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“अगर शाहीन बाग की औरतें डटी ना होतीं, तो पुलिस इनके प्रोटेस्ट को कुचल देती”

शाहीन बाग की महिलाओं का विरोध प्रदर्शन

शाहीन बाग की महिलाओं का विरोध प्रदर्शन

“ख़ुदी को कर बुलंद इतना कि हर तक़दीर से पहले, ख़ुदा बंदे से ख़ुद पूछे बता तेरी रज़ा क्या है?”

जो शख्स खुद अपने लिए खड़ा नहीं होता, दूसरे भी उसकी मदद नहीं करते हैं। CAA और NRC के खिलाफ जब मुसलमानों ने अपने हक और वजूद के लिए आवाज़ उठाई, तो मेरे वतन के बाकी मज़हब के लोग भी मुसलमानों के कदम से कदम और कंधे से कंधे मिलाए खड़े रहे हैं। मुझे उम्मीद है कि आगे भी खड़े रहेंगे।

मेरी हमेशा मुसलमानों से शिकायत रही है कि वे अपने लिए कभी आवाज़ नहीं उठाते और ना ही अपने हक के लिए सरकार से बात करते हैं। हमेशा बस कुछ दोगले मुसलमान नेता या मौलवियों के पीछे ही चलते हैं लेकिन इस बार मुसलमान ना सिर्फ अपनी आवाज़ उठा रहे हैं, बल्कि अपने हक के लिए सरकार से भिड़ गए हैं।

वह भी किसी की सरपरस्ती के बिना। अब जब तक सरकार लोगों से बात नहीं करती या यह एक्ट वापस नहीं लेती, तब तक यह आंदोलन जारी रखा जाएगा। कुछ रोज़ पहले ज़ाफराबाद के इलाके में था, वहां भी शाहीन बाग की तरह लोग ठंड में हाथों में मोमबत्ती और तिरंगा लिए खड़े थे।

क्या बच्चे, क्या जवान और क्या बूढ़े, इस बार एक खास और नई बात देखने को मिली कि मुसलमानों की तरफ से इस आंदोलन का ज़िम्मा औरतों ने उठाया हुआ है और दूसरा यह कि मुसलमान पूरी तैयारी के साथ मैदान में हैं। चाहे कौमी नारे हों या इन्कलाब की गूंज या हांथों में तिरंगा, मुसलमानों ने यह आंदोलन बेहद शालीन और संवैधानिक तरीके जारी रखा है।

मुसलमानों के इस नए अवतार पर मुझे गर्व है

प्रदर्शन करती शाहीन बाग की महिलाएं। फोटो साभार- सोशल मीडिया

आंदोलन के शुरू में कुछ झड़पें ज़रूर हुईं, खासकर पुलिस की तरफ से, फिर भी इस आंदोलन को देशद्रोही रंग देने की साज़िश नाकाम साबित हुई। उत्तर प्रदेश में कई बेगुनाहों को जेलों में डाला गया, उनके साथ बर्बरता की गई। यहां तक कि मृत व्यक्तियों के खिलाफ भी FIR जारी की गई।

इससे पता चलता है कि सरकार बात करने के बजाए दमन का रुख अपनाना चाहती है। अगर शाहीन बाग की औरतें डटकर यह जज़्बा और समझ ना दिखातीं, पुलिस ज़ाहिर तौर पर इस आंदोलन को कुचल देती। मुसलमानों के इस नए अवतार से मैं बेहद फक्र महसूस कर रहा हूं।

आंदोलन को बदनाम करने की नापाक कोशिश

शाहीन बाग की महिलाएं। फोटो साभार- सोशल मीडिया

कुछ दिनों पहले इस आंदोलन को हिन्दू बनाम मुसलमान बनाने की नापाक हरकत की गई लेकिन मुसलमानों के साथ खड़े दूसरे मज़हब के लोगों ने इस चाल पर पानी फेर दिया। फिर कुछ दिन पहले बीजेपी ने एक वीडियो जारी करते हुए कहा कि शाहीन बाग की औरतें पैसा लेकर धरना दे रही हैं।

जब उसी वीडियो पर सवाल खड़े हुए, उसकी प्रमाणिकता के सबूत मांगे, तब BJP ने कोई जवाब नहीं दिया। ट्विटर और बाकी प्लेटफॉर्म पर “शाहीन बा की बिकाऊ औरतें” नाम से बेहद घटिया किस्म का हैशटैग चलाया गया। इससे सरकार की मंशा साफ ज़ाहिर होती है कि सरकार बात करने के बजाए गलत और असंवैधानिक तरीके से आंदोलन खत्म करना चाहती है।

CAA और NRC को कौन सपोर्ट कर रहे हैं?

CAA के समर्थन में रैली। फोटो साभार- सोशल मीडिया

वहीं, एक सर्वे के मुताबिक CAA और NRC को 62  प्रतिशत लोगों का समर्थन प्राप्त है फिर सरकार इतनी सारी सभाएं और रैलियां क्यों कर रही हैं? सरकार अपने समर्थकों और जो इस एक्ट जो समझते हैं, उन्हीं से बात कर रही है। जबकि सरकार को इसे ना समझने वाले या विरोधियों से बात करनी चाहिए।

सरकार बस अपना फैसला लोगों पर थोपना चाहती है, चाहे कोई जिये या मरे। सरकार सामने से बात करने में डर रही है। इसलिए झूठ और भ्रम फैला रही है, ठीक उसी प्रकार से, जैसे अंग्रेज़ आज़ादी के आंदोलनकारियों के साथ करते थे।

यह लड़ाई तो बस अभी शुरू हुई है, इस लड़ाई को और भी बल चाहिए। इसलिए मेरा सभी से इल्तिजा है कि जहां-जहां भी आंदोलन हो रहे हैं, वहां जाइए और बाकी सब की हिम्मत बढ़ाइए।

खासकर मुसलमान जो अपने बिस्तरों में पड़े रहते हैं और सोचते हैं कि उनके जाने से क्या होगा? अरे भैया, आपके और आपके बच्चों के मुस्तकबिल के लिए है यह लड़ाई। अगर आज आपने साथ नहीं दिया, तो कल आपके साथ कुछ गलत होने  पर बाकी सब भी आपका साथ नहीं देंगे। इस आंदोलन को देश के हर नागरिक का समर्थन प्राप्त है, सिवाय सरकार के।

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