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“मैं मोदी भक्त नहीं हूं मगर कोरोना से लड़ने के लिए उन्हें सबसे काबिल पीएम मानता हूं”

नरेन्द्र मोदी- फोटो साभार- पीएम मोदी फेसबुक अकाउंट

नरेन्द्र मोदी- फोटो साभार- पीएम मोदी फेसबुक अकाउंट

लेख की शुरुआत में यह कहना चाहता हूं कि मैं मोदी भक्त नहीं हूं और ना ही मैं मोदी विरोधी हूं। आज के दौर में मोदी के संदर्भ में यदि लोगों की पहचान होती है तो दो ही चीज़ें निकलकर सामने आती हैं।

एक तो यह कि आप मोदी भक्त हैं या दूसरा यह कि आप मोदी विरोधी हैं मगर इस देश में आज भी बहुत सारे लोग ऐसे भी हैं जो इन दोनों श्रेणी में नहीं आते हैं। जिनकी पहचान आज भी भारत देश के ज़िम्मेदार नागरिक के तौर पर होती है।

बहुत से लोग हैं जो सही को सही और गलत को गलत कहते हैं, जो देश के प्रधानमंत्री की गलत नीतियों की आलोचना करते हैं और सही नीतियों का समर्थन भी करते हैं। जो प्रधानमंत्री से सवाल पूछते हैं और उनके सही फैसलों की सराहना भी करते है, मैं भी इसी श्रेणी में आता हूं।

समय रहते सही निर्णय ना लिए जाने के कारण हम चिंतनीय स्थिति में हैं

मैंने स्वच्छ भारत अभियान, उज्ज्वला योजना, आयुष्मान भारत योजना, एयर स्ट्राइक, सर्जिकल स्ट्राइक और कश्मीर में अनुच्छेद-370 हटाने के उनके फैसले की तारीफ की है। आज कोरोना के संकट में उनके नेतृत्व की तारीफ कर रहा हूं।

आज भी प्रधानमंत्री की तारीफ करने से पहले मैं यह बताना चाहता हूं कि कोरोना से लड़ने की जो तैयारी हमें फरवरी में करनी चाहिए थी, हमारी सरकार ने नहीं की और विदेश से आने वाले लोगों को सही तरीके से क्वारंटाइन करने में भी हम नाकामयाब रहे हैं।

इसलिए आज हम इस चिंतनीय स्थिति में हैं। इन सबके बीच आइए जानते हैं कि क्यों मुझे लगता है कोरोना की इस लड़ाई में सबसे काबिल और उपयुक्त नेता हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी।

पीएम मोदी की निर्णय क्षमता

प्रधानमंत्री मोदी कोई भी निर्णय लेने से नहीं डरते हैं और अपने निर्णय को सपोर्ट करते हैं। कोरोना जैसी हेल्थ इमरजेंसी में निर्णय लेना और जल्द से जल्द सही निर्णय लेना ज़रूरी होता है।

हमारे देश ने बाकी देशों के मुकाबले लॉकडाउन करने का निर्णय बहुत जल्द लिया है। यदि हम ऐसा नहीं करते तो आज के हालात बहुत ही गंभीर होते।

अमेरिका और इटली जैसे देश अपनी अर्थव्यवस्था बचाने के लिए लॉकडाउन करने का निर्णय सही समय पर नहीं ले पाए और आज ऐसी स्थिति में फंस गए है कि वे कोरोना संक्रमण को रोक नहीं पा रहे हैं।

जबकि हमसे बेहतर हेल्थ केयर सिस्टम होने के बावजूद स्थिति को नियंत्रण में नहीं ला पा रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने हमारी खामियों का ध्यान रखते हुए लॉकडाउन का फैसला सही समय पर लिया। अब 14 अप्रैल के बाद 3 मई तक लॉकडाउन बढ़ाने का सही फैसला उनके द्वारा लिया गया है।

अगर हम आज अर्थव्यवस्था पर ध्यान देते तो ना कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने में कामयाब रहते और ना ही हमारी अर्थव्यवस्था को बचाने में!

आज जिस तरह से हम पहले संक्रमण को रोकने की कोशिश करते हैं, यदि चीज़ें ठीक होती हैं  तो हम अर्थव्यवस्था को भी सही कर सकते हैं। प्रधानमंत्री जी ने पहले संक्रमण को रोकने का निर्णय लिया और यह निर्णय सराहनीय है।

लोगों से संचार स्थापित करने की कला

जितना निर्णय लेना ज़रूरी होता है, उससे भी ज़्यादा महत्वपूर्ण होता है उस निर्णय से लोगों को समझाना। आज देश में लोगों को आसान भाषा में नरेंद्र मोदी से बेहतर कोई नहीं समझा सकता है। नोटबंदी जैसे निर्णय को भी उन्होंने लोगों को समझाया और लोगों ने उसे एक्सेप्ट भी किया

फैसलों को राष्ट्रहित से जोड़ने में मोदी कामयाब रहते हैै। कोरोना संकट में उनकी यही काबिलियत देश के काम आ रही है। 19 मार्च के उनके सम्बोधन में उन्होंने 22 मार्च को जनता कर्फ्यू की बात कही थी। उन्होंने कोरोना वॉरियर्स के लिए थाली बजाने को कहा और इसमें भी वो सफल रहे।

