दुनियाभर में फैले कोरोना वायरस से लड़ने के लिए अभी तक कोई भी दवाई नहीं बन पाई है। ऐसे में लॉकडाउन को ही एक मात्र रास्ता माना गया और भारत ने भी लॉकडाउन के रास्ते पर चलने का फैसला किया।
लॉकडाउन पर लोगों के अलग-अलग अनुभव हमारे सामने आ रहे हैं जहां कुछ लोग घर में बैठे-बैठे बोर हो गए हैं और कुछ लोग वर्क फ्रॉम होम को एन्जॉय कर रहे हैं, वहीं कुछ लोग अपने परिवार के साथ वक्त बिताकर खुश हो रहे हैं।
इसके अलावा कुछ लोग अपने अंदर छुपी हुई कला को बाहर निकालने में लगे हुए हैं लेकिन हाल ही में हुई एक घटना काफी चिंताजनक और समाज के लिए खतरनाक भी है।
बेटी ने लगाया पिता पर बलात्कार का आरोप
मध्य प्रदेश के मुरैना ज़िले से आई इस खबर के मुताबिक, 18 साल की एक लड़की ने अपने पिता के ऊपर बलात्कार का आरोप लगाया है। उसका कहना है कि लॉकडाउन के दौरान उसके पिता ने 16 दिन में उसके साथ दो बार बलात्कार किया।
इतना ही नहीं दिल दहला देने वाली बात यह है कि लड़की के अनुसार, उसकी माँ ने उसके मुंह पर कपड़ा रखकर बलात्कार करने में उसके पिता का साथ दिया। लड़की का कहना है कि उसकी माँ को उसके पिता के कामों बारे में पता था लेकिन फिर भी वो लड़की के पिता का साथ देती रही।
जब पुलिस ने लड़की को ढूंढा तो लड़की के शरीर में जख्म के निशान भी मिले हैं। लड़की के माता-पिता ने आरोप को निराधार बताया है और उन्होंने कहा है कि लड़की एक युवक से शादी करना चाहती थी और उन्होंने मना कर दिया तो लड़की ने उनपर झूठे आरोप लगाए हैं।
महिलाओं की सुरक्षा के लिए चिंताजनक है यह बात
यदि आरोप झूठे हैं तब भी और अगर आरोप सच हों तब भी यह घटना हम सबके लिए चिंताजनक तो है ही, हम यह नज़रअंदाज नहीं कर सकते हैं कि यह समाज लड़कियों और महिलाओं के लिए कितना खतरनाक होता जा रहा है। निर्भया केस के बाद भले ही रेप के कानूनों में बदलाव किया गया हो लेकिन सच यही है की ऐसी घटनाएं अब भी रुकने का नाम नहीं ले रही हैं।
थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन के मुताबिक, बलात्कार की घटनाओं में 90 प्रतिशत अपराधी लड़की के जानकार होते हैं जिसमें घर के सदस्य, भाई, रिश्तेदार, पड़ोसी और ऑफिस में काम करने वाले स्टाफ शामिल हैं।
सरकारी डाटा के मुताबिक, हर दिन 90 बलात्कार की घटनाएं होती हैं और ये केवल वो घटनाएं हैं जो दस्तावेजों में दायर की जाती हैं। ऐसे में यह सोचने का वक्त है कि हर साल बलात्कार की घटनाओं के आकड़े क्यों बढ़ते जा रहे हैं और क्यों कानून बनाकर और कानून में बदलाव करके भी इन घटनाओं को रोकने में समाज और सरकार विफल रहे हैं?
अपने ही घर में अगर लड़कियां सुरक्षित नहीं हैं तो फिर घर से बाहर निकालने के बाद यह उम्मीद कैसे की जी सकती है कि वे सुरक्षित रह सकती हैं? लॉकडाउन के दौरान घरेलू हिंसा की घटनाओं में आए उछाल को भी दरकिनार नहीं किया जा सकता है। नेशनल वुमन कमीशन के अनुसार, लॉकडाउन में घरेलू हिंसा से जुड़ी घटनाओं के शिकायत के आंकड़ें लगभग दोगुने बढ़ गए हैं।
अब सवाल यह है कि क्या लॉकडाउन महिलाओं के लिए घर में ही असुरक्षा का माहौल बना रहा है? क्या महिलाएं अब घर में भी सुरक्षित नहीं हैं?
करना होगा जांच रिपोर्ट का इंतजार
हालांकि हर सिक्के के दो पहलू होते हैं और अगर इस घटना में लड़की ने अपने माता-पिता के ऊपर झूठे आरोप लगाए हैं तब भी यह सोचने की बात तो है ही कि कोई लड़की अपने ही पिता के ऊपर ऐसे इल्ज़ाम कैसे लगा सकती है? इस मामले में यह समझना भी थोड़ा मुश्किल है कि एक माँ कैसे अपने आंखों के सामने अपनी बेटी के मुंह पर कपड़ा रख कर उसका बलात्कार होने दे सकती है?
फिर भी हकीकत जानने के लिए तो पूरी जांच का इंतज़ार करना होगा लेकिन यकीन मानिए महिलाओं और लड़कियों के लिए हम अपने आस-पास के माहौल को डरावना बनाते जा रहे हैं। कानून बदलते रहने से शायद ही कुछ हो, जब तक अंदर से सोच नहीं बदलेगी तब तक सूरत बदलने की सम्भावना कम ही है।