एक कलाकार दुनिया को अलविदा कह गया। यूं तो हम सबने उसे सिर्फ पर्दे पर ही देखा है लेकिन उसका जाना हम सभी को किसी व्यक्तिगत क्षति-सा अनुभव करा रहा है।
क्या खास था उसमें? क्या खास था उन किरदारों में जिसे उसने निभाया? इरफान खान, एक छोटे से शहर जयपुर से दिल्ली के नैशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में अपने सपनों को साकार करने के लिए आता है।
असाधारण कलाकार थे इरफान
वो फिल्मी दुनिया में आता है और अपनी अलग पहचान बनाता है। हमारे ही बीच के किसी साधारण से आम इंसान को अपने अभिनय से पर्दे पर जीवंत बना देने वाला एक असाधारण कलाकार।
एक ऐसा अभिनेता जो बिना शब्दों के भी समझ में आता है। आंखे ऐसी जो दिल को चीर देती हैं।
इरफान के किरदारों से हो जाता है प्यार
चाहे ‘मकबूल’ का डॉन हो या ‘द नेमसेक’ में एक पिता, ‘पान सिंह तोमर’ का डकैत हो या ‘द लंच बॉक्स’ का लवर या ‘पीकू’ का मुफ्त में सुझाव देने वाला टैक्सी ड्राइवर, हर किरदार में आप कहीं खो जाते हैं।
एक ऐसा ही किरदार है फिल्म ‘एक डॉक्टर की मौत’ का ‘अमूल्य’, जो मेरे दिल के काफी करीब है। साल 2014 में मैंने यह फिल्म पहली बार देखी थी। तब से जब भी अपने बारे में सोचती हूं तो ये किरदार कहीं-ना-कहीं मेरे ज़हन में रहता है।
‘अमूल्य’ एक साइंस कॉरेस्पोंडेंट है जिसने एस्ट्रोफिजिक्स से पीएचडी किया है मगर वो साइंटिस्ट ना बनकर साइंस कॉरेस्पोंडेंट बनता है। वह एक डॉक्टर को उसके रिसर्च की पहचान दिलाने के लिए लड़ता है।
“आपका अखबार एडवरटाइज़मेंट के बिना ना चलता हो लेकिन मैं चलता हूं।” इसी फिल्म से इरफान का यह शानदार है। छोटे से किरदार को भी बखूबी निभाना उन्हें और खास बनता है।
बॉलीवुड के अलावा हॉलीवुड में भी था इरफान का जलवा
इरफान की कला की ख्याति सिर्फ हिंदी फिल्मों और हिंदुस्तान तक ही नहीं है। उन्होंने हॉलीवुड की बड़ी फिल्मों में भी अहम रोल किए हैं।
स्लमडॉग मिलियनेयर, जुरासिक पार्क, लाइफ ऑफ पाई, स्पाइडर मैन उनमें से कुछ एक हैं। जब तक हम फिल्में देखते रहेंगे उनके ये किरदार हमारे साथ रहेंगे।