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जानिए त्रिपुरा आदिवासियों के मनपसंद व्यंजन एलेंगचा के बारे में

जैसा कि आप जानते होंगे, आदिवासी जनता आसपास के प्राकृतिक संसाधनों से ही अपने रोज़ के खाने पीने का प्रबंध करती है। ऐसे ही एक व्यञ्जन है एलेंगचा (Elengcha)। यह जल-स्त्रोत जैसे कि नदी, तालाब, या फिर पोखरी (गाँवों में बहती छोटी-सी झील) के किनारे उगे खेतों में उगता है। एलेंगचा एक आर्गेनिक यानि कि पूरी तरह से प्राकृतिक और शुद्ध खाद्य पदार्थ है।त्रिपुरा के बाज़ारों में एलेंगचा दस रूपये तक में मिल जाता है। इसे बेचकर गाँव के लोगों कि थोड़ी आमदनी भी हो जाती है। 

एलेंगचा/Elengcha

एलेंगचा खेत से तोड़कर घर लाकर पकाया जाता है। पकाने से पहले एलेंगचा को बीनकर काटते हैं। फिर इसे पानी से 3-4 बार धोकर साफ़ किया जाता है। इसके जिस हिस्से को पकाया जाता है उसे elengcha saimani बोलते हैं।

त्रिपुरा का गाँव-वासी देबोजीत एलेंगचा ( Elengcha kholmani) तोड़ते हुए
त्रिपुरा का गाँव-वासी देबोजीत एलेंगचा ( Elengcha kholmani) तोड़ते हुए

एलेंगचा को पकाने के लिए हरी मिर्च (moso kwthang), हल्दी (swtwi), नमक (som), लहसुन (risom),प्याज़ (piyojo),  छोटी किण्वित मछली (Berma),और किण्वित बड़ी मछली (Loita kwran) को मिलाया जाता है।

Elengcha को पकाने की सामग्री

 

Elengcha saimani

किण्वित बड़ी मछली को पहले अलग से थोड़ा तल कर रख लिया जाता है। अब तेल को गर्म करके उसमें तली हुई बड़ी किण्वित मछली के साथ साथ बाकी सारी बताई गई सामग्री भी डाल कर एक मिश्रण तैयार कर लेंगे। याद रखिये कि इसे अभी आधा ही पकाना है, इसलिए थोड़ी देर यानि 3- 4 मिनट से ज़्यादा न पकाएं। अब इसमें एलेंगचा डाल दें और 2- 3  मिनट के लिए बर्तन को ढँक कर और पकाएं। अब ढक्कन हटा कर देखें कि सब अच्छे से पक गया या थोड़ा और पकाने की और ज़रूरत है। अगर ज़रूरत लगे तो तीस सेकंड से एक मिनट तक इसे और पकने दें। 

त्रिपुरा में  हंगराई (Hangrai ) यानि मकर संक्रांति, Maikhwlai rwmajaga (त्रिपूरा के आदिवासियों द्वारा आयोजित पूजा समारोह) जैसे जनजातीय उत्सव व सांस्कृतिक कार्यक्रमों  के दौरान एलेंगचा Mai awang (हल्के गीले चावल/sticky rice) के साथ परोसा जाता है।

पककर तैयार एलेंगचा / ‌ Elengcha songui munjak

एलेंगचा का स्वाद करेले के स्वाद जैसा होता है और यह सेहत के लिए भी बहुत अच्छा होता है। आप भी एलेंगचा को अपने घर पर ज़रूर बनाकर खाएं और हमें बताएं यह आपको कैसा लगा।

 

About the author: Khumtia Debbarma is a resident of the Sepahijala district of Tripura. She has completed her graduation and wants to become a social worker. She spends her free time singing, dancing, travelling and learning how to edit videos.

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