हालिया दिल्ली विधानसभा चुनाव में लाख कोशिशों के बावजूद हिन्दू-मुसलमान नहीं हो सका मगर चुनाव परिणाम आने के बाद बड़े आराम से हो गया। वह भी ऐसा-वैसा नहीं! चुनाव परिणाम के बाद जिस बात पर देशभर को नाज़ था कि दिल्ली वोटरों ने गज़ब की एकता दिखाई, वह एकता दिल्ली चुनाव के बाद हिन्दू-मुसलमान में यूं तार-तार हुई, जैसे आपसी भाईचारे की कत्ल ही हो गई।
दिल्ली में भड़की हिंसा में अब तक 38 लोगों की मौत हो चुकी है 190 से ज़्यादा लोग घायल हैं। बहरहाल, दिल्ली में रविवार के बाद हुई हिंसा की तस्वीरें किसी से छिपी नहीं हैं। उत्तर-पूर्वी दिल्ली में जहां एक तरफ सांप्रदायिक हिंसा की खबरें सरेआम थीं, वहीं सांप्रदायिक सद्भाव के भी कई मामले सामने आए।
मुस्लिम पड़ोसियों की जान बचाने के क्रम में नहीं आड़े आया मज़हब
शिव बिहार इलाके में हिन्दू मुस्लिम एक साथ बड़े सौहार्द के साथ रहते थे लेकिन दिल्ली के इलाकों में लगातार भड़क चुकी मज़हबी हिंसा ने शिव बिहार में भाईचारे को तार- तार कर दिया। इसी बीच एक हिन्दू युवक की नज़र अपने मुस्लिम पड़ोसी के घर पर पड़ी। उसने देखा कि घर शोलों में तब्दील हो रहा है।
उस जांबाज़ युवक ने जान की बाज़ी लगाते हुए अंगार हो चुके उस घर में प्रवेश किया और एक-एक कर मुस्लिम परिवार के पांच सदस्यों को बहार निकला। तब तक घर पूरी तरह शोला बन चुका था।
अपने पड़ोसियों को बचाने के लिए अपनी जान की बाज़ी लगाने वाले इस इंसान का नाम प्रेमकांत बघेल है। 5 सदस्यों को सही सलामत बाहर निकालकर लाने में सफल प्रेमकांत को जब यह पता चला कि अंदर अभी एक बुज़ुर्ग महिला फंसी हुई हैं, तब उसने अंगार बन चुके घर में छठी बार जाने का निर्णय लिया, लेता भी क्यों नहीं अंदर जो बुज़ुर्ग महिला थीं। वह मुसलमान थीं तो क्या हुआ, थीं तो उसके मित्र की माँ ही।
उसने इस अंतिम बार प्रवेश किया और मुस्लिम मित्र की माँ को सही सलामत बाहर निकाल लिया मगर अफसोस इस बार प्रेमकांत बुरी तरह झुलस गया था। प्रेमकांत के भाई ने बताया कि बुरी तरह जल जाने के बावजूद उसे इस बात की खुशी थी कि उसने मित्र की माँ को बचा लिया।
बुरी तरह झुलसे प्रेमकांत को बचाने के लिए नहीं मिली एम्बुलेंस
बुरी तरह जल चुके प्रेमकांत को अस्पताल ले जाने के लिए उनका परिवार रात भर संघर्ष करता रहा। शिव विहार, मुस्तफाबाद और खुरेजी में चारों ओर दंगाई घूम रहे थे। इस कारण कोई मदद के लिए तैयार नहीं हुआ। यहां तक कि एंबुलेंस भी मौके पर नहीं पहुंच सकी।
जैसे-तैसे प्रेमकांत को जीटीबी अस्पताल में सुबह परिवार द्वारा भर्ती कराया गया। उनकी हालत अभी गंभीर बताई जा रही है। डॉक्टरों के मुताबिक उनका शरीर 70% तक जल चुका है।
क्या कहा 70% जल चुके प्रेमकांत ने?
जीटीबी अस्पताल में भर्ती प्रेमकांत के मुताबिक हिंसा के पहले उनके आसपास सभी हिंदू-मुस्लिम आपस में मिल जुलकर रहते थे। किसी भी बात को लेकर उनमें मतभेद नहीं था मगर दंगे ने उनके इलाके को भी अपनी गिरफ्त में ले लिया। लोग एक-दूसरे के घरों में आग लगाने से भी नहीं चूके।
इसी बीच उन्होंने अपने एक मुस्लिम पड़ोसी के घर को जलते देखा। वहां से 5 लोगों को तो उन्होंने सकुशल निकाल लिया लेकिन दोस्त की माँ को निकालने के दौरान बुरी तरह झुलस गया।
और भी हैं दिल्ली में आपसी भाईचारे की मिसाल
बहरहाल, दिल्ली के कई इलाकों में हिंसा की घटनाओं के बीच भाईचारे और पारस्परिक सौहार्द की मिसालें सामने आई हैं। 25 फरवरी को हुई हिंसा के दौरान दिल्ली के अशोक नगर की एक मस्जिद को जलाने आए लोगों से इसे बचाने के लिए कुछ हिन्दू सामने खड़े हो गए।
इस मस्जिद के आस पास लगभग 10 मुस्लिम परिवारों के घर मौजूद हैं। इन परिवारों को मंगलवार की दोपहर के तीन बजे हिंसक भीड़ से बचाने के लिए हिन्दुओं ने उन्हें अपने घर में पनाह दी और मस्जिद को भी जलाने नहीं दिया।
वहीं, चांदबाग भी मुस्लिम बहुल इलाका है, जहां चंद ही हिंदू परिवार रहते हैं। इस इलाके में तीन मंदिर हैं। हिंसा के दौरान यहां मंदिरों पर हमला करने पहुंचे दंगाइयों को मुस्लिमों ने रोक दिया और किसी को भी नुकसान नहीं पंहुचने दिया।