धरती और आस-पास पौधे, ऐसी जगहें बारिश में कितनी खूबसूरत लगती हैं। दिल्ली वाले या जहां उतनी बारिश नहीं होती है, वे इन पलों को अच्छे से जानते हैं।
पृथ्वी मॉं ने हमें जीने-रहने के लिए बहुत सुंदर चीज़ें दी हैं और उनमें पेड़ भी हैं, जिनसे हमने ऑक्सीजन मिल रही है। हालांकि, शहरों में बढ़ती विलासितापूर्ण जीवनशैली के कारण हमारी मॉं को रोज़ाना बहुत कुछ सहन करना पड़ रहा है।
आप (पाठक) मेरे पुराने आर्टिकल्स में यह पढ़ सकते हैं कि किस तरह हमारी रोज़ाना की जीवनशैली पर्यावरण को नुकसान और पेड़ों की कटाई को बढ़ावा दे रही है। आज मैं टॉयलेट पेपर के इस्तेमाल के लिए बढ़ती वनों कटाई की बात करूंगा। किस तरह टॉयलेट पेपर के बढ़ते इस्तेमाल से हम अपनी धरती मॉं को रोज़ कष्ट दे रहे हैं।
टॉयलेट पेपर की ज़रूरत के लिए हर दिन काट दिए जाते हैं 2,70,000 पेड़
वर्ल्ड वॉच मैगज़ीन की रिपोर्ट के मुताबिक, दुनियाभर में हर दिन तकरीबन 2.70 लाख पेड़ ज़मींदोज़ कर दिए जाते हैं और इनमें से 10% पेड़ों की कटाई के लिए टॉयलेट पेपर ज़िम्मेदार हैं। बतौर मैगज़ीन, बढ़ती आबादी और पश्चिमी जीवनशैली को अपनाने के कारण टॉयलेट पेपर के इस्तेमाल में वृद्धि हो रही है, इसका परिणाम यह है कि उपभोक्ताओं की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए पेपर कंपनी बहुत तेज़ी से पेड़ों को काट रही हैं।
टॉयलेट पेपर के एक रोल को बनाने में कितने पेड़ काटे जाते हैं?
मानव सभ्यता के इतिहास में टॉयलेट पेपर एक महत्वपूर्ण खोज है और हाइजीन के लिए इसका सबसे पहला इस्तेमाल 6वीं सदी में चीन में हुआ था। 14वीं सदी तक टॉयलेट पेपर का आधुनिक इस्तेमाल होने लगा, जिसके लिए चीन ही ज़िम्मेदार था। उस समय इसका सबसे ज़्यादा इस्तेमाल शिनज़ियांग प्रांत में होता था। टॉयलेट पेपर पेड़ों से बनाया जाता है।
वर्ल्ड एटलस वेबसाइट के मुताबिक,
वैश्विक स्तर पर प्रति व्यक्ति टॉयलेट पेपर की खपत 4 किलोग्राम से कम है, जबकि अमेरिका में प्रति व्यक्ति इसकी खपत 23 किलोग्राम है।
ऐसा अनुमान है कि एक पेड़ से टॉयलेट पेपर के तकरीबन 1500 रोल बनाए जा सकते हैं। हालांकि, पेड़ों के आकार से यह आंकड़ा भिन्न भी हो सकता है। वर्ल्डवॉच इंस्टीट्यूट के अनुसार, दुनियाभर में टॉयलेट पेपर इस्तेमाल करने वालों की संख्या बहुत तेज़ी से बढ़ रही है।
दुनियाभर में टॉयलेट पेपर की सबसे ज़्यादा खपत किस देश में होती है?
