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रोड में चरोटा बिछाने पर बढ़ा दुर्घटनाओं का ख़तरा

क्या होता है चरोटा

चरोटा एक आयुर्वेदिक पौधा है, जिसका जड़ और पत्ता, दोनो आयुर्वेदिक जड़ी बूटी के रूप मे उपयोग होता है।

यह कई प्रकार के रोग जैसे कि खाज-खुजली व दाद में काम आता है। इसके बीज को पीस कर कुसुम तेल के साथ लगाने से खाज-खुजली व दाद जड़ से खत्म हो जाता है। बताया जाता है कि जिसको डायबिटीज़ है, वह चरोटा की जड़ को 50 ग्राम उखाड़ कर, दो गिलास पानी में उबालें; इतने टाइम तक उबालते रहे कि वे दो गिलास पानी एक कप करीब बचना चाहिए, उसके बाद उस पानी को छान के पीना चाहिए। इस तरह से चरोटा का पानी एक माह तक पीने से आपको अंदाजा हो जाएगा कि आपके शरीर में कितना सुधार आया है। तीसरा फायदा, चरोटा के पत्ते में कई प्रकार के प्रोटीन तत्व रहते हैं। इसलिए जंगल के आदिवासी लोग चरोटा के कोमल पत्ते को सब्जी बनाकर भी खाते हैं। इसकी पत्तियां बरसात के समय गांव में आसानी से कहीं भी मिल जाती है। शहरों में भी रोड के किनारे में कहीं कहीं देखने को मिलता है। चौथा फायदा, चरोटा को काट के लाते हैं और बीज को अलग करते हैं। उसकी शाखा को कई लोग खाद के रूप में उपयोग करते हैं, तो कई लोग इसे ईंट पकाने के लिए इंधन के रूप में उपयोग करते है।

चरोटा से ग्रामीण रोज़गार

चरोटा जंगल में, बाड़ी में, रोड किनारे में, एवं खेत-खार में, सब जगह पाया जाता है। जून-जुलाई में चरोटा का पौधा उग जाता है और गांव में रहने वाले लोगों के लिए एक रोज़गार प्रदान करता है। अगस्त- सितंबर में गांव के लोग इसकी भाजी की सब्जी बनाकर खाते हैं, जो कई प्रोटीन तत्व से भरी होती है और इसे खाने से लोग स्वस्थ रहते हैं।  ये बहुत ही स्वादिष्ट भी होती है। फिर नवंबर-दिसंबर में चरोटा का बीज पक जाता है, जिसे लोग काट कर मार्केट में या दुकान में बड़ी आसानी से बेचते है। चरोटा के बीज का रेट ₹11.00 से ₹20.00 प्रति किलो रहता है। चरोटा के बीज मे काफी वजन होने के कारण निस्तार करने वाले को अच्छा लाभ हो जाता है।

चरोटा इकट्ठा करती हुई महिला

कैसे बढ़ी चरोटा से दुर्घटनाएँ

छत्तीसगढ़ में लगभग हर जगह लोग चरोटा का निस्तार करते हैं। चरोटा के बीज को मार्केट में खरीदा जाता है। इसकी छोटी-छोटी शाखाओं को लोहे की हंसिया एवं औज़ार से काटा जाता है, जिसके कारण चरोटा की सूखी शाखा धार-धार हो जाती है। जंगल से काट कर लाने की बाद रोड पर बिछा देते हैं। रोड पर रखने पर, कई प्रकार के वाहन जैसे बस, ट्रैक्टर, कार, मोटरसाइकिल, साइकिल, आदि चलते हैं, जिससे रोड पर बिछाए हुए चरोटा के बीज आसानी से निकल जाते है और ज्यादा मेहनत करने की जरूरत नहीं पड़ती।

रोड पर बिछा हुआ चरोटा

चरोटा के ऊपर से जब कोई भी वाहन गुजरता है, तो चरोटा की शाखा रोड से चिपक जाती है, और उसमें फिसलन क्षमता बढ़ जाती है। चरोटा के बीज मे उसकी शाखा से भी ज्यादा फिसलन होती है, तो जैसे ही ब्रेक मारते है, बाइक फिसल कर गिर जाती है। अन्यथा, साइड देने के वक्त भी चरोटा से बाइक चालक के लिए खतरे की संभावना बनी रहती है। दूसरी बात, कई बदमाश लोग चरोटा के नीचे पत्थर वगैरह डाल देते हैं, जिससे पता नहीं चलता और मोटरसाइकिल वाले लोग उसी पत्थर के ऊपर चढ़ा देते हैं, जिससे कई दुर्घटना होने की संभावना अधिक बढ़ जाती है। यह बीज मोटरसाइकिल एवं साइकिल के टायर को भी छेद करने में सक्षम रहता है, अर्थात टायर पंचर हो जाता है। गांव क्षेत्र में मोटरसाइकिल ठीक करने वाले भी बहुत कम मिलते हैं, और लोगो को परेशानी का भारी सामना करना पड़ता है।

लोग अपनी सुख सुविधा को देखते हुए चरोटा को रोड पर बिछा देते हैं पर इससे रोड पर चलने वाले लोगों को खतरे का भारी सामना करना पड रहा है, और कई दुर्घटनाएँ हो रही है। इसलिए लोगों का कहना है कि चरोटा को रोड पर ना सुखाएं।

रोड में इस तरह के काम करने वालों के ऊपर शासन प्रशासन को भी एक्शन लेना चाहिए, अर्थात हर ग्राम पंचायत  के सरपंच सचिव को भी उचित कार्यवाही करनी चाहिए। कम-से-कम सरपंच सचिव लोग अपने-अपने पंचायत को कह के इससे बंद कराते, तो भी यह सब बंद हो जाता, लेकिन इस पर कोई ध्यान देना नहीं चाहता। अन्यथा, रोड पर बिछाने वालों को भी ध्यान रखना चाहिए की इससे कई बडे हादसे हो सकते है। रोड पर बिछाने वाले व्यक्तियों को ऐसा ना करने की समझदारी होनी चाहिए।

यह जानकारी खगेश्वर, मरकाम ग्राम के गांव, पोस्ट थाना पीपरछेंडी, जिला गरियाबंद, छत्तीसगढ़ द्वारा प्राप्त हुई है ।

 

लेखक के बारे में- खगेश्वर मरकाम छत्तीसगढ़ के मूल निवासी हैं। यह समाज सेवा के साथ खेती-किसानी भी करते हैं। खगेश का लक्ष्य है शासन-प्रशासन के लाभ आदिवासियों तक पहुंचाना। यह शिक्षा के क्षेत्र को आगे बढ़ाना चाहते हैं।

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