अभी हाल ही में सदाबहार अभिनेता इरफान खान का निधन हो गया। उनके चाहने वालों से लेकर तमाम फिल्मप्रेमियों के लिए यह खबर स्तब्ध करने देने वाली थी।
पिछले कुछ समय से उनका निजी जीवन काफी दुखदाई रहा है लेकिन जब आप इस फिल्म में उनके साथ घूमने निकलेंगे तो आपको तनिक भी पता नहीं चलेगा कि ढाई घंटे कैसे निकल गए।
राजस्थान का प्यारा शहर उदयपुर, जहां लुभावने टूरिस्ट स्पॉट्स के इतर रहते हैं घसीटेराम मिष्ठान की विरासत के चिराग चंपक बंसल और उनकी इकलौती पुत्री तारिका। पत्नी सालों पहले दुनिया छोड़कर चली गई, सो तारिका के देखरेख का सारा ज़िम्मा है चंपक भाई साहब पर।
तारिका ने ठान लिया है कि उसे उदयपुर के पधारो म्हारे देस की गलियों से इंग्लैंड जाना है लेकिन उदयपुर से जयपुर जैसी दूरी तो है नहीं इंग्लैंड की।
बेटी के साथ बाप की भी ज़िद्द है। ज़िद्द के आगे क्या क्या बिकता है, क्या-क्या बचता है यह आपको पूरी फिल्म देखने पर पता चलेगा। फिल्म पुरानी हिन्दी मीडियम से थोड़ी हटकर है मगर भाव एक ही है।
इरफान और राधिका मदान की बाप-बेटी की जोड़ी में आप घुस जाइएगा। चाहे बेटी के एनुअल डे पर इरफान की लड़खड़ाती अंग्रेज़ी में स्पीच हो, फर्राटेदार अंग्रेज़ी झाड़ती स्कूल की प्रिंसिपल मैडम को हिन्दी में इरफान का जवाब देना हो या सात समंदर पार गई बेटी को लेकर एक पिता के मन के अंदर की असुरक्षा भावना हो, ये सभी चीज़ें आपके मन को मोह लेने के लिए काफी हैं।
दीपक डोब्रियाल यानी गोपी एकदम अपने अंकलपन अंदाज़ में इरफान के हमसाए की तरह साथ रहते हैं। रवींद्र जडेजा के घातक रनआउट जैसी उनकी घातक अंग्रेज़ी हंसा हंसाकर लोटपोट कर देगी।
इसके अलावा आपको पंकज त्रिपाठी भी अपने कम स्क्रीन स्पेस में हंसी का बूस्टर डोज़ देकर चले जाएंगे। एक सवाल है जो मुझे जाननी है कि करीना कपूर खान पुलिस की वर्दी में गाड़ियों को चेज़ करने के अलावा क्या कर रही हैं। जवाब मिले तो आप ज़रूर बताना।
खैर, इस बात का मलाल रहेगा कि कोरोना वायरस के कारण बहुत से राज्यों में लोग एक बेहतरीन फिल्म नहीं देख पाएंगे। हंसाते-रुलाते बेटी पढ़ाओ-बेटी बचाओ के संदेश को हम तक पहुंचाने के लिए फिल्म लेखकों और होमी अदजानिया का शुक्रिया।