दिल्ली सरकार ने 2 जुलाई, 2018 को दिल्ली के सरकारी स्कूलों के पाठ्यक्रम में “हैप्पीनेस करिकुलम” को शामिल कराया था। इसके अंतर्गत आठवीं कक्षा तक के बच्चों को शामिल किया गया। इस योजना के शुभारम्भ के वक्त कहा गया था कि इसके अंतर्गत 45 मिनट का एक “हैप्पीनेस पीरियड” होगा।
यह भी कहा गया था कि इसमें पांच मिनट ध्यान के लिए दिए जाएंगे, जिसकी मदद से बच्चों में तनाव कम होगा तथा उनमें नैतिक मूल्यों का विकास भी होगा। इस योजना के उदघाटन में दलाई लामा भी शामिल हुए थे।
इस योजना की ज़मीनी हकीकत के लिए हमने दिल्ली के कुछ स्कूलों का दौरा किया और वहां विद्यार्थियों, शिक्षकों तथा संचालकों से बात की। बातचीत में हमने पाया कि इस योजना से बच्चे और शिक्षक दोनों खुश नज़र आते हैं।
बदरपुर के सरकारी स्कूल के बच्चों ने कहा?
बदरपुर के एक स्कूल में कुछ बच्चे अंतराल के दौरान विद्यालय के खेल के मैदान में खेल रहे थे। हमने उनसे बात की तो उन्होंने बताया कि हैप्पीनेस क्लास में वे माइंडफुलनेस एक्टिविटी करते हैं, जिसमें कहानियां सुनाई जाती हैं। ये एक्टिविटिज़ हर दिन, पहले पीरियड में कराई जाती है हर शनिवार को बच्चे अपने अनुभव साझा करते हैं। इसके लिए एग्ज़ाम नहीं होते हैं।
उसी विद्यालय के हैप्पीनेस क्लासेज़ के शिक्षक ने बताया,
इस पाठ्यक्रम के शुरू होने के बाद बच्चों और शिक्षकों के बीच आत्मीयता बढ़ी है। पहले जो औपचारिक सम्बन्ध भर था कि शिक्षक कक्षा में आए हैं, तो पढ़ाएंगे ही वाली बात खत्म हुई है। अब वे अपनी बातें साझा करने लगे हैं।
पाठ्यक्रम के शुरू होने से बच्चों में कोई बदलाव आया है या नहीं, वाले सवाल पर उन्होंने कहा कि अकादमिक स्तर पर भले बदलाव ना दिखे मगर स्वभाव में बदलाव आया है। पहली कक्षा में ये चीज़ें होने की वजह से बच्चे दिनभर के लिए स्कूल से जुड़ाव महसूस करते हैं।
इसमें होम वर्क का कोई टेंशन नहीं
दूसरे विद्यालय में बच्चों ने बताया कि उन्हें सबसे अच्छी गतिविधि कहानियों वाली लगती हैं। आठवीं के स्टूडेंट्स ने बताया कि कक्षा में सबसे पहले माइंडफुलनेस गतिविधि कराई जाती है। आंख बंद करके आसपास के वातावरण को महसूस करने को कहा जाता है, जिसके बाद अन्य गतिविधियों के साथ-साथ नैतिक मूल्यों की बात भी की जाती है। हमें इस क्लास में अच्छा लगता है।
इसी विद्यालय में हमने शिक्षक से पूछा, “क्या आप चाहेंगे कि हैप्पीनेस क्लास सीनियर स्टूडेंट्स के लिए भी आए?” इस पर उन्होंने कहा कि अगर स्टूडेंट्स को बोझ जैसा ना लगे, तो इसमें होम वर्क का कोई प्रेशर नहीं है।
हमने हैप्पीनेस करिकुलम के विद्यालय प्रभारी से जब बात की, तो उन्होंने बताया कि हम उसी पाठ्यक्रम का अनुसरण कर रहे हैं, जो सरकार की तरफ से आए हैं। इसमें सरल सी कहानियां शामिल हैं, जो बच्चों को आसानी से समझ आ जाती हैं तथा इससे उनमें नैतिक मूल्यों का विकास भी होता है।
उन्होंने कहा, “हमें अच्छा लगता है कि हम भी बच्चों के साथ सीख रहे हैं। क्षणिक सुख और दीर्घकालिक सुख में अंतर हमें नहीं सिखाई गई थी। ज़मीनी स्तर पर इस बदलाव से शिक्षक और छात्र दोनों ही खुश नज़र आते दिख रहे हैं और इसका उद्देश्य भी तो यही है।”
नोट: विष्णु Youth Ki Awaaz इंटर्नशिप प्रोग्राम जनवरी-मार्च 2020 का हिस्सा हैं।