महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना, यानी मनसे के चार दर्ज़न से ज़्यादा कार्यकर्ता पुणे में तीन मुस्लिम परिवारों के घर में जबरन घुसे और कागज़ की मांग कर दी। पुलिस ने भी आव देखा ना ताव, गैर कानूनी रूप से भारत में रह रहे बांग्लादेशी यानी घुसपैठिए के संदेह में उन परिवारों के तीन लोगों को हिरासत में ले लिया।
हालांकि जांच के बाद पुलिस ने पाया कि वे पश्चिम बंगाल के रहने वाले हैं। इसके बाद उन्हें रिहा कर दिया गया। इन तीन में से एक व्यक्ति ने मनसे कार्यकर्ताओं के खिलाफ उत्पीड़न, अत्याचार और निजता पर हमले का आरोप लगाया है।
लेकिन कमाल यह है कि अभी तक ना तो मनसे सुप्रीमो, ना ही मनसे कार्यकर्ता और ना तो पुलिस वालों पर कोई एफआईआर दर्ज़ की गई है।
क्या है मामला?
शनिवार को मनसे नेता राहुल गवली के नेतृत्व में लगभग 50 मनसे कार्यकर्ताओं का एक समूह धनकवड़ी के बालाजी नगर इलाके में गुलमोहर अपार्टमेंट में पुलिस कर्मियों के साथ एक मकान में घुस गया।
मनसे कार्यकर्ताओं ने तीन संदिग्ध बांग्लादेशियों के घरों में घुसकर उनसे खुद के भारतीय साबित करने वाले दस्तावेज़ मांगे लिए। पुलिस ने भी गैर कानूनी रूप से भारत में रह रहे बांग्लादेशी यानी घुसपैठिए के संदेह में उन परिवारों के तीन लोगों को हिरासत में ले लिया।
मनसे कार्यकर्ताओं ने जिन तीन मुस्लिम युवकों पर बांग्लादेशी होने का आरोप लगाया था, पुलिस ने उन्हें जांच के बाद भारतीय बताते हुए छोड़ दिया। उनके नाम दिलशाद मंसूरी, रौशन शेख और बप्पी सरदार हैं। उन तीनों लोगों से वहां रह रहे अन्य निवासियों की मौजूदगी में पुलिस द्वारा पूछताछ हुई।
जब उन लोगों ने खुद को भारतीय साबित करने लिए दस्तावेज़ दिखाए और कहा कि वे पश्चिम बंगाल के रहने वाले हैं, बावजूद इसके पुलिस उन्हें सहकार नगर पुलिस स्टेशन ले गई। तीनों व्यक्तियों को शाम तक थाने में बैठाकर पूछ-ताछ की गई।
मुस्लिम युवकों को पुलिस ने क्यों छोड़ा?
पुलिस के अनुसार, जांच के दौरान भारतीय पाए जाने पर पकड़े गए तीनों युवकों को छोड़ दिया गया। एसीपी सरजेरो बाबर ने कहा,
तीनों पुरुष भारतीय हैं और इसलिए उन्हें छोड़ दिया गया। उन्होंने स्वीकार करते हुए कहा कि यह सही है कि तीनों में से एक ने शिकायत की है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि मनसे कार्यकर्ताओं ने उन्हें परेशान किया। हम पूछताछ करेंगे और उचित कार्रवाई करेंगे।
दिलशाद, कच्ची दाबेली का स्टॉल चलाते हैं। वहीं, बप्पी इलेक्ट्रीशियन हैं और रौशन शेख सोना-चांदी के गहनों की पॉलिश करने का काम करते हैं। रौशन शेख ने बताया,
पिता ने कहा कि वे हुगली ज़िले के रहने वाले हैं और 1998 में ही पुणे आ गए थे। उसके बाद से इसी जगह पर रह रहे हैं।
सहकार नगर थाने में दर्ज़ हुई शिकायत
शेख ने सहकार नगर पुलिस थाने में रविवार को एक शिकायत दर्ज़ कराई है, जिसके अनुसार,
थाने में पुलिस ने मेरी माँ की जानकारी ली और उन्हें बुलाया। हालांकि उन्होंने पुष्टि की कि मैं हुगली का रहने वाली हूं। पुलिस अधिकारी ने उन्हें नज़दीकी थाने में जाने और स्थानीय पुलिस से फिर से पुष्टि करने का अनुरोध किया कि मैं उनका बेटा हूं और भारत में पैदा हुआ हूं।
