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‘फास्ट फैशन’ के कारण पर्यावरण को कैसे पहुंच रहा है नुकसान?

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पॉलिएस्टर के कपड़ों की प्रतीकात्मक तस्वीर

हर कोई आज बेहतरीन दिखना चाहता है। सुंदर दिखने के इसी लालच से आज हमारी खरीदारी में एक बड़ा बदलाव आया है। फास्ट फैशन के इस दौर में हम जो फैशन टीवी पर देखते हैं महज़ एक क्लिक से वो उत्पाद हमारे दरवाज़े पर होता है। लेकिन क्या आप जानते हैं आप की इस सुंदरता की कीमत पृथ्वी चुका रही है?

पॉलिएस्टर बनाने में होती है अतिरिक्त ऊर्जा की खपत

एक अरब डॉलर का यह उद्योग तेल के बाद आज दूसरा सबसे अधिक प्रदूषण फैलाने वाला व्यवसाय बन चुका है। ज्यादातर कपड़ों में इस्तेमाल होने वाला पॉलिएस्टर तेल से बनाया जाता है और इसे बनाने में काफी ऊर्जा की खपत होती है।

आंकड़ों के अनुसार 2014 में 46.1 मिलियन टन पॉलिएस्टर का उत्पादन किया गया था, जिससे 655 मिलियन टन कार्बन उत्सर्जित हुआ जो कुल फैशन उद्योग के उत्सर्जन का लगभग 40% था।

पॉलिएस्टर के इस्तेमाल से बने कपड़े (फोटो सोर्स: गूगल फ्री इमेजेज)

क्या नेचुरल फाइबर पोलिस्टर से बेहतर हैं?

एक फसल के रूप में, कपास का कार्बन पदचिह्न पॉलिएस्टर की तुलना में तो कम होता है लेकिन अत्यधिक उर्वरक उपयोग इस के ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को पॉलिएस्टर की मुकाबले में 300 गुना अधिक बढ़ा देता है। कच्चे माल के चरण से परे एक कपड़ा बनाने, परिवहन, पैकेजिंग और बिक्री में उपयोग की जाने वाली ऊर्जा सभी इसके उत्सर्जन पदचिह्न में योगदान करते हैं।

पैकजिंग में प्रयोग होने वाली बुलबुला चादरें, नायलॉन टेप और थर्मोकोल, आदि नाले चोक होने का कारण बनते हैं जिस से कई बीमारियां फैलती हैं।

पॉलिएस्टर के इस्तेमाल से बने कपड़े

हाल के वर्षों में फ़ास्ट फैशन के कारण हम पहले से कहीं अधिक कपड़े खरीद रहे हैं, जिन्हें थोड़ा पहन कर जल्द ही फेंक दिया जाता है। इनमें से केवल 20% कपड़ों को ही रिसायकल किया जाता है। बाकी लैंडफिल में चले जाते हैं जो नॉन बायो डेग्रेबल होने की वजह से गलते नहीं हैं और सालों तक मिट्टी को प्रदूषित करते रहते हैं।

दिसंबर 2018 में फैशन उद्योग चार्टर का हुआ गठन

दिसंबर 2018 में संयुक्त राष्ट्र की अगुवाई में मशहूर फैशन ब्रांड्स एच एंड एम, एडिडास, प्यूमा, बरबेरी, स्टेला मेकार्टनी और एनजीओ के एक समूह ने पर्यावरण के के लिए फैशन उद्योग चार्टर का गठन किया था।

इसका मकसद पेरिस समझौते में तय हुए लक्ष्यों को पूरा करने, जलवायु परिवर्तन पर अपनी जिम्मेदारिओं को निर्धारित करना, 2030 तक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में 30% की कमी और उत्सर्जन की सार्वजनिक रिपोर्टिंग करना था।

इसमें यह भी तय किया गया था कि नए पॉलिएस्टर के बजाए प्लास्टिक की पुराने बोतलों का इस्तेमाल किया जाएगा, जिससे कार्बन पदचिह्न को 40% तक कम किया जा सके। यही नहीं इस चार्टर में यह भी सुझाया गया कि गोदामों में बिजली के पारम्परिक बल्ब के बजाए एल.इ.डी का प्रयोग 75% तक ऊर्जा की खपत को कम करेगा।

परिवहन और लॉजिस्टिक में बदलाव से हो सकता है पर्यावरण बेहतर

परिवहन और लॉजिस्टिक के मामलों में मामूली बदलाव से पर्यावरण के सुधार में मदद मिल सकती है। जब इन कम्पनियों ने अपने-अपने परिवहन संचालन के कार्बन पदचिह्न का विश्लेषण किया, तो उन्हें एहसास हुआ कि हवाई से रेलगाड़ी सेवा पर स्विच करने से 95% उत्सर्जन में कटौती हो सकती है।

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