भारत में जहां कोविड-19 के मामले बड़ते ही जा रहे हैं, वहीं यूपी के आगरा में एक वीडियो सामने आया है जिसने महामारी की एक और भयावह तस्वीर लोगों के सामने पेश की है। इस वीडियो से यह साबित होता है कि क्वारंटाइन सेंटर के अंदर किस तरह लोग रहने और खाने को मजबूर हैं।
वीडियो आगरा के क्वारंटाइन सेंटर का है जिसमें सुरक्षा उपकरणों से लैस एक व्यक्ति क्वारंटाइन सेंटर के बाहर बिस्किट और अन्य खाद्य पदार्थ फेंक रहा है। गेट के नज़दीक ही पानी की बोतलें रखी हुई हैं। क्वारंटाइन सेंटर में रह रहे लोग ग्रिल के बीच से ही सामान लेने को मजबूर हैं।
सबसे अजीब बात यह थी कि इस धक्का-मुक्की और सामान पाने की होड़ में लोग सोशल डिस्टेंसिंग को भूल बैठे 25 सेकेन्ड का यह वीडियो जब वायरल हुआ तब जाकर प्रशासन की प्रतिक्रियाएं आनी शुरू हुईं।
And then you blame those who want to escape quarantine – quarantined fed shabbily in agra ..@pranshumisraa pic.twitter.com/oZ0ALW19li
— pallavi ghosh (@_pallavighosh) April 26, 2020
मामले पर ज़िम्मेदारों का बयान
वीडियो वायरल होने पर डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट प्रभुनारायण सिंह ने कहा, “मैंने स्वयं क्वारंटाइन सेंटर सेंटर जाकर जायज़ा लिया है, जहां अभी सब कुछ ठीक है। मैंने वरिष्ठ अधिकारियों को कहा है वे मामले की जांच करें। उन्हें कहा गया है कि ऐसी शिकायतें फिर नहीं मिलनी चाहिए।”
वहीं, चीफ डेवलपमेंट ऑफिसर ने इस मामले की पड़ताल पर ज़ोर देते हुए कहा कि इस काम (क्वारंटाइन सेंटर) के लिए अलग से टीम गठित की जाना चाहिए और उनका काम सुनिश्चित किया जाना चाहिए जिससे आगे इस तरह की शिकायतें ना मिलें।
इन सबके बीच आगरा के मेयर नवीन जैन ने उप्र मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर चेताया कि आगरा की स्थिति भयावह है। आगरा भारत का ‘वुहान’ हो सकता है।
क्वारंटाइन सेंटर में शौक से नहीं रहते लोग!
लेकिन क्या महामारी का यह दृश्य हमें उन सभी दृश्यों की तरह फिर एक बार भूल जाना होगा? ठीक वैसे ही जैसे हम भूल गए घर जाते प्रवासियों की भीड़, कितने चेहरे और कितनी मजबूर ज़िन्दगियां।
क्वारंटाइन सेंटर में रहना किसी भी व्यक्ति का खुद का चुना हुआ मत नहीं है। वे वहां दो वजहों से हैं। पहली वे संक्रमित हो सकते हैं और यदि ऐसा हुआ तब दूसरों में यह खतरा बड़ जाएगा और दूसरी उनके पास घर पहुंचने का कोई विकल्प नहीं है।
बिस्किट और पानी की लड़ाई में एक भी व्यक्ति संक्रमित हो गया तो?
लेकिन इस तरह का अमानवीय व्यवहार महामारी से लड़ने में कितना सार्थक होगा विचारणीय है। जहां कोविड-19 के मामले तेज़ रफ़्तार से बढ़ रहे हैं, वहां यदि इन बिस्किट और पानी की लड़ाई में एक भी व्यक्ति संक्रमित पाया गया तो क्वारंटाइन सेंटर पर रहने वाले ये सारे ही लोग खतरे में आ जाएंगे।
खैर, इन इन तमाम बयानों के बीच एक सवाल हर ज़हन में उठ रहे हैं, वो यह कि क्या यूपी के लिए यह आम बात है? क्या भोजन सामग्रियां फेंककर देने के बाद अधिकारी यह कहकर निकल जाएं कि मामले की जांच की जा रही है। जब वीडियो में सब कुछ दिख ही रहा है, तो जांच किस बात की? सीधे कार्रवाई करिए।