एक तरफ जहां सब लोग COVID-19 की वजह से क्वॉरेंटाइन और लॉक डाउन होने की कोशिश कर रहे हैं। वहीं, दूसरी ओर सोचने वाली बात यह है कि गरीब तबका यह कैसे कर पाएगा?
यह कहने में बड़ा आसान है कि हम खुद को लॉक डाउन कर लें या क्वॉरेंटाइन की प्रक्रिया को अपना लें मगर इस देश में ऐसे कई लोग हैं जो क्वॉरेंटाइन का मतलब भी नहीं समझते हैं। खासकर दिहाड़ी पर काम करने वाले मज़दूर अगर खुद को क्वॉरेंटाइन करेंगे तो खाएंगे क्या?
ऐसे में योगी सरकार ने भी समझदारी दिखाकर देहाती मज़दूरों के लिए धनराशि मुहैया कराने का फैसला लिया है। यह फैसला इसलिए भी बड़ा है, क्योंकि मज़दूरों के परिवार को भरण-पोषण में लाभ मिलेगा।
क्वॉरेंटाइन क्या होता है
यह एक इमरजेंसी प्रोटोकॉल है जिसके तहत लोगों में कोरोना के लक्षण पाए जाने पर या किसी भी प्रकार के संकेत मिलने पर उन्हें बाहरी दुनिया से अलग अपने कमरे में साफ-सफाई के साथ रहने के लिए कहा जाता है।
उदाहरण के तौर पर हम लोग कह सकते हैं कि अमेरिका में इस वक्त इमरजेंसी घोषित कर दी गई है। कई यूरोपीय देशों ने यह भी कहा है कि वे अपने आपको लॉग डाउन कर लेंगे। कईयों ने तो कर भी लिया है। जैसे-इटली स्पेन आदि क्योंकि वहां के हालात बद से बदतर हैं।
मज़दूर तबके के लोगों ने क्या कहा?
कोरोना का कहर इस कदर गूंज रहा है कि सड़कें थोड़ी खाली नज़र आ रही हैं और सभी के सामने सिर्फ एक ही विकल्प दिखाई दे रहा है, वह है खुद को नज़रबंद कर लेना।
ऐसे में हमारे समाज के ऐसे कई लोग हैं जो लगातार बिना किसी वर्क फ्रॉम होम के काम कर रहे हैं। जैसे- सिक्योरिटी गार्ड्स, घरेलू कामगार महिलाएं आदि।
सिक्योरिटी गार्ड से कोरोना वायरस और क्वॉरेंटाइन के बारे में पूछने पर उन्होंमे बताया, “मुझे रोजी-रोटी के लिए दिन-रात ड्यूटी करनी पड़ती है। अगर मैं ड्यूटी नहीं करूंगा तो पैसे काट लिए जाएंगे।”
एक घरेलू कामगार महिला ने बताया कि उनसे गाँव में भी कोरोना से जुड़ी काफी खबरे आ रही हैं। उन्हें बताया जा रहा है कि उनके गाँव बुलंदशहर में भी कोरोना पहुंच गया है। उनका भी वही कहना है कि अगर हम काम करने नहीं आएंगे तो खाएंगे क्या?
एक सब्ज़ी बेचने वाले से बात करने पर उन्होंने बताया, पेट पालने के लिए मुझे यह काम करना ही पड़ेगा। अगर मैं यह नहीं बेचूंगा और खुद को कमरे में बद कर लूंगा तो कमाऊंगा क्या?
अब तक क्या हुआ COVID 19 की वजह से
जाने-माने शहर नोएडा में लगातार Corona के नए मामले सामने आते जा रहे हैं। अगले दो हफ्ते भारत के लिए काफी चुनौतीपूर्ण हैं। अगर COVID 19 के केस में वृद्धि नहीं होती है, तो भारत इस वायरस की चपेट से बहुत हद तक बच सकता है।
यह वक्त सावधानी रखने का है, क्योंकि मौत ना जाति, ना धर्म, ना क्षेत्र, ना उम्र, ना राज्य, ना इलाका और ना लिंग और ना ही सूरत देखकर आती है।