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एयरक्राफ्ट एक्ट में संशोधन की ज़रूरत सरकार को आखिर क्यों पड़ी?

अमित शाह और नरेन्द मोदी

अमित शाह और नरेन्द मोदी

भारत में आज भी लोग अपने जीवन में एक बार हवाई जहाज़ की यात्रा करना चाहते हैं। हर किसी का पहला हवाई जहाज़ का सफर यादगार होता है।

अगर आपने लगातार हवाई यात्रा की है या फिर भविष्य में करने की आपकी इच्छा है, तो आपको हवाई यातायात कानून में हुए बदलावों को समझना चाहिए।

एयरक्राफ्ट संशोधन कानून क्या है?

अमित शाह और नरेन्द मोदी। फोटो साभार- सोशल मीडिया

इस संशोधन को पहले लोकसभा में चर्चा के लिए प्रस्तुत किया गया। कैबिनेट की मंज़ूरी मिलने के बाद कल यह बिल लोकसभा में पास हो गया है। इस एक्ट की खास बात यह है कि अब विमान में हंगामा करने पर या हवाई सफर को खतरे में डालने पर एक करोड़ का जुर्माना लगेगा, जो  कि पहले 10 लाख था।

बात साफ है कि अब यात्रियों द्वारा नियमों का पालन ना करना और एयर होस्टेस के साथ-साथ अन्य कर्मिचारियों के साथ किसी भी तरह का दुर्व्यवहार करना महंगा पर सकता है। विमान में किसी भी तरह की अफवाहों को फैलाने से भी बचना होगा।

अन्यथा वह यात्री नए कानून का शिकार हो जाएगा। नए एक्ट के तहत नागरिक उड्डयन मंत्रालय, मौजूदा डायरेक्टर जनरल ऑफ सिविल एविएशन, ब्यूरो और सिविल एविएशन सिक्योरिटी और एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इंवेस्टिगेशन ब्यूरो के किसी भी आदेश की समीक्षा कर सकता है।

सांसदों ने क्या कहा?

आपको बता दें कि कानून में नए संशोधन के बाद इंटरनैशनल सिविल एवियशन ऑर्गेनाइज़ेशन (ICAO) की सुरक्षा संबंधित शर्तें पूरी हो पाएंगी। 2012 और 2015 में ICAO द्वारा परीक्षण (ऑडिट) के बाद कानून में बदलाव की ज़रूरत को महसूस किया गया था।

बिल को पास करते वक्त समर्थन कर रहे सांसदों ने कहा कि इस कानून के ज़रिये महिला यात्रियों को सुरक्षा मिलेगी। अन्य सांसदों ने कहा कि कानून का दुरुपयोग ना हो यह सुनिश्चित किया जाए।

अत: इस लेख के ज़रिये मैं आपसे जानना चाहूंगा कि आम नागरिक के तौर पर इस कानून के बारे में आपकी क्या राय है? इतना बड़ा ज़ुर्माना लगाना ठीक है क्या?

यात्रियों को हवाई सफर में उत्तरदाई बनाने के लिए क्या यह कदम ज़रूरी था? इन सवालों पर विचार करें।


संदर्भ- आज तक

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