वह मेरी बहन का एक अच्छा दोस्त हुआ करता था। मुझसे उम्र में 3 साल बड़ा। जब वह दीदी से बात करता था, तब वह मुझे बिल्कुल पसंद नहीं था। लेकिन कहते हैं ना कि होनी को कुछ और ही मंजू़र था।
एक दिन काम के सिलसिले में मुझे उसकी मदद चाहिए थी और बस यहीं से हमारे प्यार की शुरूआत होती है। जब बात धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगती है, तब वह अपने जीवन के एक ऐसे काले सच से सामना करवाता है, जिसे मैं भुलाए नहीं भूल सकती।
वह बात जिसने मेरी ज़िंदगी बदल दी
उसने बताया कि उसकी शादी हो चुकी है, लेकिन पिछले चार साल से उसने गौना नहीं आने दिया है। वह लड़की उसके घर वालों की पसंद है। उसकी शादी उसके पापा ने अपने खास दोस्त की बेटी के साथ तय कर दी थी और कुछ महीनों बाद उनका देहांत हो गया था।
उसने कहा कि उसके बाद घरवालों के दबाव में आकर उसे शादी करनी पड़ी थी। उसने अपने करियर की शुरुआत भी नहीं की थी और उसके परिवार वालों ने उसके ऊपर थोपी हुई शादी निभाने की ज़िम्मेदारी सौंप दी थी।
यह मेरे लिए धर्म संकट था कि मुझे क्या करना चाहिए? सोचने व समझने में यह बात काफी आसान लगती है कि अरे भाई, जब वह शादीशुदा था, तब इतना क्या सोचना, छोड़ देने में ही आसानी व समझदारी है।
मेरा मानना है कि हां, यह उन लोगों के लिए आसान है, जो लोग प्यार से ऊपर समाज की दकियानूसी सोच व प्रथा को महत्व देते हैं।
हमें दिमागी तौर पर बीमार कहा गया
कई कोशिशों के बाद भी हम, हमारे रिश्तों को कोई नाम नहीं दे पाए। मेरे और उसके घरवालों का कहना था कि यह संभव ही नहीं है कि तुम दोनों इस रिश्ते को आगे ले जाओ।
उसके घर वालों ने उसपर उस लड़की को अपनाने और उस बेमेल शादी को हर हाल में निभाने के लिए परेशान किया। मुझसे कहा गया कि यह प्यार – व्यार कुछ नहीं होता है, बस दिमागी तौर पर बीमार हो तुम दोनों।
मेरे लिए तो मेरे चरित्र पर सवाल उठाए जाने लगे कि कैसी केरेक्टरलेस लड़की है। पसंद आया भी तो कौन एक शादीशुदा लड़का?
मुझे यह एहसास करवाया गया कि प्यार गुनाह है और अगर प्यार करना ही है तो अपने कास्ट, रंग-रूप और जाति के आधार पर करों वरना यह समाज तुम्हें अपनाएगा नहीं।