देश के प्रधानमंत्री कोरोना से लड़ने के लिए एकजुट होने की बात कर रहे हैं। सबको सहयोग करने की बात कर रहे हैं। सबका साथ देने की बात कर रहे हैं मगर लगता है उनकी पार्टी के लोग ही उन्हें सुनने को तैयार नहीं हैं।
सभी केवल राजनीति किए जा रहे हैं। कोरोना संकट के बीच बीजेपी महाराष्ट्र में राजनीति कर रही है, जहां सबसे ज़्यादा कोरोना से संक्रमित केस हैं। यह समय केंद्र सरकार और राज्य सरकार को मिलकर काम करने का है मगर बीजेपी इस मौके का फायदा उठाना चाहती है।
जो अच्छा काम कर रही है उसे सहयोग करने के बजाय महाराष्ट्र सरकार राजनीति में फंसाना चाहती है। उसे अस्थिर करना चाहती है।
महाराष्ट्र कैबिनेट ने उद्धव ठाकरे को राज्यपाल द्वारा विधायक बनाने का प्रस्ताव भेजा
ज्ञात हो कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री विधानसभा और विधानपरिषद के विधायक नहीं हैं और उनको शपथ लेकर अभी 5 महीनों से ज़्यादा का समय हुआ है।
6 महीने के भीतर उन्हें मुख्यमंत्री पद पर रहने के लिए विधायक बनने की ज़रूरत है मगर कोरोना की वजह से हुए लॉकडाउन में विधानपरिषद के चुनाव नहीं हो पाए हैं।
इसी वजह से महाराष्ट्र कैबिनेट ने महाराष्ट्र के राज्यपाल को उद्धव ठाकरे को राज्यपाल के द्वारा विधायक बनाने का प्रस्ताव भेजा है। महाराष्ट्र के राज्यपाल ने अभी तक कोई फैसला नहीं किया है।
जब राज्यपाल द्वारा रातोंरात राष्ट्रपति शासन हटा
ये वही राज्यपाल हैं जिन्होंने कुछ महीनों पहले देवेंद्र फडणवीस को सुबह-सुबह मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई थी। इसके लिए रातोंरात राष्ट्रपति शासन हटाया गया था।
मैंने तब भी इस मामले में इस शीर्षक, “क्या असंवैधानिक तरीके से बनी है महाराष्ट्र में BJP की सरकार?” के साथ लेख लिखा था।
क्या राज्यपाल भाजपा की राजनीति का हिस्सा बन रहे हैं?
महाराष्ट्र के राज्यपाल ने तब भी सुबह-सुबह किसी को खबर होने से पहले देवेंद्र फडणवीस को शपथ दिलाकर राजनीति से प्रेरित काम किया था। अब कैबिनेट के प्रस्ताव के बावजूद कोरोना हेल्थ इमरजेंसी में भी उद्धव ठाकरे को विधायक बनाने का फैसला नहीं कर रहे हैं। यहां भी वो बीजेपी की राजनीति का हिस्सा बन रहे हैं।
ऐसा लग रहा है कि बीजेपी आज राज्यपाल के संवैधानिक पद का दुरुपयोग कर रही है। बाबा साहेब अंबेडकर ने जो कहा था वह सच साबित होता हुआ दिखाई दे रहा है। आज की परिस्थिति में महाराष्ट्र के राज्यपाल को लोगों के हित में फैसला लेना चाहिए ना कि बीजेपी का हित देखना चाहिए।
उन्हें संवैधानिक पद की गरिमा को बनाए रखने के लिए कोरोना के संकट में महाराष्ट्र के हित में जल्द-से-जल्द फैसला लेना चाहिए।
महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस जो विरोधी दल के नेता हैं, वो बार-बार राज्यपाल से मिल रहे हैं। ऐसा भी कहा जा रहा है कि देवेंद्र फडणवीस की राज्यपाल से मिलने की वजह राजनीति करना है।
फडणवीस ने कहा था कि मुख्यमंत्री सहायता फंड में नहीं, पीएम केयर फंड में लोग अपना योगदान दें और ऐसा उन्होंने किया भी। देवेंद्र फडणवीस सरकार को सहयोग करने के बजाय राज्यपाल से सरकार की शिकायत कर रहे हैं और तो और कह रहे हैं कि महाराष्ट्र में आपातकाल जैसे हालात हैं।