जनता कर्फ्यू, ताली और थाली बजाने की वजह से कम समय में लोगों में कोरोना के बारे में अवेयरनेस करने में मोदी कामयाब रहे। इससे देश में कोरोना से लड़ने का माहौल बन गया और लॉकडाउन की मानसिकता भी तैयार हुई।

ताली और थाली बजाने की आलोचना भी हुई मगर इससे लोगों में जिस तरह से कोरोना वायरस को लेकर चर्चा का स्पेस तैयार हुआ, वह काबिल-ए-तारीफ है।

24 मार्च के सम्बोधन में उन्होंने 21 दिन के लॉकडाउन की बात कही और यहां पर भी वो इसे राष्ट्रहित से जोड़ने में  कामयाब रहे और आसान भाषा में उन्होंने लोगों को समझाया।

इसके बाद 5 अप्रैल को 9 बजकर 9 मीनट को दीये जलाने का कार्यक्रम भी सफल हुआ और पूरे देश को एकजुट रखने में प्रधानमंत्री कामयाब रहे।

कोई यह भी कह सकता है कि इससे क्या फर्क पड़ा? मुझे ये लगता है कि ऐसी चीज़ों से सकारात्मक माहौल बन जाता है। अब 14 अप्रैल के सम्बोधन में उन्होंने 7 बातों पर ध्यान देने को कहा और सख्त शब्दों में लॉकडाउन की अहमियत भी समझाई।

प्रधानमंत्री मीडिया का सही इस्तेमाल करना जानते हैं और मीडिया ने भी कोरोना संकट में लोगों में अवेयरनेस लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। ज़्यादातर मीडिया ने गंभीरता से रिपोर्टिंग की है।

इस दौरान मोदी जी ने सोशल डिस्टेन्सिंग को समझाने के लिए सोशल डिस्टेन्सिंग के साथ कैबिनेट मीटिंग की है। मास्क का महत्व समझाने के लिए खुद घरेलू मास्क पहना है। इससे लोगों को उदाहरण देने में वो कामयाब रहे।

प्रबंधन की बेहतरीन नीति 

हमारे देश के हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर को ध्यान में रखते हुए हमें हमारी कमज़ोरी से ज़्यादा स्ट्रेन्थ पर काम करना था। केंद्र सरकार ने यह काम सही तरीके से किया है।

इसी मैनेजमेंट का परिणाम है कि कोरोना के टेस्ट हमारे देश में कम किए गए हैं। लड़ाई लड़ते समय खाामियां ध्यान में रखकर लड़ाई लड़ना पडता है और वही काम आज किया जा रहा है।

वेंटिलेटर्स की कमी, पर्सनल प्रोटेक्शन इक्विपमेंट की कमी, बेड्स की कमी यह हमारी सच्चाई है। इसके इंतजाम होने तक परिस्थिति को नियंत्रण में रखना ज़रूरी हो जाता है और अभी तक हमने यह सही से किया है।

अभी हमारे पास जो इंफ्रास्ट्रक्चर मौजूद हैं, उन्हीं के ज़रिये बेहतर तरीके से काम करने की ज़रूरत है। मौजूद रिसोर्सेज़ में ही हमें लड़ना है।

लोगों को कैसे इन्वॉल्व किया जाता है, इस बात को प्रधानमंत्री मोदी अच्छे से जानते हैं। इसलिए देश के बड़े उद्योगपतियों से लेकर आम लोगों तक ने पीएम केयर्स फंड में अपना योगदान दिया।

राज्यों के साथ समन्वय

प्रधानमंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिये मुख्यमंत्रियों से बातचीत की है। सहयोग करने का भरोसा दिया है और स्थिति को मॉनिटर किया जा रहा है। ICMR की भूमिका महत्वपूर्ण है और अभी तक इन्होंने अपनी भूमिका सही से निभाई है।

वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइज़ेशन और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने कोरोना वायरस से लड़ने के हमारे तरीकों की तारीफ की है। आज अमेरिका, स्पेन, इटली, फ्रांस, यूके और जर्मनी जैसे देश कोरोना से लड़ रहे हैं।

वही, 130 करोड़ की जनसंख्या वाला हमारा देश अभी तक स्थिति को नियंत्रण में रखने में कामयाब रहा है। आज पूरा भारत मोदी के नेतृत्व में एकजुट होकर लड़ रहा है। मैं उम्मीद करता हूं कि कोरोना वायरस की लड़ाई जीतने में हम कामयाब रहेंगे।

प्रधानमंत्री को मेरा सुझाव

यहां मैं यह भी कहना चाहता हूं कि कोरोना की इस लड़ाई के लिए नरेंद्र मोदी सबसे काबिल नेता हैं मगर कोरोना संकट की वजह से कमज़ोर अर्थव्यवस्था को संभालने की क्षमता इस सरकार में नहीं है।

इसलिए मैं प्रधानमंत्री से निवेदन करता हूं कि रघुराम राजन, अमर्त्य सेन, अभिजीत बनर्जी और गीता गोपीनाथ जैसे लोगों की सलाह अवश्य ली जानी चाहिए। रघुराम राजन हमारे देश के लिए काम करने को तैयार हैं। ऐसा उन्होंने एनडीटीवी के प्रणय रॉय को दिए इंटरव्यू में कहा है।

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