्म करने वाले गुरुदत्त 1950 के दशक में लोकप्रिय हिंदी सिनेमा के संदर्भ में कलात्मक फिल्में बनाने के लिए सबसे प्रसिद्ध थे।
10 अक्टूबर 1964 को बॉम्बे के पेडर रोड में अपने किराए के अपार्टमेंट में 39 साल के दत्त को उनके बिस्तर में मृत पाया गया। उनके बारे में कहा जाता है कि वह शराब में नींद की गोलियां मिलाते थे। उन्होंने उससे पहले दो बार सुसाइड एटेम्पट भी किया था।
सिल्क स्मिता
17 साल के फिल्मी करियर में स्मिता ने लगभग 450 फिल्मों में काम किया था। मलयालम, तमिल, तेलुगु, कन्नड़ और हिंदी भाषा में अपने अभिनय से लोगों का दिल जीतने वाली स्मिता 23 सितंबर 1996 को चेन्नई में अपने अपार्टमेंट में मृत पाई गईं।
उन्होंने आत्महत्या कर ली थी। उनकी मौत के पीछे का कारण अब तक एक रहस्य बना हुआ है। उनकी मौत के कुछ महीने बाद पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में बताया गया कि स्मिता की आत्महत्या एक साड़ी से पंखे से लटक कर हुई थी और उसके शरीर में भारी मात्रा में शराब पाई गई थी।
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प्रत्युषा बनर्जी
भारतीय टेलीविजन अभिनेत्री प्रत्युषा कई टेलीविजन और रियलिटी शो में दिखाई दी थीं। बालिका बधु की आनंदी को 1 अप्रैल 2016 उनके मुंबई अपार्टमेंट में फांसी पर लटका हुआ पाया गया और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के अनुसार, उनकी मौत का कारण एसपेक्सिया था।
प्रेक्षा मेहता
क्राइम पेट्रोल अभिनेता प्रेक्षा ने 26 मई को अपने इंदौर स्थित आवास पर आत्महत्या कर ली थी। उनका शव उनके परिवार के सदस्यों ने छत के पंखे से लटका पाया। वह डिप्रेशन से पीड़ित थीं और उन्होंने अपने करियर के बारे में निराशा व्यक्त करते हुए एक सुसाइड नोट भी लिखा था।
कुशाल पंजाबी
कुशाल ने अपने करियर की शुरुआत एक डांसर और मॉडल के रूप में की थी और उन्होंने लक्ष्य, काल, सलाम-ए-इश्क और दन-दना-दन गोल जैसी फिल्मों में भी काम किया था। वह 2011 में टीवी रियलिटी गेम शो ज़ोर का झटका: टोटल वाइपआउट के विजेता भी रहे थे। कुशाल पंजाबी 26 दिसंबर, 2019 को मुंबई में पाली हिल्स में अपने निवास में मृत पाए गए थे। वह भी डिप्रेशन से पीड़ित थे।
जिया खान
जिया ने 2007 में राम गोपाल वर्मा की फिल्म निशब्द से बॉलीवुड में अपनी शुरुआत की। उनके प्रदर्शन के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ महिला पदार्पण के लिए फिल्म फेयर पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया। 2008 की आमिर खान की फिल्म गज़नी में भी उन्होंने एक और उल्लेखनीय अभिनय किया। वह 3 जून, 2013 को मुंबई में अपने जुहू निवास में फंदे से लटकी पाई गई थीं। उनकी आत्महत्या की बड़े पैमाने पर सीबीआई जांच भी हुई थी।
कई और फिल्मी सितारें भी रहें हैं डिप्रेशन को शिकार
दीपिका पादुकोण, शाहरुख खान, अनुष्का शर्मा, वरुण धवन, इलीना डिक्रूज़ और यो यो हनी सिंह जैसे सुपर स्टार्स ने भी बताया कि कैसे वो डिप्रेशन से पीड़ित थे। इन्होंने साथ में यह भी बताया कि कैसे इससे लड़ा जा सकता है और ज़िन्दगी जीने की उम्मीद हर पल, हर जगह ढूंढी जा सकती है।
निराश होना कोई अलग बात नहीं है। उसकी वजह अलग-अलग हो सकती है लेकिन परिस्तिथियों से लड़ना ही जीवन तो है। ज़िंदगी खूबसूरत है लेकिन जो हमारे पास है, अगर उससे हम खुद को संतोष नहीं दे पा रहे हैं तो शांत जीवन पाना मुश्किल है भले ही आप कितने सफल हो।
लोगों से बात करना और रिश्तों को समझना हमे फिर से शुरू करना पड़ेगा रिश्तों की कीमत हमें याद रखनी होगी। केवल अपने आस-पास चमकती दुनिया बनाकर हम खुश रहे यह ज़रुरी नहीं है।
मानसिक बीमारी है एक बड़ी समस्या
मानसिक बीमारी के दौरान हम सोच और व्यवहार में महत्वपूर्ण बदलाव महसूस कर सकते हैं और हम सामाजिक काम या किसी भी पारिवारिक गतिविधियों में संकट और समस्याओं का निरीक्षण कर सकते हैं। मानसिक स्वास्थ्य, भावनाओं, सोच, संचार, सीखने और आत्मसम्मान का आधार है।
यह समझना महत्वपूर्ण है कि मानसिक बीमारी भेदभाव नहीं करती है। यह आपकी उम्र, लिंग, भूगोल, आय, सामाजिक स्थिति, नस्ल, धर्म, यौन अभिविन्यास, पृष्ठभूमि या सांस्कृतिक पहचान के अन्य पहलू की परवाह किए बिना किसी को भी प्रभावित कर सकता है।
ज़रुरी है कि जो लोग मानसिक बीमारी का सामना कर रहे हैं, वे किसी को ढूंढ सकते हैं और उसके साथ संवाद करने और बातचीत करने की कोशिश कर सकते हैं। खुद के साथ धैर्य रखें और संगीत सुनें। सांस लेना और योग करना याद रखें। एक रूटीन सेट करें और सामाजिक संपर्क बनाएं।
समाज और सरकार को देनी होगा मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान
समाज और सरकार को मानसिक बीमारी के मुद्दे को समझना, महसूस करना, पहचानना होगा। साथ ही इस पर विचार करना भी ज़रूरी हो गया है। ज़िंदगी भर भागते मत रहिए जो आपके पास है, उसके महत्व को समझ कर खुश रहने की कोशिश कीजिए क्योंकि इतिहास हमें बता रहा है कि चमकती दुनिया के पीछे भी अंधेरा है।
यदि आप खुश नहीं है और भीड़ में भी आप अकेले हैं, अगर आप मानव स्पर्श और संबंध को नहीं समझते, तो उसे महसूस कीजिए।
19 नवंबर 2019 को किया हुआ सुशांत सिंह राजपूत का ट्वीट हम सबको पढ़ना चाहिए। जिसको काश इतना बड़ा कदम उठाने से पहले वो भी पढ़ लेते।
Men have emotions too so don’t be shy to cry. It’s okay to let it out and not hold it inside. It’s not a weakness but a sign of strength. Be man enough to feel. Feeling is human@GilletteIndia #ManEnough #ShavingStereotypes #BestAManCanBe pic.twitter.com/0bYc2hgvXq
— Sushant Singh Rajput (@itsSSR) November 19, 2019