आज वैलेंटाइन डे के रोज़ लोग अपने प्यार के इज़हार में खोए हैं। किसी के मन में समाज का डर है, तो किसी के अंदर परिवार की बंदिशें। अब इश्क किया है, तो बंदिशें तोड़नी ही होंगी, क्योंकि इश्क है, इम्तिहान लेगी ही और जिन जोड़ियों ने इम्तिहान पास कर लिया, वे साथ रहेंगे।
अब बात आती है कि अगर कोई युवा प्रेम करता है, तो उसे प्रेम करने से क्या चीज़ें रोकती हैं?
इस विषय पर मेरा मानना है कि जाति, धर्म, परिवार, समाज के अलावा एक युवा भी खुद को प्रेम करने से रोकता है, क्योंकि अगर उस युवा के पास अपने प्रेम के लिए लड़ने की ताकत और हिम्मत होगी, तो वह अपने प्रेम के लिए लड़ेगा। ऐसा ही मानना है एक सबसे खास जोड़ी का, जिसका नाम है सूर्या और नेहा।
इनकी कहानी लड़ने की हिम्मत देती है
सूर्या और नेहा, उन सभी जोड़ियों के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं, जिनके मन में प्रेम के बीज अंकुरित होते हैं। ये दोनों आज की जोड़ियों के लिए मिसाल हैं। उन्होंने अपने प्रेम को पाने के लिए हर मुश्किलों का सामना किया है और आज एक बेहतर ज़िंदगी जी रहे हैं।
सूर्या यूपी के ज़िले प्रतापगढ़ से आते हैं और उनकी पत्नी नेहा यूपी के सोनभद्र जिले से आती हैं। इन दोनों में भी जाति का फासला है। वैसे भी यूपी जैसे राज्य में अंर्तजातीय विवाह पर कैसा हंगामा मचता है।
यह बात आप सबसे नहीं छिपी होगी, क्योंकि आय दिन वहां से अनेकों केस आते हैं, जिनमें प्यार करने वालों की अर्थी सजाकर ऑनर किलिंग शान से खड़ा होता है। उनकी पाक मोहब्बत पर रंज़िश का रंग उड़ेलता हुआ इज्ज़त का धुंधला चेहरा खड़ा होता है।
सब कुछ बिल्कुल फिल्मी था
सूर्या और नेहा से जब मेरी बातचीत हुई, तब उन्होंने बताया कि आज भी उनके ऊपर मौत का खतरा मंडरा रहा है, क्योंकि उनके परिवार वाले अब तक नहीं मान रहे हैं। उन्होंने तस्वीर ना लगाने की शर्त पर बताया कि उन दोनों का प्यार धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा था। उन दोनों के प्रपोज़ करने का तरीका भी सबसे जुदा था, जिसमें नेहा बिन बोले ही सूर्या की बातों को समझ गई थीं।
5 साल के रिलेशनशिप के बाद दोनों ने जब शादी करने का मन बनाया, उस वक्त दोनों के बीच जाति की दीवार आकर खड़ी हो गई। इसके साथ ही परिवार वालों का मानना था कि आज तक हमारे घर पर किसी ने भी ऐसा कदम नहीं उठाया है, फिर यह शादी कैसे हो सकती है?
जिसके बाद दोनों के बीच बहुत-सी दीवारें खड़ी की गई हैं। नेहा के परिवार वालों ने उनका घर से निकलना बंद करवा दिया। यह सब बिल्कुल वैसा ही था, जैसे फिल्मों में दिखाया जाता है।
लव कमांडोज़ ने मिलाया
अंत में दोनों ने किसी तरह वहां से भागने का मन बनाया और लव कमांडोज के पास गए। यह एक ऐसी गैर-सरकारी संस्था है, जो प्रेमी जोड़ियों को मिलाने का काम करती है, जिसके बाद दोनों की शादी करवाई गई। आज दोनों साथ रह रहे हैं।
भले ही बहुत बड़ा बंग्ला या अन्य बड़ी चीज़ें इन दोनों के पास नहीं हैं मगर जो सबसे बड़ी चीज़ इन दोनों के पास है, वह है इनका प्यार और विश्वास। दोनों साथ मिलकर अपनी जीवन की गाड़ी खींच रहे हैं। एक उम्मीद के साथ कि आने वाला समय बेशक अच्छा होगा।
इस तरह यह एक उदाहरण था कि समाज और जाति-व्यवस्था को परे रखकर अगर कोई प्रेम करता है, तो उसे उसका प्यार ज़रूर मिलता है। जाति-धर्म, परिवार और ना जाने क्या-क्या, यह सब चीजें केवल डराने का काम करती हैं। इसलिए युवाओं को अपने प्रेम के लिए लड़ना ही चाहिए। शायद इसलिए इश्क को लेकर कहा जाता है, आग का दरिया है और डूबकर जाना है।