‘Reverie’ फेस्टिवल के दौरान आज से लगभग एक साल पहले दिल्ली के गार्गी कॉलेज कैंपस में जिस तरीके से बाहरी लोगों ने आकर छात्राओं के सामने हस्तमैथुन करना शुरू कर दिया था, उस घटना ने ज़ाहिर तौर पर देश के मानचित्र में दिल्ली की छवि को एक बार फिर शर्मसार कर दिया था।
गार्गी कॉलेज में जो कुछ भी हुआ था, इसे देखकर मुझे वे तमाम घटनाएं याद आ गईं, जिन्हें मैंने मेरे कई जानकार मित्रों और परिचितों से सुना है और सैकड़ों बार छोटे–बड़े रूप में खुद भी अनुभव किया है और वे सारे शब्द, सारी घटनाएं किसी हथौड़े की तरह मेरे दिमाग पर पड़ रही हैं।
हमारा समाज, शहर और प्रशासन सुरक्षा के कितने भी ढोल पीट ले मगर मानसिक विकृति से कोई सुरक्षित नहीं कर सकता है।
मैं उस समाज में बड़ी हुई हूं, जहां सूरज की रौशनी लड़की का चरित्र और सुरक्षा दोनों ही तय करते हैं लेकिन सड़कों पर आवारा मनचलों के लिए कोई मानक नहीं, कोई चरित्र प्रमाणपत्र नहीं।
यदि आप एक लड़की हैं, तो जब–तब खाली सड़कों पर चौड़े होकर आपके शरीर पर फब्तियां कसने वाले युवा या अधेड़ उम्र का आदमी आपको बैठा मिल ही जाएगा। यकीन मानिए अधिकतर लड़कियां आज भी अंधेरी सड़कों के रास्ते तय नहीं किया करती हैं।
इस तरह के सैकड़ों किस्से होंगे, जिन्हें लड़कियां भुला चुकी होंगी क्योंकि सुनने वालों के लिए ये कुछ नया हो सकता है मगर लड़कियों के लिए नहीं।
आज की तारीख में विकृत मानसिकता वाले लोगों पर ये विचार हावी हैं कि किसी लड़की को देखकर हस्तमैथुन करने में, भीड़ के बहाने उन्हें यहां–वहां छू लेने में कोई बुराई नहीं है।
एक लड़की के तौर पर मेरा निजी अनुभव कहता है कि लड़कियां कहीं सुरक्षित नहीं रह गई हैं। यदि आवाज़ उठा सकती हैं, तो सब ठीक है, वरना आपको हर रोज़ कुचला जा सकता है और यह लिखते वक्त मुझे बहुत पहले की एक घटना याद आ गई।
स्कूल के पीछे लोग हस्तमैथुन करने लगे थे
मैं इतनी छोटी थी कि ऐसे किसी शब्द की कल्पना भी मुझसे परे थी। मेरे स्कूल (गर्ल्स स्कूल) के पीछे एक खंडहर नुमा घर हुआ करता था और हम लड़कियां जब कभी लंच ब्रेक के दौरान गलती से भी उधर झांक लिया करती थीं, तो अधेड़ उम्र के लोग हमारी तरफ देखकर हस्तमैथुन करते थे और हम भाग जाया करती थीं।
उस समय ना हममें समझ थी और ना ही कुछ कर पाने की हिम्मत लेकिन आज जब कभी स्कूल की चारदीवारी के अंदर लड़कियों को देखती हूं, तो सिहर जाती हूं।
मैं जानती हूं कि यह लिखना प्रश्नचिन्ह लगाने जैसा है लेकिन किस पर, यह हमें तय करना होगा! आप पूछकर देखिए कितने ही लोग अपने साथ घटित ऐसी किसी घटना के बारे में बात करने को लेकर असहज हो जाएंगे।
इस तरह की घटनाएं अगर आपको अचंभित करती हैं, तब समझिए कि आप नींद में सोए हैं और मैं दावे के साथ कह सकती हूं कि यदि आप लड़की हैं, तो आपको ऐसी कोई ना कोई घटना ध्यान में आ ही जाएगी, जो या तो आपसे या आपके किसी परिचित से जुड़ी होगी। यदि आप पुरुष वर्ग से आते हैं, तो आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि आपने कितना बेहतर माहौल लड़कियों के लिए तैयार किया है।
मैं किसी समाज या वर्ग विशेष को कटघरे में खड़ा नहीं कर रही हूं लेकिन पता करना होगा कि समाज में फैली यह विकृति किसकी देन है? यकीन मानिए यदि आप गार्गी कॉलेज की लड़कियों से व्यक्तिगत रूप से पूछेंगे, तो वे बताएंगी कि वे सब कुछ भूल जाएंगी लेकिन उस घटना को याद रखेंगी और ऐसी ही घटनाएं हर किसी के ज़हन में कैद होंगी, जो दीवार के उस तरफ खड़े किसी चेहरे के रूप में उसको डरा रही होंगी।
नोट: सृष्टि तिवारी Youth Ki Awaaz इंटर्नशिप प्रोग्राम जनवरी-मार्च 2020 का हिस्सा हैं।