क्या आपने थप्पड़ का ट्रेलर देखा? यकीन मानिए यह थप्पड़ आपके ज़हन में प्रश्नचिन्ह जड़ देगा। तापसी पन्नू अभिनीत थप्पड़ का ट्रेलर बहुत जमकर वायरल हो रहा है। 4 घंटों के अंदर ही इसे 1.2 मिलियन से ज़्यादा लोग देख चुके हैं लेकिन प्रश्न यह उठता है कि इसमें ऐसा भी क्या है, जो इसकी इतनी चर्चा की जा रही है।
फिल्म का ट्रेलर एक बातचीत से शुरू होती है, जिसमें एक वकील एक हाउस वाइफ बनी तापसी से पूछती हैं कि क्या उनका (फिल्म में तापसी के पति) कोई अफेयर था या आपका कोई अफेयर था? जब एक्ट्रेस ने मना किया तो उनसे पूछा गया कि उन्हें थप्पड़ क्यों मारा गया है? इस पर तापसी पन्नू ने जवाब दिया कि केवल एक थप्पड़ था, लेकिन नहीं मार सकता।
कटघरे में हैं वे जिनके लिए सहज है थप्पड़
“बस एक थप्पड़ ही तो है”, आज भी इस बात को पचा जाना कितना सामान्य और सहज है। वह भी तब जब हम खुद को मॉर्डन साबित करने की होड़ में लगे हैं। यकीन मानिए मैंने पहला सवाल खुद से ही किया!
क्या वाकई इस ट्रेलर को बस एक थप्पड़ की कहानी के तौर पर देखा जा सकता है? नहीं, बिलकुल नहीं! मेरे ज़हन में वे तमाम चेहरे घूम गए जिनसे मैंने कभी ऐसे वाक्या सुने हैं, जो उनकी अपनी हकीकत थी।
यह ट्रेलर समाज के हर उस वर्ग को कटघरे में खड़ा करता नज़र आता है, जिसके लिए यह एक सहज सी बात है। उदाहरण के तौर पर एक दो वाक्ये आपके सामने रखती हूं।
मेरी मेड की बातें याद आती हैं
बहुत पहले मेरी मेड ने मुझसे बातों ही बातों में कहा था,
अब तो सब ठीक है। पहले तो वो (पति) मुझे हमेशा मार दिया करता था।
उसने यह बात इतनी सहजता से और मुस्कुरा कर कही थी, जैसे कोई कह रहा हो कि पहले मुझे ज़ुखाम हो जाया करता था, अब नहीं। क्या इतना सहज है हमारे समाज में एक औरत का थप्पड़ खाना और समाज का उसकी एक आवाज़ उठाने पर इतना असहज हो जाना?
मैंने मान लिया शायद उसने अपने घर में शुरुआती दौर से यही देखा होगा, क्योंकि वह पढ़े–लिखे वर्ग से नहीं आती है। आप भी ऐसा ही कुछ सोच सकते हैं लेकिन उन लोगों का क्या, जो ‘Elite’ कहलाते हैं। जो सभ्य और पढ़े–लिखे समाज का हिस्सा हैं।
मैं ऐसे बहुत चेहरे और नामों को करीब से जानती हूं, (जिनमें मेरे परिचित भी शामिल हैं और मित्र भी) जो बस इसी बात को लेकर अब तक चुप हैं कि एक थप्पड़ ही तो है।
लेकिन यह थप्पड़ कभी भी सिर्फ एक औरत को नहीं, बल्कि सारे समाज और समाज में रह रहीं हर एक ओरत को मारा जा रहा है। जैसा कि फिल्म के ट्रेलर में अभिनेत्री (तापसी पन्नू ) के बालों में तेल लगाती उसकी मेड कहती हैं, “कल उसने फिर मारी लेकिन फिर मैंने सोचा अगर इसने अंदर से कुंडी लगा ली, तो क्या होगा?
यह थप्पड़ समाज को ज़रूर पड़ेगा
यही वो सवाल है जो हर वर्ग (महिला) को आवाज़ उठाने से रोक लेता है, क्योंकि हम उन्हें यह सिखाने में कामयाब रहे कि उनके भाईयों, पति, पिता का उन पर क्या अधिकार है। (थप्पड़ मारना भी जिनमें शामिल है।)
लेकिन हम उन्हें यह कभी नहीं सिखा पाए कि उनके अपने हक और अधिकार क्या हैं। जिस पगडंडी से हम उन्हें (डोली में बैठकर) किसी और की उम्र का सफर तय करने का रास्ता बता देते हैं, क्यों नहीं उन्हें बताया जाता कि अगर कोई उलझन होगी तो यहीं रास्ता उन्हें वापस घर की तरफ भी लौटा ले जाएगा।
यकीन मानिए तापसी पन्नू अभिनीत यह थप्पड़ समाज को ज़रूर पड़ेगा, पड़ना चाहिए भी और अगर आप भी कह सकें, “Just a Slap_ पर नहीं मार सकता।” तब बेशक कोई थप्पड़ आप तक नहीं पहुंच पाएगा और उन सारे थप्पडों की गूंज एक आवाज़ बनकर उठ खड़ी होगी।
नोट: सृष्टि तिवारी Youth Ki Awaaz इंटर्नशिप प्रोग्राम जनवरी-मार्च 2020 का हिस्सा हैं।