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“मधुबाला के किरदारों ने सामाजिक रूढ़ियों को चैलेंज करते हुए प्रेम करना सिखाया”

मधुबाला आज़ाद भारत के सिनेमाई समाज की पहली अभिनेत्री थीं, जिन्होंने 1965 में आई मुगल-ए-आज़म जैसी ऐतिहासिक फिल्म में निज़ाम की आँखों-से-आँखें मिलाकर सामाजिक रूढ़ियों के खिलाफ इश्क करने का हौसला बुलंद किया।

मधुबाला

फिल्म के एक गीत ‘प्यार किया तो डरना क्या’ को प्रेमियों ने इश्क की इंकलाबी नज़्म के तौर पर लिया। यह ऐसा समय था, जब समाज में प्रेम की स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति ना के बराबर थी। ऐसे में मधुबाला ने अपनी फिल्मों में ऐसा किरदार किया, जो पितृसत्ता और सामाजिक रूढ़ियों को चैलेंज करते हुए प्रेम करता है और यह बताता है कि प्रेम एक बुनियादी अधिकार है।

बॉलीवुड में अपने ज़माने में चलाया एक नया फैशन सेंस

मधुबाला

मधुबाला ने अपने समय के सिनेमाई समाज में एक नया फैशन सेंस चलाया, जिस वजह से उन्हें बॉलीवुड की “मर्लिन मुनरो” कहा जाता था। वह पहली ऐसी अभिनेत्री थीं, जिन्होंने इंटरनैशनल मैगज़ीन में बोल्ड फोटो-शूट कराया और सिनेमा की रूढ़ियों को तोड़ा।

एक मध्यमवर्गीय मुस्लिम रूढ़िवादी परिवार से आने वाली मधुबाला ने हमेशा लीक से हटकर जीवन जीया और समाज, पितृसत्ता को हमेशा अपने किरदार के माध्यम से चैलेंज किया।

यह ऐसा समय था, जब आज़ाद भारत नई करवट ले रहा था और तेज़ी से विकास के पथ पर आगे बढ़ रहा था। ऐसे में मधुबाला ने भी सिनेमा में पुराने ढर्रों को तोड़कर नया ट्रेंड चलाया।

आज भी जब इश्क और प्रेम में तमाम बंदिशें हैं और वैलेंटाइन डे पर #novalentineday का ट्विटर हैशटैग चलाया जा रहा है, इसे पश्चिम की उपज बताया जा रहा हो, तब मुगल-ए-आज़म जैसी फिल्म और मधुबाला, प्रेमिकाओं के लिए किसी इंकलाब से कम नहीं हैं।

संबंधों के भंवर में मधुबाला

भारतीय सिनेमा में ट्रैजडी का होना ज़रूरी माना जाता है। मधुबाला की निजी ज़िन्दगी भी संघर्षों से भरी रही है। मधुबाला को ‘द ब्यूटी ऑफ ट्रैजडी’ कहा गया है।

मधुबाला और दिलीप कुमार

मधुबाला के प्रेम संबंधों की बात करें, तो सबसे पहले उनका नाम दिलीप कुमार के साथ जोड़ा जाता है। दिलीप कुमार और मधुबाला के बारे में कहा जाता है कि वे पहली बार सन् 1944 में बन रही फिल्म ‘ज्वार भाटा’ के सेट पर एक दूसरे से मिले थे। इन दोनों के बीच रिश्ते की शुरुआत फिल्म ‘तराना’ करते हुए हुई। यह रिश्ता धीरे-धीरे मज़बूत होने लगा और एक समय ऐसा भी आया, जब दोनों ने एक साथ ईद भी मनाई।

मधुबाला के पिता को यह रिश्ता मंज़ूर नहीं था। उन्होंने मधुबाला को दिलीप कुमार से शादी करने से मना कर दिया। मधुबाला अपने पिता की हर बात मानती थी। इस तरह उन्होंने दिलीप कुमार से दूरियां बना ली।

उदय तारा नायर ने दिलीप कुमार की बायोग्राफी (जीवनी) में मधुबाला से उनके प्रेम और अलगाव का ज़िक्र किया है। किताब में दिलीप कुमार ने बताया है कि कैसे वह और मधुबाला एक दूसरे से बेइंतहा प्यार करते थे और शादी भी करना चाहते थे लेकिन मधुबाला के पिता की वजह से दोनों दूर हो गएं।

बाद में मधुबाला की शादी किशोर कुमार से हुई। शादी करने के लिए किशोर कुमार ने इस्लाम कबूल कर लिया। इसके कुछ समय बाद मधुबाला की दिल की बीमारी का पता चला। डॉक्टर्स ने मधुबाला की उम्र अधिकतम दो साल बताई। इसके बाद किशोर कुमार ने मधुबाला को उनके पिता के घर में वापिस यह कहते हुए छोड़ दिया कि वह मधुबाला का ख्याल नहीं रख सकते हैं, क्योंकि वह खुद अक्सर बाहर रहते हैं। इस तरह मधुबाला की निजी ज़िन्दगी संघर्षों से भरी थी।

किशोर कुमार और मधुबाला

मोहन दीप ने मधुबाला पर अपनी किताब मिस्ट्री एंड मिस्टिक में बताया है कि बहुत से लोगों को पता था कि मधुबाला एक मेहनती और फूहड़ स्त्री थी लेकिन बहुतों को नहीं पता था कि उनका जीवन कितना दुखद था। हावड़ा ब्रिज फिल्म के निर्देशक शक्ति सामंत ने बताया कि मधुबाला को रोज़ किशोर कुमार द्वारा सताया और मारा जा रहा था। एक बार शूटिंग सेट पर मधुबाला ने अपनी चोट के निशान शक्ति सामंत को दिखाए, इस क्रूरता ने शक्ति सामंत को झकझोर कर रख दिया।

मधुबाला की उपलब्धियां

बेइंतहा खूबसूरती की वजह से भारतीय सिनेमा की मर्लिन मुनरो कही जाने वाली मशहूर अदाकार मधुबाला ने कभी भी कोई खिताब अपने नाम नहीं किया। फिल्म फेयर अवॉर्ड 1961 में मुगल-ए-आज़म में अनारकली का किरदार निभाने के लिए उनका नाम सर्वश्रेष्ठ अदाकारा के लिए भी नामांकित किया गया।

हालांकि यह खिताब वह अपने नाम नहीं कर पाईं लेकिन अपनी कमाल की अदाकारी की वजह से मधुबाला हमेशा से पत्रिकाओं और अखबारों में चर्चा में बनी रहती थीं। अपने 22 वर्ष के करियर में इन्होंने लगभग 73 फिल्मों में काम किया।

साल 2007 में अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस पर ‘रेडिफ डॉट कॉम’ ने बॉलीवुड की टॉप टेन महिलाओं की लिस्ट जारी की, इसमें मधुबाला दूसरे स्थान पर रहीं। इसके अलावा साल 2008 में मधुबाला के नाम पर भारतीय डाक विभाग ने एक टिकट भी जारी किया। वहीं साल 2017 में ‘मैडम तुसाद म्यूजियम दिल्ली’ ने मधुबाला की याद में मुगल-ए-आज़म के किरदार के रूप में उनकी एक प्रतिमा भी बनाई।

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