Stand.earth और National Resources Defense Council की रिपोर्ट “tree-to-toilet” पाइपलाइन के मुताबिक,
- टॉयलेट पेपर का सर्वाधिक इस्तेमाल अमेरिका में होता है, यहां एक व्यक्ति औसतन एक हफ्ते में तकरीबन 3 रोल इस्तेमाल करता है।
- अमेरिका में जिन ब्रैंड्स के अधिकतर टॉयलेट पेपर हैं, वे सस्टेनिबल नहीं हैं।
- अमेरिका में एक शख्स एक साल में औसतन टॉयलेट पेपर के 141 रोल इस्तेमाल करता है, जबकि जर्मनी में यह आंकड़ा 134, यूनाइटेड किंगडम में 127, जापान में 91 और चीन में 49 है।
“tree-to-toilet” पाइपलाइन रिपोर्ट के अनुसार,
- अमेरिका में टिश्यू पेपर का बाज़ार तकरीबन ₹2,213 अरब का है और अमेरिका में इसकी सबसे बड़ी उत्पादक कंपनियां Procter & Gamble (PG), Georgia-Pacific और Kimberly-Clark (KMB) टॉयलेट पेपर के लिए कोई भी रिसायकल सामान का इस्तेमाल नहीं करती हैं।
टॉयलेट पेपर बनाने की प्रक्रिया लगातार कम सस्टेनिबल होती जा रही है
एथिकल कंज़्यूमर मैगज़ीन के विश्लेषण के मुताबिक, टिश्यू पेपर के प्रमुख ब्रैंड्स रिसायकल पेपर का कम इस्तेमाल कर रहे हैं, जिसका मतलब यह है कि ये पेपर बनाने के लिए अनावश्यक रूप से काफी ज़्यादा पेड़ काटे जा रहे हैं।
बकौल विश्लेषण, टॉयलेट पेपर, जिसका हममें से बहुत लोग इस्तेमाल करते हैं, यह बहुत कम सस्टेनिबल होता जा रहा है। एथिकल कंज़्यूमर मैगज़ीन के मुताबिक,
टॉयलेट पेपर के प्रमुख ब्रैंड्स साल 2011 से कम रिसायकल पेपर इस्तेमाल कर रहे हैं, जबकि the Co-op, Morrisons, Sainsbury’s, Tesco और Waitrose कंपनियां रिसायकल टॉयलेट पेपर का इस्तेमाल कर रही हैं।
एथिकल कंज़्यूमर मैगज़ीन के एक शोधकर्ता एलेक्स क्रम्बी ने बताया,
टॉयलेट रोल को बनाने के लिए जंगलों को काटने की ज़रूरत नहीं है लेकिन यह बहुत तेज़ी से घटित हो रहा है।
दुनियाभर में टॉयलेट टिश्यू पेपर की सबसे बड़ी आपूर्तिकर्ता कंपनियों में से एक Kimberly-Clark ने रीसायकल लकड़ी के बुरादे का इस्तेमाल कम कर दिया है। 2011 में, कंपनी ने 30% रीसायकल बुरादे का इस्तेमाल किया, जबकि 2017 में यह आंकड़ा 23.5% था। क्रम्बी ने बताया कि फिलहाल दुनिया की 30% आबादी टॉयलेट पेपर का इस्तेमाल करती है।
क्या टॉयलेट पेपर कार्बन उत्सर्जन को दे रहा है बढ़ावा?
हम चीज़ों को बर्बाद करते हैं और अधिकतर बार उस वेस्ट का इस्तेमाल करना भूल जाते हैं या यूं कहें कि यह हमारी फितरत में ही नहीं है। अमेरिकी हर साल टॉयलेट पेपर पर ₹428 अरब खर्च करते हैं, जो कि दुनिया में सर्वाधिक है।
क्या कभी आपने सोचा है कि टॉयलेट पेपर के इस्तेमाल के लिए पर्यावरणीय लागत कितनी आती है? सालाना तौर पर,
- अमेरिका में टिश्यू पेपर बनाने के लिए 1655 अरब लीटर पानी खर्च होता है और इसके लिए 1.5 करोड़ पेड़ सालाना काट दिए जाते हैं।
नेचुरल रिसोर्स डिफेंस काउंसिल के मुताबिक,
- अकेले टॉयलेट पेपर प्रोडक्शन के कारण 15% वनों की कटाई होती है।
वास्तव में, अमेरिका धरती के संसाधनों को फ्लश में बहा रहा है। क्या आप यह जानते हैं कि टॉयलेट पेपर के परंपरागत सोर्सेज़ से ज़्यादा पर्यावरणीय तौर पर ज़्यादा सस्टेनिबल बांस का पेड़ है, क्योंकि यह प्रत्येक हेक्टेयर में अन्य पौधों की अपेक्षा 35% ज़्यादा कार्बन डायऑक्साइड ग्रहण करता है। बांस का पेड़ एक दिन में 39 इंच तक बढ़ सकता है।
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अगर टिश्यू पेपर के कार्बन फुटप्रिंट की बात की बात करें तो इस बारे में एक दम सटीक डेटा उपलब्ध नहीं है। हाल ही में, टेस्को (tesco) कंपनी ने टॉयलेट पेपर के कार्बन फुटप्रिंट (उत्सर्जन) का लेबल लगाया, जिसके मुताबिक कंपनी के हर एक सामान्य टॉयलेट पेपर बनाने में 1.1 ग्राम कार्बन उत्सर्जन होता है, जबकि स्टैंडर्ड रोल बनाने में 1.8 ग्राम कार्बन उत्सर्जन होता है।
एक रिसाइकल्ड टॉयलेट पेपर के इस्तेमाल करने में उतना कार्बन उत्सर्जन होता है जितना 5.5 गूगल सर्च करने में होता है। हाल में, गूगल ने घोषणा की थी कि उसके हर एक गूगल सर्च से 0.2g कार्बन डायऑक्साइड का उत्सर्जन होता है।
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सोर्स- fortune.com, futurism.com, theguardian.com, worldatlas.com, blog.nationalgeographic.org, theguardian.com/, www.greenbiz.com