आज 11 फरवरी को “इंटरनैशनल सेफर इंटरनेट डे” सेलिब्रेट किया जा रहा है, जिसका सीधा मतलब इंटरनेट सेफ्टी को बनाए रखना और लोगों को उसके प्रति जागरूक करना है। यूरोपियन यूनियन ने 2004 में इसकी शुरुआत की थी, जिसे अब तक 100 से भी ज़्यादा देशों ने अपना लिया है।
इस वर्ष की थीम है, “Together For A Better Internet.” CTRT 2018-19 की रिपोर्ट के अनुसार भारत में इंटरनेट सेफ्टी के 208456 मामले सामने आए हैं। नेटवर्क सिक्योरिटी प्रोवाइडर ने 146 मिलियन इंटनेट थ्रेट (धमकी) के मामले 2019 में दर्ज़ किए, जो कि 2004 में केवल 29 थे।
Netizens In India की रिपोर्ट के अनुसार 26000 यूज़र्स इंटरनेट सेफ्टी को नेगलेक्ट करते हैं।
मैरी मीकर की 2019 की रिपोर्ट के अनुसार भारत इंटरनेट का दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता है लेकिन प्रश्न उठता है कि इंटरनेट सेफ्टी का ज़िम्मा किसका होना चाहिए और क्यों?
स्टॉकिंग और साईबर बुलिंग जैसे अपराध बढ़ रहे हैं
आज यदि आप पल भर के लिए भी देश में इंटरनेट को बंद कर दें, तो सब कुछ थम जाएगा, क्योंकि इंटरनेट हमारी आज की ज़रूरत है और आदत भी, लेकिन जितनी इसकी ज़रूरत बढ़ती गई है, इसकी सुरक्षा में उतनी ही कमी आई है।
इंटरनेट जितना नफा दे रहा है, उससे कहीं ज़्यादा हम उसके नुकसान भुगत रहे हैं। आज इंटरनेट इतनी सुगमता हर घर तक पहुंचा गया है कि जानकर और अनजाने में भी हम उसकी सुरक्षा में हस्तक्षेप करने लग गए हैं और सबसे ज़्यादा इसका खामियाज़ा बच्चों और बूढों को भुगतना पड़ा है।
जितना इंटरनेट का उपयोग बढ़ रहा है, उतनी ही तेज़ी से साईबर क्राइम का ग्राफ भी। इंटरनेट की सेफ्टी को हम सभी लोगों ने मिलकर खतरे में डाल लिया है, जिनसे साईबर स्टॉकिंग, साईबर बुलिंग और साईबर सेक्स जैसे अपराध बढ़ रहे हैं।
आज हर कोई डिजिटल हो गया है लेकिन जानकारी के अभाव में आसानी से ओटीपी, पासवर्ड, क्रेडिट और डेबिट कार्ड द्वारा लूट बढ़ गई है। यह फ्रॉड इतनी साफगोई से अंजाम दिए जाते हैं कि जब तक आपको फ्रॉड का अंदाज़ा हो, तब तक आप लुट चुके होते हैं।
कैसे शेयर की जाती हैं निजी जानकारियां
इंटरनेट सेफ्टी का खामियाज़ा महिला सेफ्टी पर भी जब तब सवाल खड़े करता है। आज कितनी ही सोशल साइट्स हैं, जो प्राइवेसी पॉलिसी की टर्म पर बात करके भी हमारी व्यक्तिगत जानकारी शेयर कर रही होती हैं, जिनमें सबसे आम होता है लड़कियों की तस्वीरें शेयर करना, उनकी फर्ज़ी अकाउंट बनाना और उनमें आपत्तिजनक टिप्पणी करना। अब तो यह बेहद आम सा हो गया है।
उसके साथ ही कुछ इंटरनेट प्रोवाइडर बगैर हमारी अनुमति के हमारी शॉपिंग साइट्स, होटल, बिज़नेस, जॉब और कैब संबंधित जानकारियों को शेयर करते हैं, जिनसे जब तब साईबर क्राइम को अंजाम दिया जाता है और वक्त बेवक्त के थ्रेट कॉल से कोई भी अछूता नहीं रह गया है।
खुलेआम दी जाती हैं गालियां
इंटरनेट ने एब्यूज़ की प्रवृत्ति को इतना बढ़ा दिया है कि हर कोई आपको डिजिटल माध्यम से सरेआम गालियां दे सकता है और आपको अपमानित कर सकता है। स्टॉकिंग की विचारधारा अब आम हो गई है और आप जब ऐसे किसी व्यक्ति, संस्था को ढूंढने जाएंगे तो पाएंगे कि जानकारी फर्ज़ी थी।
इंटरनेट सेफ्टी के पुख्ता ना होने के बहुत सारे घातक परिणाम हैं, वे भी तब जब आपकी जानकारी थोड़ी हो। उदाहरण के तौर पर एक घटना का ज़िक्र करना चाहूंगी। मैं जब हॉस्टल में रहा करती थी, तब मेरी एक मित्र बेहद परेशान थी।
बात करने पर सामने आया कि उसके किसी मित्र ने आपसी रंज़िश के कारण उसकी तस्वीर और फोन नंबर किसी पॉर्न साइट पर लगा दिया था, जिससे उसे दिन-रात अजीब तरह के कॉल आ रहे थे।
आज सबसे आसानी से मिलने वाली चीज़ यदि कुछ है, तो वह इंटरनेट ही है। ऐसे में इंटरनेट सेफ्टी तब ही कारगर होगी, जब इस बात पर नज़र रखी जाए कि इंटरनेट पर आखिर चल क्या रहा है?
कुछ प्वॉइंट्स, जिन पर बात करना बेहद ज़रूरी है-
- सोशल मीडिया पर यदि आपकी मर्ज़ी के बगैर कोई आपकी तस्वीरों पर लगातार कमेन्ट करे, तो इससे भी इंटरनेट सेफ्टी पर सवाल खड़े होते हैं।
- आपकी तस्वीरों का गलत प्रयोग भी इसके दायरे में आता है।
- सोशल मीडिया के ज़रिये आपत्तिजनक तस्वीरें या वीडियोज़ यदि कोई आपको भेजता हो, तो ज़रूर आपको एक्शन लेने की ज़रूरत है।
- फर्ज़ी आईडी बनाकर आपको स्टॉक किया जाए, तो भी आपको सावधान हो जाना है।
- फेसबुक पर अजनबी लोगों से दोस्ती करते वक्त उनकी आईडी में जाकर देख लें कि जो जानकारियां उन्होंने दी हैं, क्या वे सही हैं?
सबसे बड़ी बात, जब आपको इंटरनेट से असुरक्षा की भावना होने लगे, तब इस पर एक्शन ज़रूर लें, क्योंकि आपकी खामोशी कई समस्याओं को जन्म दे सकती हैं।
नोट: सृष्टि तिवारी Youth Ki Awaaz इंटर्नशिप प्रोग्राम जनवरी-मार्च 2020 का हिस्सा हैं।