चीन में रहने वाले मुस्लिम समुदाय का खास वर्ग, जिनकी संख्या दो मिलियन बताई जा रही है, जिन्हें उइगर मुस्लिम कहा जाता है। आज यह अल्पसंख्यक वर्ग अपने ही देश में इस तरह से नज़रबंद रखा जा रहा है, मानो सभी का बचा हुआ जीवन कैद में गुज़र जाएगा।
चीन के शिनजियांग शहर में उइगर मुस्लिमों के लिए “पुनः शिक्षा शिविर” यानी डिटेंशन सेंटर की व्यवस्था की गई है। इस शिविर में शिक्षा तो मिलती है परंतु किताबी शिक्षा नहीं, बल्कि उइगर मुस्लिमों को अपने धर्म यानी इस्लाम के प्रति आस्था कम रखने की जबरन शिक्षा दी जाती है।
यदि एक उइगर मुस्लिम पांच वक्त की नमाज़ पढ़ रहा है, शुक्रवार को मस्जिद जा रहा है, अपनी दाढ़ी बढ़ा रहा है या फिर महिलाएं हिजाब में दिखीं, तो उन सभी को शिनजियांग के पुनः शिक्षा शिविर में लाया जाता है, गज़ब का तर्क यह है कि मुस्लिम आतंकवाद की राह में ना बढ़ सकें।
इस्लाम में आस्था कम करने पर मुक्त कर दिया जाता है
एक मामला मई 2017 का है, जब एक उइगर आदमी को चीन के उत्तर-पश्चिमी शिनजियांग में “पुनः शिक्षा शिविर” में ले जाया गया। इस्लाम में आस्था रखने वाला यह मुसलमान भोजन के बाद घर पर प्रार्थना करता था।
कभी-कभी अपनी स्थानीय मस्जिद में शुक्रवार की नमाज़ में भी भाग लेता था। उसे डिटेंशन सेंटर भेज दिया गया। वहां जब पाया गया कि वह व्यक्ति अपने धर्म इस्लाम में रुचि नहीं ले रहा है, तो उसे मुक्त कर दिया गया।
इसी तरह जून 2017 में एक उइगर महिला को अपने धार्मिक कार्यक्रमों में अधिक भाग लेने के आरोप में डिटेंशन सेंटर में भेज दिया गया। यह केवल किसी एक महिला या पुरुष की चीन के शिनजियांग से लीक हुई बातें नहीं हैं, बल्कि लाखों की तादाद में ऐसी घटनाओं की सच्चाई विश्व पटल पर मानवाधिकार को दस्तक दे रही है, जिसे चीनी सरकार फेक न्यूज़ कहते हुए झुठलाती आई है।
उइगर मुस्लिमों का अपने धर्म के प्रति आस्था रखने का मतलब चीन के प्रशासन के लिए आतंकवाद की राह में अग्रसर होना है। लंबी दाढ़ी चीन के उइगर मुस्लिमों के लिए कैद के दरवाज़े खोल देती है। चीन में बढ़ती आबादी की आधी ज़िम्मेदारी इन उइगर मुस्लिमों के मत्थे मढ़ी जाती है।
कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनमें अधिक बच्चे पैदा करने के कारण भी उइगरों को डिटेंशन सेंटर भेज दिया गया है। इस शहर में इस्लाम को धर्म के तौर पर कम और आतंकवाद के तौर पर अधिक देखा जाता है।
हर समय सरकार की निगरानी में रहते हैं उइगर मुस्लिम
हज़ारो ऐसे मामले सामने आ चुके हैं, जहां केवल एक उइगर स्त्री या पुरुष को सिर्फ उनके धार्मिक कार्यो में बढ़ती आस्था के आधार पर गिरफ्तार कर डिटेंशन सेंटर में भेजा जाता था। यह पूरी प्रक्रिया एक निगरानी के तहत तय की जाती है कि किसे कब सुधार गृह में भेजना है।
DW न्यूज़ को प्राप्त दस्तावेजों में निगरानी के पल-पल की ख़बरें दर्ज़ हैं, जिस आधार पर कहा जा सकता है कि चीन में उइगर मुस्लिम 24 घंटे की निगरानी में रहते हैं। इस दौरान वे किनसे मिल रहे हैं, इस पर भी नज़र रखी जाती है।
क्या बात कर रहे हैं? कितनी दफा नमाज़ पढ़ रहे हैं? कहां जा रहे हैं? उइगर की हर प्रक्रिया पर औचक नज़र रखी जाती है। चीनी अधिकारियों ने आधिकारिक तौर पर 26 देशों को “संवेदनशील” माना है। उनमें से लगभग सभी मुस्लिम-बहुल हैं, जैसे कि अल्ज़ीरिया, पाकिस्तान और सऊदी अरब।
यदि आप शिनजियांग में उइगर हैं, तो इन मुल्कों के साथ किसी भी तरह का संपर्क हिरासत तक ले जाने का आधार है। “संवेदनशील देशों” की इस सूची में कजाकिस्तान जैसे चीन के मध्य एशियाई पड़ोसी भी शामिल हैं, जहां कई उइगरों के परिवार और दोस्त हैं साथ ही सांस्कृतिक और जातीय संबंध भी हैं। उइगर ने गलती से यदि पासपोर्ट के लिए अप्लाई कर दिया, तो समझ लीजिए उनकी शामत आगे, यानी फिर डिटेंशन सेंटर।
ज़बरदस्ती कराई जाती है मज़दूरी
शिविर में जहां एक ओर कड़ी निगरानी और निमयों से हर कोई परेशान रहता है, वहीं शिविर से लौटे लोगों के हवाले से यह भी सच सामने आया कि वहां सुधार के नाम पर युवकों से फैक्टरियों में ज़बरदस्ती काम करवाया जाता था।
इसके लिए कम उम्र के युवकों का चुनाव किया जाता था ताकि अधिक शारीरिक क्षमता के साथ वे वहां मज़दूरी का काम कर सकें। एक बार इस शिविर से निकल जाने के बाद भी कड़ी निगरानी के साथ व्यक्ति को उसी के घर में नज़रबंद रखा जाता है। ताकि वह फिर से अपने धर्म के रास्ते पर ना चल सके।
हालांकि चीनी सरकार ने इन सभी बातों को फेक न्यूज़ का हवाला देते हुए झूठ करार दिया है परंतु इसे नकारा नहीं जा सकता है, क्योंकि बिना आग के कभी धुंआ नहीं निकलता है और सच कभी जालीदार पर्दे से छुपाया नहीं जा सकता है।