नमस्कार मेरा नाम सावन कन्नौजिया है। मैं मेरठ, उत्तर प्रदेश का रहने वाला हूं। जब मैं नवीं कक्षा में था, तब हमें पढ़ाया जाता था कि किस तरह से पर्यावरण को बचाना ज़रूरी है।
उन्हीं दिनों मेरा ध्यान हमारे देश की प्रदूषित नदियों, घटती हरियाली और तेज़ी से कम हो रहे भू-जल स्तर की ओर गया। मुझे लगा कि हम इन्हें नहीं बचाएंगे तो कौन बचाएगा ?
पर्यावरण बचाने के लिए बनाया ‘एनवायरमेंट क्लब’
यहीं से मेरे दिमाग में पर्यावरण के लिए कुछ करने का एक विचार आया। मैंने इस बारे में अपने दोस्तों से बात की और अपने दोस्तों के साथ मिलकर बनाया।
अपनी नवीं कक्षा में क्लब बनाने के बाद धीरे-धीरे सहपाठियों को इससे जोड़ा और दूसरी कक्षाओं के दोस्तों को भी इससे जुड़ने के लिए प्रेरित किया। इस दौरान बहुत से दोस्तों ने इस ग्रुप का मजाक बनाया तो कुछ ने कहा कि ये सब फालतू काम है पढ़ाई में ध्यान दो।
वहीं, जब यह सब कुछ मैंने अपने पापा को बताया तो वे भी यही कहने लगे कि पढ़ने-लिखने का टाईम है, पढ़ाई लिखाई में ध्यान दो यह सब होता रहेगा।
तब मैंने उनसे कहा कि पापा अगर पर्यावरण ही नहीं रहेगा, तो हम भी नहीं रहेंगे। तब पापा को लगा कि चलो अभी तो स्कूल में है दो-चार दिन तक करेगा फिर थक कर बैठ जाएगा लेकिन टीम बनाते बनाते मैं दसवीं में आ गया।
‘एनवायरमेंट क्लब’ चलाने में उतार-चढ़ाव जारी रहा
पहली बार हमने मेरे जन्मदिन पर स्कूल के ग्राउंड में पेड़ लगाया, पेड़ लगाने से पहले जब हम प्रिंसिपल सर से परमिशन लेने गए थे तो उन्होंने कहा कि तुम अच्छे काम करते रहो, मैं तुम्हारे साथ हूं।
इसी क्रम में मैंने स्कूल की असेंबली में पर्यावरण पर कुछ कविताएं और भाषण भी दिए जिससे कई लोगें को लगा कि इस ‘एनवायरमेंट क्लब’ से हमें भी जुड़ना चाहिए। टीम थोड़ी और बड़ी हुई और फिर हमने मेरे शहर जहां मैं रहता हूं मेरठ में काम करना शुरू किया।
पर्यावरण पर काम करते हुए मैं 12वीं में आ गया और घर वालों की ओर से दबाव बढ़ने लगा कि इस क्लब को बंद कर दो तुम्हारे बोर्ड के एग्जाम्स है। लेकिन मुझे क्लब को बंद करने के बारे में सोचकर भी डर लगता था कि अगर यह बंद कर दिया तो पर्यावरण के लिए काम करने को मेरी टीम टूट जाएगी।
मैंने घरवालों से कई बार डांट खाई, पापा ने मुझे मारा भी कि पढ़ाई-लिखाई करने के टाइम पर पता नहीं क्या करने बैठ गया है।
फेसबुक के ज़रिए बढ़ाई लोगों तक पहुंच
मैंने 12वीं क्लास में रहते हुए भी स्कूल में पर्यावरण को लेकर बहुत काम कर लिया था और शहर में काम करना भी शुरू चुका था। हमने फेसबुक आदि पर अपने पेज बनाएं और लोगों से कहा कि इसे लाइक करिए और जहां आपको पेड़ लगाने हो हमें बताइए।
शुरुआत में हमें कोई संपर्क नहीं करता था लेकिन फिर हमने सोचा कि काम कैसे हो? काम करने के लिए फंड की ज़रूरत भी पड़ती थी, इसलिए हमने अपने महीने की पॉकेट मनी बचानी शुरू की। उससे हम नर्सरी से पेड़ खरीद कर लाते थे। फिर जगह-जगह उन पौधों का रोपण करते थे।
स्कूल में अपनी टीचर्स से हमने कहा कि अगर आपको भी कहीं पेड़ लगवाने हैं तो हमें बताइए हम नि:शुल्क रूप से पेड़ लगाएंगे। आपको केवल उसकी देखभाल करनी होगी।
पर्यावरण के कई अभियान चलाकर लोगों को किया जागरूक
इस तरह हमने वृक्षारोपण के इस काम को “चलो मिलकर एक पौधा रोपें” अभियान में परिवर्तित किया और इस तरह फिर हमने अभियानों के तहत कार्य करना शुरू किया।
12वीं की परीक्षा भी अच्छे से निपट गई और मेरे ठीक-ठाक नंबर भी आ गए। इससे पहलेे कि मेरा कॉलेज शुरू होता, मैंने इन तीन-चार महीनों में दोस्तों के साथ मिलकर मेरठ शहर में बहुत सारा काम किया।
जैसे हमारी टीम एनवायरमेंट क्लब ने “जंग प्लास्टिक से” अभियान चलाकर लोगों को प्लास्टिक से होने वाले नुकसान के बारे में बताया और कपड़े या जूट के थैले इस्तेमाल करने को आह्वान किया।
वहीं हमने गिरते भू-जल स्तर को ध्यान में रखते हुए “बिन पानी सब सून” अभियान चलाकर स्कूल, कॉलेजों की कार्यशालाओं, सार्वजनिक चौराहों पर नुक्कड़ नाटक, जन जागरूकता रैली, आदि कार्यक्रम आयोजित किए।
