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“लॉकडाउन में मैंने हर वह सपना पूरा किया जो मेरे भीतर कई दशकों से दबा पड़ा था”

Corona Pandemic

विकास शर्मा

‘कोरोना’ एक ऐसी समस्या है जिससे आज कोई अछूता नहीं है। प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष तौर पर सभी इसकी मार झेल रहे हैं। कोरोना के बारे में तो हम सभी बहुत कुछ जानते ही हैं।

इसके कारण, उपाय, रोकथाम आदि के बारे में ज़्यादा बात नहीं करके उसी के कुछ सकारात्मक पहलुओं को आपके साथ साझा करना चाहता हूं।

हर घटना नकारात्मक एवं सकारात्मक प्रभावों को जन्म देती हैं

हालांकि इस महामारी के कारण जो क्षति संपूर्ण मानव जाति को हुई है, वह भी अपूर्णिय है मगर हर घटना कुछ नकारात्मक एवं कुछ सकारात्मक प्रभावों को जन्म देती हैं।

अभी आधे से ज़्यादा विश्व लाॅकडाउन के कारण अपने घरों में है। इस दौरान हमने नकारात्मकता का अनुभव ज़्यादा किया होगा। इंसानी प्रवृत्ति बंद वातावरण में नहीं अपितु स्वछंद वातावरण में जीने की आदी है। ऐसे में घरों में लम्बे समय तक बंद रहने से लोग गंभीर अवसाद एवं अनचाही बीमारियों से ग्रसित हो सकते हैं।

सकारात्मक दृष्टिकोण से समस्याओं का समाधान

कुछ ऐसी ही समस्याओं का समाधान आपके साथ साझा करना चाहता हूं। मेरे लेख के अंत में इस दौरान किया गया मेरा वास्तविक अनुभव भी आपके साथ साझा करूंगा।

वह एक घटना का वृतांत है, जिसको मैंने तब महसूस किया जब इस लाॅकडाउन के दौरान मुझे आवश्यक सेवाओं के लिए अपने कार्यालय में कार्यभार संभालना पड़ा।

कोरोना ने हमें कुछ अमूल्य उपहार भी दिए हैं

कोरोना ने हमें बहुत कुछ अमूल्य उपहार दिए हैं जिन्हें हमें आने वाले भविष्य में संभालकर रखने होंगे। इस लाॅकडाउन के दौरान मुझे व्यक्तिगत तौर पर बहुत से उपहार मिले एवं मैंने अपने भीतर के वास्तविक व्यक्तित्व को पहचाना।

उनमें से ही कुछ चुनिंदा उदाहरणों को मैं एक-एककर आपके सामने रख रहा हूं। आइए जानते हैं वे अमूल्य उपहार क्या हैं?

प्रकृति का नवजीवन

जैसा कि हम सभी ने यह महसूस किया है कि लाॅकडाउन के कारण बाहरी वातावरण में अभूतपूर्व बदलाव हुए हैं। जो कि हमारे लिए बहुत ही सकारात्मक एवं लाभदायी हैं। हमने अखबारों एवं सोशल मीडिया के माध्यमों से बहुत सी खबरें देखी होंगी जिनमें वातावरण में उच्च स्तर पर घटे पर्यावरण प्रदूषण का ज़िक्र मिलता है।

दिल्ली, मुंबई, चेन्नई जैसे महानगरों में जिनको गैस चैम्बर बोला जाता था, आज बिल्कुल साफ नीले आसमान दिखाई पड़ रहे हैं। गंगा, यमुना जैसी नदियां जो इतनी मैली और प्रदूषित हो चुकी थीं कि सरकारों को उनके लिए अलग से नीतियां बनानी पड़ रही थीं।

आज एकाएक निर्मल एवं स्वच्छ रूप में लौट आई हैं। मानो इन्हें जीवनदान मिल गया हो। पंजाब से दिख रहे हिमालय के शिखर इस बात का गवाह हैं कि प्रकृति का रूपान्तरण किस स्तर तक हुआ है। थमे हुए धुएं और हवा से गायब जहर के कारण हम स्वच्छ सांसें ले पा रहे हैं।

मानवीयता का प्रसार

संकट की इस घड़ी में सामान्य जनमानस के भीतर मानवीयता बढ़ी है। प्रतिदिन बढ़ते वैमनस्य के बीच कोरोना ने पूरे देश को एकता के सूत्र में बांधा है। आम से लेकर खास सभी लोग इस महामारी से लड़ने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं। सभी लोग किसी ना किसी माध्यम से लोगों की सेवा, सहयोग एवं आर्थिक मदद के लिए आगे आए हैं।

इससे हमारे भीतर मानवीयता की सेवा का भाव जगा है। मानवीयता की इस भावना ने इस लड़ाई को जीतने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हालांकि यह लड़ाई अभी कितनी लम्बी चलेगी यह अनुमान लगाना मुश्किल है फिर भी मैं सभी से यही अपील करना चाहूंगा कि अपने आस-पास यदि कोई ऐसा व्यक्ति है जिसे आपकी मदद की आवश्यकता है, तो उसकी मदद ज़रूर करें।

व्यक्तित्व निर्माण

शायद ही कभी हमनें अपने जीवन में खुद के लिए इतना समय दिया होगा कि हम अपने भीतर के इंसान को जान पाए हों। कोरोना ने भले हमें लॉकडाउन में अंदर बंद कर दिया हो मगर यह मेरे लिए तो एक बेहतरीन समय साबित हो रहा है। इस समय को मैंने मेरे लिए जिया है, मैंने मेरा प्रत्येक वह सपना पूरा किया जो मेरे भीतर कई दशकों से दबा पड़ा था।

