देशभर में नागरिकता कानून को लेकर चल रहे विवादों के बीच सुप्रीम कोर्ट में आज उन 144 याचिकाओं पर सुनवाई हुई, जिनके माध्यम से CAA की संवैधानिकता को चुनौती दी गई थी। गौरतलब है कि इन याचिकाओं पर चीफ जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस एक अब्दुल नज़ीर और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने सुनवाई की।
सुप्रीम कोर्ट में डाली गई 144 याचिकाओं में से अधिकतर याचिकाएं इसके खिलाफ हैं। जबकि कुछ याचिकाएं ऐसी हैं, जो CAA की वकालत कर रही हैं।
आपको बता दें कि सीएए की संवैधानिक वैधता को इंडियन यूनियन ऑफ मुस्लिम लीग, पीस पार्टी, असम गण परिषद, ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन, जमायत उलेमा ए हिन्द, जयराम रमेश, महुआ मोइत्रा, देव मुखर्जी, असददुद्दीन ओवेसी, तहसीन पूनावाला व केरल सरकार सहित अन्य ने चुनौती दी है।
मालूम हो कि 18 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर परीक्षण करने का निर्णय लेते हुए सरकार को नोटिस जारी किया था। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने उस दिन अधिनियम पर रोक लगाने से मना कर दिया था।
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान काँग्रेस नेता और वकील कपिल सिब्बल ने इस कानून पर अंतरिम रोक लगाने और मामले को संविधान पीठ के पास भेजने की मांग की है।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या-क्या अहम बातें कही हैं?
- केन्द्र का पक्ष जाने बिना CAA को स्थगित करने का कोई आदेश जारी नहीं होगा।
- संवैधानिक पीठ का गठन किया जाएगा, जो CAA पर सुनवाई करेगा।
- सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को चार हफ्ते का समय दिया है जवाब देने के लिए।
- पाचंवे हफ्ते होगी सुनवाई। कोर्ट से 6 हफ्ते का समय मांगा था।
- सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि CAA से जुड़े मामलों में अब किसी भी हाई कोर्ट में सुनवाई नहीं होगी।
- असम और त्रिपुरा मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से दो हफ्ते का समय दिया है। सरकार को दो हफ्ते के अंदर जवाब देना होगा।