दीवाली पर लोग पटाखें कम से कम जलाएं और मिट्टी के दिए इस्तेमाल करें इसलिए “दीवाली दीए वाली” अभियान चलाकर नि:शुल्क मिट्टी के दीए भी बांटे और स्कूलों में जाकर ‘नो टू क्रैकर्स’ थीम पर जागरूकता अभियान चलाया। इस अभियान के तहत हमने गरीब लोगों के साथ दिवाली भी मनाईं।
विश्व पर्यावरण दिवस पर पांच दिवसीय जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन
विश्व पर्यावरण दिवस पर हर साल हमारा क्लब पांच दिवसीय कार्यक्रम आयोजित कर अलग-अलग विषयों पर लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करता है। साल 2015 में जब इस क्लब की शुरुआत हुई थी तो मैंने नहीं सोचा था कि मेरी एक सोच इतना बड़ा रूप ले लेगी और मेरे दोस्तों ने भी इसमें मेरा बहुत साथ दिया।
वही हमें पढ़ाने वाले हमारे टीचर्स भी इस क्लब से जुड़े और मुझे इस बात की बहुत खुशी है कि वो हमारे साथ आज तक है। अभी मैं ग्रेजुएशन कर रहा हूं और पत्रकारिता का प्रथम वर्ष का छात्र हूं।
हर वर्ष हमारा क्लब पृथ्वी दिवस के अवसर पर सप्ताह भर स्कूलों में कार्यक्रम आयोजित करता है और बच्चों को बताता है कि हम किस तरह से पृथ्वी को बता बचा सकते हैं।
जैसे कि पानी का सदुपयोग करें, स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें, अधिकाधिक पौधे लगाएं और ना केवल लगाएं उनकी देखभाल भी करें, जितना हो सके कपड़ों के थैले का इस्तेमाल करें और खुद भी प्रदूषण ना करें और दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करें।
अक्टूबर माह में हम “स्वच्छता सप्ताह” मनाकर लोगों को साफ-सफाई के प्रति जागरूक करते हैं, वहीं हमने मेरठ के दो गांवों के सरकारी स्कूलों को भी गोद लिया हुआ है जहां हम समय-समय पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करते हैं।
पिछले साल जुलाई में हमारी टीम का विस्तार हुआ और मेरे कुछ अन्य मित्रों ने उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले के मोदीनगर में ‘एनवायरमेंट क्लब टीम मोदीनगर’ गठित कर वहां भी प्रकृति संरक्षण के लिए कार्य करना शुरू कर दिया है।
लॉकडाउन के बीच ‘पृथ्वी दिवस’ के लिए कई कॉन्टेस्ट किए आयोजित
इन दिनों लॉकडाउन चल रहा है इसलिए हमारे क्लब ने ‘पृथ्वी दिवस’ को विशेष बनाने के लिए जो लोग घर से ही बैठे-बैठे कर सकते हैं ऐसे कॉन्टेस्ट आयोजित किए हैं।
जैसे हमने लोगों को एक लेख लिखने को कहा जिसका विषय है – लॉकडाउन से प्रकृति में बदलाव। वहीं अपने घर में लगे पेड़-पौधों के साथ अपनी एक सेल्फी भेजने को कहा जिसे हमारा क्लब #GreenSelfie हैशटैग के साथ सोशल मीडिया से लोगों तक पहुंचाएगा।
गर्मियों से पहले मार्च के महीने में हम प्रत्येक वर्ष “कहां गई मेरे आंगन की गौरैया” अभियान चलाकर शहर भर में निशुल्क मिट्टी के सकोरे वितरित करते हैं। इसे लोग अपने छत, मुंडेर, दीवार आदि पर रखते हैं। सुबह-शाम उसमें पानी भरते हैं ताकि कोई पक्षी प्यासा ना रहे।
टीम मेंबर्स की शिद्दत के बल पर किया चार सालों का सफर तय
खुशी इस बात की है कि एक स्कूल के नवीं कक्षा के बच्चों द्वारा शुरू हुआ ‘एनवायरमेंट क्लब’ इस वर्ष रजिस्टर्ड भी हो गया है। यह निश्चित रूप से हमारी पूरी टीम की वजह से ही हुआ है। इस टीम की वजह से ही हमने चार सालों का ये सफर पूरा किया है।
इस वर्ष हमने “बिन पानी सब सून” अभियान के तहत जल जागरुकता पर तो काम किया ही इसके साथ-साथ मेरठ के एक स्कूल के साथ मिलकर उत्तर प्रदेश के जिला हापुड़, गढ़मुक्तेश्वर मे निर्मल गंगा कार्यक्रम आयोजित कर घाटों की सफाई करी। साथ ही वहां आए हुए श्रद्धालुओं को गंगा की स्वच्छता बनाए रखने के लिए भी प्रेरित किया।
आज मेरठ शहर के लोग हमें अपने घर, सोसाइटी, मोहल्ले में पेड़ लगाने के लिए बुलाते हैं। वहीं मेरठ के बड़े-बड़े स्कूल हमसे संपर्क कर अपने स्कूल में कार्यशाला आयोजित करने के लिए बुलाते हैं।
हाल ही में उत्तर प्रदेश में हुए गंगा यात्रा के दौरान मेरी एनवायरमेंट क्लब टीम ने मेरठ शहर के हस्तिनापुर में नौ गंगा किनारे बसे गांव में जाकर नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत किया और प्रदेश सरकार के निर्मल गंगा अभियान में भी अपनी सहभागिता दी।