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क्या है प्लास्टिक के इस्तेमाल को रोकने के लिए शुरू किया गया अनोखा ‘बर्तन बैंक’?

फोटो साभार- सोशल मीडिया

फोटो साभार- सोशल मीडिया

नोएडा सेक्टर 50 में रहने वाली 66 वर्षीय मधु मित्तल ने जब प्लास्टिक को लोगों की रगों में घुलता देखा तो उन्होंने बर्तन बैंक की नींव रखी। जिसमें वह लोगों को बर्तन उपलब्ध करवाती हैं ताकि वातावरण की सुरक्षा हो सके और प्रदूषण को रोका जा सके।

मधु ने वनस्थली विद्या पीठ से ग्रेजुएशन की पढ़ाई की है और आर.जे कॉलेज, मेरठ से अपनी आगे की शिक्षा प्राप्त की है। वह बताती हैं,

बर्तन बैंक को स्थापित करने का निर्णय अचानक से नहीं आया, बल्कि यह छोटे-छोटे कदमों से शुरू की गई एक मुहिम है, जिससे आज सौ लोग जुड़े हैं।

ऐसे हुई थी मुहिम की शुरुआत

मधु मित्तल।

उनके इस कार्य में परिवार के साथ-साथ अन्य लोगों का भी का काफी सर्पोर्ट मिलता है। वो बताती हैं,

पहले पहल हम पार्टियों, लंगर, पूजा या भंडारे में जब जाया करते थे, उस वक्त हम लोग पत्तल-दोने लेकर जाया करते थे, क्योंकि फोम के बर्तनों और प्लास्टिक के उपयोग के कारण आसपास काफी गंदगी हो जाती थी, जिससे की तरह-तरह की बिमारियों का खतरा बढ़ जाया करता था।

वो बताती है, “इससे पर्यावरण को भी काफी नुकसान पहुंचता था। यह सब देखने के बाद हम लोगों ने 2017 के दिसम्बर महीने में बर्तन बैंक की शुरुआत की ताकि लोग जागरुक हो सकें और प्लास्टिक पर अपनी निर्भरता को कम करें, क्योंकि पर्यावरण के साथ-साथ प्लास्टिक हमारे शरीर को भी काफी नुकसान पहुंचाता है।”

वो आगे बताती हैं, “हमने सबसे पहले केवल ग्लास खरीदे थे, जो हम छोटे-मोटे अवसरों पर लेकर जाया करते थे। धीरे-धीरे जब लोग जुड़ते गए तब हमने बर्तनों की संख्या बढ़ा दी और 50 सैक्शन प्लेट, 50 चम्मच, 50 ग्लास 50 क्वार्टर प्लेटस हो गयी. हमारी ये योजना लोगों को बहुत पसंद आई और मांग बढऩे लगी

बढ़ रही है बर्तनों की संख्या

मधु कहती हैं,

आज हमारे पास 250 बर्तनों के सेट हैं, अर्थात् लगभग 1500 बर्तन हैं, जिसे हम लोगों को विभिन्न फंक्शनों और कार्यक्रमों में उपल्बध करवाते हैं। जिसके बदले में वे हमें रिफंडेबल सिक्योरिटी देते हैं।

जब लोग बर्तन सही स्थिति में समय से वापस नहीं कर पाते हैं, तब उसके बदले में लोगों से बर्तनों की नॉमिनल वैल्यू काट ली जाती है। जिससे संस्था को अपने कार्य को बढ़ाने में मदद मिलती है।

आज जन बर्तन भंडार पूरे नोएडा में लोकप्रिय हैं। अभी तक मधु की संस्था द्वारा लगभग एक लाख डिस्पोज़ेबल बर्तनों को लैंड फिल में जाने से बचाया गया है।

बातचीत के अंत में वो कहती हैं, “भले ही लोगों को लगता होगा कि प्लास्टिक का उपयोग आसान है मगर लोगों का यह जानना ज़रूरी है कि प्लास्टिक से अनेकों परेशानियां होती हैं। लोगों में जागरुकता लाने के लिए शुरू की गई यह मुहिम आज मेरी हॉबी है, क्योंकि इससे पर्यावरण को बचाने का प्रयास भी जुड़ा है।”

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