अत्यंत संवेदनशील हालात से गुज़रते हुए हिन्दुस्तान को एक गोडसे और मिल गया है। दक्षिण-दिल्ली में जामिया मिलिया इस्लामिया के पास विवादास्पद नागरिकता संशोधन अधिनियम और नागरिकों के राष्ट्रीय रजिस्टर के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारियों पर एक बंदूकधारी व्यक्ति ने गुरुवार को गोली चला दी, जिससे एक छात्र घायल हो गया। गोली हाथ पर लगी, यह गोली कहीं भी लग सकती थी और यह आतंकवादी साफ-साफ पुलिस से मिलीभगत के कारण ही इतना उत्तेजित होकर और आत्मविश्वाश के साथ आगे आया।
आतंकवादी हमलावर की पहचान उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्ध ज़िले के गोपाल शर्मा के रूप में हुई है। पुलिस ने कहा कि उसे हिरासत में ले लिया गया है और पूछताछ की जा रही है। मुझे तो पूरा पूरा शक पुलिस के ऊपर ही जा रहा है, अब वहाँ पूछताछ चल रही है या आवभगत हो रही है।
करीबी दोस्त ने सारा घटनाक्रम बताया
मेरा करीबी दोस्त विरोध प्रदर्शन का हिस्सा था, उन्होंने अपनी आंखों देखी बात बताया कि आतंकवादी “बंदूक की ब्रांडिंग करते हुए चिल्लाया कि “ये लो आज़ादी , आओ मैं तुम्हें गोली मार दूंगा” और फिर प्रदर्शनकारियों पर गोलीबारी की। जब हमला हुआ तो दिल्ली पुलिस के जवान मौके पर मौजूद थे और यह खेल आराम से देख रहे थे। इसमें कोई शक नहीं के उनको मज़ा आ रहा था।
हमले का एक वीडियो जिसे सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से साझा किया जा रहा है, जिसमें शूटर ने ‘जय श्री राम’ के नारे लगाते हुए और प्रदर्शनकारियों को चेतावनी दी कि यदि वे भारत में रहना चाहते हैं तो ‘वंदे मातरम’ का जाप करें।
मुझे आज सच में यह लग रहा है के भारत में आतंकवाद इतना बढ़ चुका है के इस से बच कर निकलने का रास्ता बहुत मुश्किल है।
वहीं दूसरी तरफ, जम्मू-कश्मीर के डोडा जिले के रहने वाले घायल छात्र शादाब फारूक को गोली उसके बाएं हाथ में लगी और उसे जामिया नगर के होली फैमिली अस्पताल ले जाया गया। बाद में उन्हें एम्स में स्थानांतरित कर दिया गया और उन्हें खतरे से बाहर बताया गया। मगर क्या वाकई में यह एक साधारण बात है? आज फारूक को गोली लगी कल मैं भी हो सकता हूं और परसो शायद आप।