कोरोना का कहर दिन प्रतिदिन बढ़ते देखकर भारत समेत कई देशों में लॉकडाउन कर दिया गया है। जिसके कारण लोग घरों से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं। इस दौरान एक परेशानी खत्म होने का नाम नहीं ले रही है, वहीं दूसरी परेशानी शुरू हो गई है।
गौरतलब है कि घरों के अंदर घरेलू हिंसा के मामलों में दोगुनी बढ़ोतरी हो गई है। लॉकडाउन के दौरान घरेलू हिंसा के बढ़ते आकड़ों की बात की जाए तो राष्ट्रीय महिला आयोग के मुताबिक, भारत में लॉकडाउन के पहले हफ्ते में ही घरेलू हिंसा की कुल 527 शिकायतें दर्ज हुई हैं।
आंकड़ों में दोगुनी बढ़त
इन सबके बीच जैसे-जैसे लॉकडाउन बीत रहा है, वैसे-वैसे घरेलू हिंसा के मामले भी बढ़ रहे हैं। लॉकडाउन के दूसरे सप्ताह में घरेलू हिंसा की शिकायतों में दोगुने तक का इज़ाफा हो गया।
2 अप्रैल से 9 अप्रैल के बीच घरेलू हिंसा की शिकायतों से जुड़ी 6 हज़ार कॉलें आईं। इस दौरान प्रतिदिन आने वाली कॉलों का औसत करीब 750 रहा।
घरेलू हिंसा के मामले में यूपी भी पीछे नहीं
यूपी 112 के विश्लेषण में सामने आया है कि लॉकडाउन के पहले सप्ताह में घरेलू हिंसा के मामलों में तेजी से गिरावट आई है। 25 मार्च से एक अप्रैल के बीच 2,952 कॉल्स ही आई हैं।
इस दौरान प्रतिदिन कॉल्स का औसत 598 से भी घटकर 369 पर आ गया। जो कि औसत दिनों में आने वाली 821 कॉल्स से काफी कम है। इसमें सबसे कम कॉल्स 27 मार्च को 266 और 28 मार्च को 267 कॉल्स थीं।
दिल्ली के डीसीपी ने क्या कहा?
यही नहीं, इंडिया टुडे के मुताबिक दिल्ली के डीसीपी एस.के. सिंह ने दिए गए एक इंटरव्यू में कहा,
यह काफी हैरानी वाली बात है कि महिलाओं के खिलाफ अपराध से जुड़े कॉल्स राजधानी दिल्ली में बढ़ गए हैं। पहले हमें घरेलू हिंसा, छेड़छाड़ से संबंधित प्रतिदिन 900-1000 कॉल्स आते थे। वहीं, लॉकडाउन के बाद से प्रतिदिन लगभग 1000-1200 कॉल्स आ रहे हैं।
अन्य देशों में भी घरेलू हिंसा के मामले में हुई है बढ़ोतरी
लॉकडाउन में लोग काफी हद तक मानसिक तनाव से जूझ रहे हैं। यही वजह है कि भारत ही नहीं, बल्कि विश्व में कई ऐसे देश हैं जहां लॉकडाउन के बाद घरेलू हिंसा के मामले 30 से 40 प्रतिशत तक बढ़े हैं। जैसे- अमेरिका, फ्रांस, इटली, पेरिस, रुस, ब्रिटेन, चीन और ऑस्ट्रेलिया।
गौरतलब है कि महिलाओं के खिलाफ होने वाली घरेलू हिंसा को रोकने के लिए राष्ट्रीय महिला आयोग ने एक हेल्पलाइन व्हाट्सऐप नंबर जारी किया है। जिन महिलाओं को लॉकडाउन के कारण घरेलू हिंसा का सामना करना पड़ रहा है, वे व्हाट्सऐप नंबर 7217735372 पर मदद मांग सकती हैं।
मैंने पड़ोसी को हिंसा करते देखा है
मैंने खुद यह देखा है कि कैसे लॉकडाउन के इस अवधि में घर के बड़े परेशान होकर बच्चों को साथ हिंसा उर आमदा हो जाते हैं। मैंने यह भी देखा है कि छोटी-छोटी बातों पर पति-पत्नी के बीच लड़ाई हो जाती है।
मैं बात कर रही हूं अपने पड़ोस में रह रहे एक जोड़े की जो आमतौर पर लड़ाई नहीं करते हैं मगर लॉकडाउन के दौरान उन लोगों में लड़ाई इतनी बढ़ गई है कि अब वे छोटी-छोटी बातों को लेकर दिनभर लड़ते हैं। कभी-कभी तो मारपीट करने लगते हैं।
वहीं, कुछ लोग ऐसे भी हैं जो लॉकडाउन में अपने परिवार के साथ खुशी-खुशी समय व्यतीत कर रहे हैं। जिनको कभी वक्त नहीं मिलता था परिवार के साथ रहने का उनको अब वक्त मिल रहा है अपनो के साथ रहने और खुशियां बाटने का।
लॉकडाउन का नकारात्मक और सकारात्मक दोनों ही इम्पैक्ट है। आप कैसे अपना वक्त बिता रहे हैं, यह आप पर निर्भर कता है इसलिए घर पर रहिए, खुश रहिए और अपनों को भी खुश रखिए।
संदर्भ- दैनिक भास्कर, नवभारत टाइम्स, आज तक