निज़ामुद्दीन मरकज़ और तब्लीग़ी जमात, ये दो नाम आजकल टीवी और सोशल मीडिया पर लगातार सुनाई दे रहे हैं। मरकज़ का अर्थ होता है किसी भी एक सर्कल का केंद्र यानी कि सेंटर। दिल्ली स्थित मरकज़ निजामुद्दीन को कोविड-19 का एक हॉटस्पॉट माना जा रहा है।
अलामी मरकज़ जिसे प्रचलित तौर से निज़ामुद्दीन मरकज़ कहा जा रहा है वो तब्लीग़ी जमात का मुख्यालय है। तब्लीगी जमात भारत में शुरू हुआ एक इस्लामिक धार्मिक ग्रुप है।
मामला क्या है?
यहां हर साल एक समारोह होता है जिसमें दुनिया भर से तब्लीग़ी जमात के सदस्य आते हैं और धार्मिक चर्चा में हिस्सा लेते हैं। इस साल भी यह समारोह 13-15 मार्च तक आयोजित हुआ था जिसमें 2000 से ज़्यादा लोग शामिल थे। गौरतलब है कि इस वक्त दिल्ली सरकार ने कोरोना वायरस के संक्रमण को ध्यान में रखते हुए 200 से ज़्यादा लोगों के जमा होने से मना कर रखा था।
तब्लीग़ी जमात की ओर से जारी किए गए ब्यान में उन्होंने कहा है कि जनता कर्फ्यू का आदेश आने पर उन्होंने मरकज़ खाली कराना शुरू किया लेकिन यातायात की सुविधा ना होने पर तकरीबन हज़ार लोग वहां फंसे रह गए। जमात का यह भी कहना है कि लॉकडाउन होने पर उन्होंने मरकज़ खली कराने में पुलिस से मदद मांगी मगर कोई साधन उपलब्ध नहीं कराया गया।
20 मार्च को मरकज़ से तेलंगाना गए 10 इण्डोनेशिआई सदस्य कोविड-19 पॉज़िटिव पाए गए। अब तक देश भर में यह आंकड़ा 128 तक पहुंच चुका है। जिन राज्यों में तब्लीग़ी जमात के सदस्य गए हैं, उन राज्यों को गृह मंत्रालय ने जमात के सदस्यों को ट्रैक करने को कहा है।
दिल्ली में तब्लीग़ी जमात के आयोजकों के खिलाफ FIR दर्ज़ कर दी गई है और 1 अप्रैल की सुबह मरकज़ में मौजूद सारे लोगों को इवैक्यूएट कर क्वारंटाइन में ले जाया गया है।
617 लोगों को अस्पताल में भी भर्ती कराया गया है। यह बात ध्यान देने की है कि कई धार्मिक स्थल पर कोरोना वायरस के ऑउटब्रेक के बाद भी भीड़ लगने का सिलसिला जारी था और इसमें लगभग सभी धर्मों के स्थल शामिल हैं ऐसे में कोरोना वायरस के फैलने का खतरा कई गुना बढ़ने की सम्भावना है।