अभिव्यक्ति की आज़ादी खतरे में है: फडणवीस
अभिव्यक्ति की आज़ादी खतरे में है, यह बात फडणवीस ने अर्नब गोस्वामी की महाराष्ट्र पुलिस द्वारा की गई पूछताछ के बाद राज्यपाल से मिलकर कहा।
इससे पहले केंद्र सरकार की आलोचना करने के बाद जब कई पत्रकारों को जॉब से निकाला गया तब तो देवेंद्र फडणवीस को अभिव्यक्ति की आज़ादी और प्रेस फ्रीडम पर खतरा नहीं दिखाई पड़ा। आज अर्नब गोस्वामी जैसे ‘ट्रोल’ पत्रकार के लिए राज्यपाल से देवेंद्र फडणवीस मिल रहे हैं।
पालघर की घटना को भी बीजेपी और अर्नब गोस्वामी ने सांप्रदायिक बनाने की कोशिश की और राजनीति की गई। मैं यहां बताना चाहता हूं कि किसी भी तरह की मॉब लिंचिंग गलत है। किसी को भी इसे जस्टिफाई नहीं करना चाहिए। सबको मिलकर इस मॉब लिंचिंग करनेवाली मानसिकता को खत्म करने की कोशिश करनी चाहिए और जो दोषी पाए गए हैं उनको सख्त सजा मिलनी चाहिए।
क्यों मैं अर्नब गोस्वामी को ट्रोल पत्रकार कह रहा हूं
अब तो अर्नब गोस्वामी को पत्रकार कहना पत्रकारिता का अपमान लग रहा है। इसलिए मैं उन्हें ट्रोल पत्रकार कह रहा हूं। जो रोज़ खुलेआम न्यूज़ के नाम पर प्रोपेगेंडा चलाते हैं, सरकार से कभी सवाल नहीं पूछते, सभी सवाल विरोधी दल से पूछते हैं, वो पत्रकार नहीं हो सकते हैं।
इनकी डिबेट सांप्रदायिक होती है जिसके ज़रिये वो समाज को आपस में लड़ाने की कोशिश करते हैं। बिना किसी सबूत के वो बीजेपी के विरोधियों पर हमला करते हैं। इनका चैनल इंस्टीच्यूश्नल ट्रोल सेंटर है, जो बीजेपी के लिए काम खुलेआम करता है। देवेंद्र फडणवीस को ऐसे ट्रोल से ज़्यादा कोरोना संकट में लोगों से जुड़े मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए।
आज महाराष्ट्र में कोरोना के सबसे ज़्यादा मरीज़ हैं
बीजेपी यह जताना चाहती है कि कैसे महाराष्ट्र सरकार स्थिति को संभल नहीं पा रही है। उद्धव ठाकरे जिस तरह से कोरोना संकट में काम कर रहे हैं, उसकी सराहना लगातार महाराष्ट्र के लोग कर रहे हैं। यही वजह है कि बीजेपी महाराष्ट्र सरकार को सहयोग के बजाय राजनीति कर रही है।
फरवरी और मार्च में कोरोना को लेकर केंद्र सरकार की गलत नीतियां, विदेश से आने वाले लोगों की सही तरीके से स्क्रीनिंग ना होना और क्वारंटाइन करने में केंद्र सरकार का नाकामयाब रहने से ही आज मुंबई और दिल्ली जैसे शहरों में सबसे ज़्यादा कोरोना संक्रमित हैं?
इसके लिए राज्य सरकार से ज़्यादा केंद्र सरकार ज़िम्मेदार है। आज महाराष्ट्र के हिस्से का GST फंड केंद्र सरकार महाराष्ट्र को नहीं दे रही है, जो महाराष्ट्र को बहुत पहले मिलना चाहिए था।
मै यहां प्रधानमंत्री मोदी जी से निवेदन करता हूं कि महाराष्ट्र में जो बीजेपी राजनीति कर रही है, उसे रोका जाए। महाराष्ट्र सरकार को अस्थिर करने की कोशिश ना हो। महाराष्ट्र को इस संकट में पूरा सहयोग करें और महाराष्ट्र को GST का उनका हिस्सा जल्द-से-जल्द मिले।
कोरोना की लड़ाई में अगर राजनीति होगी तो लड़ाई कमज़ोर हो सकती है। अभी तक हमारे देश ने स्थिति को नियंत्रण में रखा है। अब किसी भी तरह की गलती हम नहीं कर सकते हैं, उम्मीद है आप अपनी पार्टी को यह समझाएंगे।