उन्होंने आगे बताया, “मेरी माँ को पंडुआ थाने में जाना पड़ा और पुलिसकर्मी से पुणे में पुलिस से बात करने का अनुरोध किया। सभी काम करने के बाद भी उन्होंने मुझे शाम 6 बजे तक पुलिस स्टेशन में रोक रखा था। जबकि मेरी पत्नी और बच्चे पुणे स्थित मेरे घर पर काफी बेसब्री से मेरा इंतज़ार कर रहे थे।”
मनसे के एक कार्यकर्ता ने कहा कि राज ठाकरे साहब ने हमें अवैध रूप से महाराष्ट्र में रह रहे पाकिस्तानी और बांग्लादेशी मुस्लिमों को हटाने के लिए आदेश दिया था।
राज ठाकरे का वह बयान, जिसके बाद महाराष्ट्र में रह रहे मुस्लिमों पर मुसीबत टूट पड़ी
हाल ही में मनसे पार्टी का झंडा बदलने वाले राज ठाकरे ने कहा था कि पार्टी हिंदुत्व के मुद्दे पर वापस लौटेगी। राज ठाकरे ने नागरिकता संशोधन कानून यानी CAA को लेकर खुलकर इसके समर्थन में खुलकर उतर आए। बीजेपी को भी महाराष्ट्र में एमएनएस (MNS) का सहारा मिल गया है।
फिर क्या था, पाकिस्तानी और बंगलादेशी घुसपैठियों के खिलाफ एमएनएस ने मुंबई में मरीन ड्राइव से आज़ाद मैदान तक विशाल मोर्चा निकाला। एमएनएस ने CAA और NRC का समर्थन करते हुए दावा किया कि देश मे सफाई की ज़रूरत है।
आज़ाद मैदान में राज ठाकरे ने अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए कहा,
देशभर में जो मोर्चे निकले मुसलमानों के, मुझे तो समझ ही नहीं आया। अरे, पाकिस्तानी और बांग्लादेशियों को भगाना ही चाहिए।
उन्होंने आगे कहा, “मैंने कहा था मोर्चे का उत्तर मोर्चा होगा। आज आप सभी लोगों ने मुहतोड़ जवाब दिया, गज़ब स्थिति हो गई, या तो उधर या इधर। केंद्र की तारीफ की तो बीजेपी का आदमी कहा जा रहा है। अरे, जब गलत किया तब भी तो विरोध किया।”
CAA की बात करते हुए राज ठाकरे ने कहा, “यह जो कानून है, जो धार्मिक रूप से प्रताड़ित थे, उनके लिए है। तब की परिस्थिति अलग थी, आज की अलग है। CAA-NRC इस विषय पर बहुत पढ़ा मैंने। सिर्फ 4 लाइन का कानून है। भारत ने क्या इंसानियत का ठेका लिया है। 26/11 आतंकी कहां से आए थे? अब बचा NRC, मेरा देश क्या धर्मशाला है? मैं मानता हूं कि देश में और भी समस्याएं हैं लेकिन घुसपैठियों की बड़ी समस्या है, उन्हें निकालना ही चाहिए।”
एमएनस प्रमुख ने आगे कहा, “CAA में गलत क्या है? मीरा रोड में बड़ी संख्या में नाइजीरियन रहते हैं। क्या हालत हैं वहां पर? इस सबका ज़ोर किसपर पड़ता है, हमारी पुलिस पर। कल मैंने कहीं पढ़ा कि एक बंगलादेशी मुसलमान ने मराठी नाम रखकर हिन्दू युवती से शादी की। हमारे देश के कोंकण के जो मुलसमान हैं, वहां कभी दंगे नहीं होते।
उन्होंने आगे कहा,
इसी आज़ाद मैदान पर रज़ा अकादमी ने मोर्चा निकाला था। उनकी हिम्मत देखिए पुलिस पर हाथ उठाया। महिला पुलिस पर भी हाथ उठाया। कहा जा रहा है कि NRC में हिन्दू दलित और आदिवासियों से भी कागज़ मांगे जाएंगे। अरे वो तो भारतीय हैं, उनसे कैसा कागज़ मांगने का है?
राज ठाकरे यहीं नहीं रुके, उन्होंने कहा, “पुलिस को 48 घंटे दो, फिर देखो! हम हिन्दू कब होते हैं, जब दंगल होता है। वरना हम हिन्दू नहीं रहते। आगे पत्थर का पत्थर से उत्तर और तलवार का तलवार से उत्तर देंगे।”