हवाओं का रुख कुछ और था
हवाओं का एहसास कुछ और था।
वो क्या था जो इन सर्द हवाओं के बीच था
जो था बस वहीं था और सिर्फ वहीं था।
हवाओं का शहर सिर्फ एक था
वो शहर की हवाओं में आज़ादी का एहसास था,
ना कोई डर था ना कोई डराने वाला
मन आज़ाद था और हवाएं भी।
उन आज़ाद, निडर और ठंडी हवाओं में सिर्फ एक अंश था
वो प्यार था, प्यार था और सिर्फ प्यार था!