प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 21 मार्च से देशभर में लॉकडाउन किया है। इसके बाद से देशभर में सड़कों पर निजी वाहनों का चलना बंद सा हो गया है। सिर्फ ज़रूरी सामानों की ढुलाई करने वाले वाणिज्यिक वाहनों को ही सड़क पर उतरने की इजाज़त दी गई है। इसके साथ ही पूरे देश में निर्माण कार्य पर रोक है।
इससे पूरे देश के साथ-साथ दिल्ली और उसके आसपास के क्षेत्रों में प्रदूषण का स्तर काफी कम हुआ है। लॉकडाउन की वजह से पूरा भारत जैसे थम सा गया गया है। इसका सीधा असर दिल्ली-एनसीआर के मौसम और प्रदूषण स्तर पर दिख रहा है।
क्या कहती है रिपोर्ट?
वायु प्रदूषण पर काम करने वाली केंद्रीय एजेंसी ने लॉकडाउन के बाद से आठ अप्रैल तक प्रदूषण के आंकड़ों के अध्ययन पर अपनी रिपोर्ट पेश की है। इसमें बताया गया है कि हवा में पीएम 2.5 व पीएम 10 के साथ नॉक्स की मात्रा में तेज़ी से कमी आई है।
सफर ने अपनी रिपोर्ट दो चरणों में तैयार की है। पहली रिपोर्ट में एजेंसी ने एक से छह मार्च के वायु प्रदूषण के स्तर की तुलना अप्रैल के एक से छह अप्रैल के प्रदूषण आंकड़ों से की है।
जबकि दूसरी रिपोर्ट दिल्ली-एनसीआर में लॉकडाउन से पहले और लॉकडाउन के बाद हॉटस्पॉट की संख्या का अध्ययन किया है। इसके आधार पर निकाले गए आंकड़ों से पता चलता है कि प्रदूषण के स्तर में तेज़ी से गिरावट आई है।
मेरे शहर की हवाएं भी साफ हो गई हैं
लॉकडाउन के बीच काशी के पर्यावरण के लिए राहत भरी खबर है। शहर में पूरी तरह से बंदी होने के कारण हवा में घुला जहर अब गायब हो चुका है। प्रदूषक तत्वों की कमी होने से एयर क्वालिटी इंडेक्स 100 के नीचे चला गया है जो सामान्य है।
कोरोना संक्रमण की कड़ी को तोड़ने के लिए जारी लॉकडाउन के कारण शहर की सड़कें सुनसान हो गई हैं, कल-कारखाने भी बंद हैं। इसका सीधा असर प्रदूषण के स्तर पर पड़ा है। शहर की हवा में घुला हुआ जहर पूरी तरह से गायब हो चुका है।
कोरोना वायरस की वजह से देश में चल रहे लॉकडाउन और कल-कारखानों के बंद होने के चलते गंगा के पानी में काफी सुधार देखने को मिल रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 24 मार्च से 21 दिनों के लॉकडाउन के बाद से गंगा के पानी में 40-50 प्रतिशत का सुधार हुआ है।
आईआईटी बीएचयू के प्रोफेसर डॉ पीके मिश्रा ने कहा,
15-16 मार्च को हुई बरसात के बाद गंगा के जलस्तर में भी वृद्धि हुई है। अगर हम लॉकडाउन के पहले और बाद के हालात पर नज़र डालें तो बदलाव साफतौर पर देखा जा सकता है।
क्या कहती है केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट?
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के ताजा डाटा के अनुसार, 103 शहरों में से 90 से अधिक शहरों में पिछले कुछ दिनों में न्यूनतम वायु प्रदूषण दर्ज़ किया गया है।
जानकारों ने इसे वेक-अप कॉल के रूप में लिया है और इसे आगे जारी रखने के लिए मौजूदा हालातों से सीख लेनी की बात कही है। इसके तहत सरकार ने लोगों से घरों में रहने और अनावश्यक यात्रा से बचने का आग्रह किया है।
कई रिपोर्ट में यह बताया गया है कि दिल्ली-एनसीआर में एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) पिछले छह सालों के सबसे बेहतर स्तर पर पहुंच गया है।
दिल्ली-एनसीआर के सबसे प्रदूषित माने जाने वाले बाहरी दिल्ली के शाहदरा इलाके में एक्यूआई 13 तक पहुंच गया है, जो 27 मार्च को दिल्ली में सबसे साफ हवा की स्थिति दिखाता है।
पर्यावरणविदों का क्या कहना है?
पर्यावरण के जानकारों का कहना है कि लॉकडाउन के बाद एयर क्वालिटी इंडेक्स में कमी आना पर्यावरण के लिए अच्छी बात है। सड़कों पर मोटर वाहनों के कानफोड़ू हॉर्न नहीं बजने के कारण हमें तरह-तरह के पक्षियों के आवाज सुनने को मिल रहे हैं।
वाहनों के धुएं से निकलने वाले कार्बन डाइआक्साइड (सीओ-टू), सल्फर डाइऑक्साइड (एसओटू) एवं नाइट्रोजन ऑक्साइड (एनओटू) की मात्रा में कमी आई है। इस वजह से एक्यूआइ कम हुआ है।
ग्रीनपीस की रिपोर्ट क्या कहती है?
ग्रीनपीस ने एक रिपोर्ट जारी किया है, जिसमें देश के 25 प्रदूषित शहरों का आकलन किया गया है। यह आकलन 24 मार्च से 4 अप्रैल 2019 और 2020 के दौरान किया गया है।
ग्रीनपीस ने अपनी रिपोर्ट वर्ल्ड एयर क्वॉलिटी-2019 में दावा किया था कि दुनिया के 25 प्रदूषित शहरों की लिस्ट में 17 शहर भारत के हैं। इनमें गाज़ियाबाद सबसे ऊपर था। उसके बाद नोएडा, गुरुग्राम, ग्रेटर नोएडा को टॉप 10 प्रदूषित शहरों में शामिल किया गया था। जबकि इस रिपोर्ट में दिल्ली को पांचवां स्थान मिला था।
ग्रीनपीस का कहना है, “सीपीसीबी डेटा के आधार पर इस बार हमने देश के 14 सबसे प्रदूषित शहरों का आकलन किया है। इनमें से आधे शहरों में प्रदूषण 50 प्रतिशत से भी अधिक कम हुआ है जिनमें गाज़ियाबाद, दिल्ली, नोएडा, गुरुग्राम, ग्रेटर नोएडा, लखनऊ, बुलंदशहर, मुजफ्फरनगर, फरीदाबाद और पलवल शामिल हैं।”
सरकार द्वारा संचालित सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च (सफर) केके एक वैज्ञानिक ने कहा कि आमतौर पर मार्च में प्रदूषण मध्यम श्रेणी (एयर क्वालिटी इंडेक्स रेंज : 100-200) में होता है, जबकि वर्तमान में यह संतोषजनक (एक्यूआइ 50-100) या अच्छी (एक्यूआइ 0-50) श्रेणी का है।
उन्होंने कहा कि यह लॉकडाउन का प्रभाव है। उद्योग, निर्माण और यातायात को बंद करने जैसे स्थानीय कारकों ने वायु की गुणवत्ता को सुधारने में योगदान दिया है।
नोट: YKA यूज़र रिज़वाना द्वारा यह लेख इससे पहले खबर लहरिया पर प्रकाशित किया जा चुका है।