बहुत से लोग इस समय को स्वयं के निर्माण में लगा रहे हैं। खुद की रुचियां, दिनचर्या ने लोगों को एक नए जीवन का एहसास करवाया है। जो कि हमारी ज़िन्दगी में एक सकारात्मक प्रभाव छोड़कर जाएगा। लाॅकडाउन के दौरान मैंने अपने कुकिंग पैशन को जिया है।

चूंकि मैं एक लेखक हूं तो मैंने अपनी किताब को पूरा किया जो कि जल्दी ही प्रकाशित होने वाली है। भिन्न क्रियाकलापों द्वारा लोगों ने अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव किए हैं जो कि पहले वाली भागदौड़ भरी ज़िन्दगी में शायद संभव नहीं था।

देश का संघीय ढांचा

केंद्र सरकार हो या राज्य सरकारें कोरोना की लड़ाई ने इस देश के संघीय ढांचे को मज़बूत आधार दिया है। सभी सरकारों का केंद्र के साथ समन्वय एवं दिखाई देने वाली एकरूपता ने हमें हमारे देश के लोकतंत्र के अभूतपूर्व दर्शन करवाए हैं।

कोरोना युद्ध में सभी सरकारों ने अपने आपसी मतभेद भुलाकर एक सुर में जो फैसले लिए हैं वे सामान्य जनमानस के लिए हितकारी साबित हुए।

वैश्विक सहयोग

आंकड़ों को उठाकर देखा जाए तो कुछ देशों को छोड़कर लगभग प्रत्येक देश कोरोना की जद में है। ऐसे में वैश्विक स्तर पर विभिन्न देशों के मध्य एवं भारत के दृष्टिकोण से देखा जाए तो हमने वसुधैव कुटुम्बकम् नीति का अनुसरण करते हुए अन्य देशों की मदद की है।

फिर वह चाहे हाईड्रोक्सीक्लोरोक्वीन का निर्यात हो या सार्क देशों के लिए आर्थिक मदद ही क्यों ना हो। इस संदर्भ में मैं एक छोटे से देश का ज़िक्र करना चाहूंगा जिसके बारे में मैने इस दौरान पढ़ा, वह देश है क्यूबा।

आर्थिक तौर पर देखा जाए तो क्यूबा की हालत बहुत अच्छी नहीं कही जा सकती मगर क्यूबा ने अनेक देशों में अपने डाॅक्टर्स को भेजकर इस संकट के दौर में एक बेहतरीन मिसाल पेश की है। इसी प्रकार कई देशों के आपसी सहयोग का दृश्य देखने को मिला जो कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को और सुदृढ़ बनाता है।

सामाजिक नवीनीकरण

हालिया आंकड़ों की मानें तो अपराधों और दुर्घटनाओं में बहुत कमी देखी गई है। हमारे समाज में व्याप्त बहुत सी बुराईयों का अंत इस कोरोना लाॅकडाउन के ज़रिये मुझे देखने को मिला जिसमें सड़क हादसे, बलात्कार, हत्या, डकैती जैसे अपराधों का ग्राफ तेज़ी से नीचे गया।

हालांकि इसका कोई भी यह तर्क दे सकता है कि जब वापस ज़िन्दगी सामान्य होगी ये तेज़ी से बढ़ेंगे। हां, क्यों नहीं! बढ़ सकते हैं लेकिन यदि हम देखें, समझे और समाज को यह संदेश देने की कोशिश करें कि हमारी ज़िम्मेदारियों का यदि हमें एहसास हो तो ऐसे अपराधों में कमी लाई जा सकती है।

उदाहरण के तौर पर यदि मैं बताना चाहूं कि भारत में हर 4 मिनट में एक इंसान अपनी जान सड़क हादसे में गंवा देता है। भले यह हमें इतना महत्वपूर्ण ना लगे लेकिन पिछले 21 दिन के दौरान हमने घरों में रहकर 7560 अनमोल जीवन तो बचा ही लिए।

मितव्ययी जीवन

इस लाॅकडाउन के दौरान मैंने जो सबसे महत्वपूर्ण बदलाव अपनी ज़िन्दगी में महसूस किया वो यह कि इसने मुझे मितव्ययी बनाया है। सीमित संसाधनों में भी बेहतर जीवन जीने की कला इस दौरान मैंने सीखी।

व्यर्थ के धन खर्च से भी मुझे कभी जीवन में ऐसा सुःखद एहसास नहीं हुआ जो इस समय ने मुझे दिया। खुद के खर्च से किसी की सहायता करना सिखाया, एक-दूसरे की मदद करना सिखाया और यदि मैं कहूं कि तीर्थ का असली एहसास करवाया तो भी शायद गलत नहीं होगा।

मेरी अपील

ये कुछ सकारात्मक बदलाव मुझे अनुभव करने को मिले। मैं आशा करता हूं कि आप सभी भी इस समय का बेहतरीन इस्तेमाल कर रहे होंगे। मैं सभी से एक ही अपील करना चाहूंगा कि यदि आप सक्षम हैं तो किसी ज़रूरतमंद की मदद ज़रूर करें।

घर पर रहें सुरक्षित रहें, आखिर हम 130 करोड़ भारतीय ही 130 करोड़ भारतीयों को बचा सकते हैं। प्रकृति ने जो अपना स्वरूप बदला है, हम उसको भविष्य में बनाए रखने का प्रण लें।

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