प्यारे मर्दों,
हम मर्द अपने लिंग, कंडोम और अपने सेक्स वाली सोच को लेकर जितना सहज होंगे, अपने साथी के लिए उतना ही बेहतर अवस्था तैयार कर पाएंगे। आखिर संभोग दो लोगों के सहज लगने, दो लोगों की सहमति साथ होने वाली क्रिया है।
आगे जानेंगे हस्तमैथुन और इससे जुड़े मिथकों के बारे में-
जब मैं मिडिल स्कूल में था, तो कभी-कभी सुनने को मिलता था कि वो लड़का बाथरूम में हिला रहा था या मुठ (हस्तमैथुन) मार रहा था। तब नही पता था कि मुठ मारना क्या होता है? बस इतना समझ में आया कि सबके सामने नहीं बोलने वाली बात है।
जब मैं हाई स्कूल में था, तो गाँव से 8 कि.मी. दूर साइकिल से स्कूल जाता था। तब एक दोस्त, जो सीनियर था हस्तमैथुन के बारे में खूब बातें करता था। अब हस्तमैथुन के बारे में झिझक से ज़्यादा उत्सुकता होने लगी थी धीरे-धीरे।
वह बताता था कि कैसे वो नदियों के पास जाकर लड़कियों को कपड़ा बदलते हुए देखता है और अपने आप को उत्तेजित करता है। उसकी कहानी दिलचस्प के साथ-साथ अजीब भी लगती थी। दोस्त भी इन विषयों पर कुछ ना कुछ बोलते रहते हैं।
हस्तमैथुन को लेकर मिथक आज भी बरकरार है
शुरू-शुरू में हस्तमैथुन करना अजीब सा लगता है। खुद से ही प्रतियोगिता सा लगता है। एक प्रकार का डर लगता है। डर इस बात का कि क्या मेरा वीर्य स्खलन (सफेद पानी) निकलेगा? कितनी देर तक और कैसे करना है, सब दूसरी दुनिया की बात सी लगती थी। अब तो पॉर्न और ब्लू फिल्म का दौर है।
सबके पास स्मार्ट फोन है, तो कई सारे तरीके हैं खुद से खुराफाती होने का। हालांकि उसके फायदे से ज़्यादा नुकसान हैं फिर भी दौर अभी बदल चुका है। बावजूद इसके हस्तमैथुन को लेकर जो मिथक हैं, वे आज भी बरकरार हैं।
जिस तरह टट्टी करना नॉर्मल है, ब्रश करना और पेशाब करना नॉर्मल है, वैसे ही हस्तमैथुन करना भी नॉर्मल है। आपका बेटा हो, भाई हो, पति हो, दोस्त हो या आप खुद हों, हर कोई हस्तमैथुन करता है। बस इसके बारे में हर कोई बात नहीं करता है।
ट्रेनों और स्टेशनों में अब भी वे किताबें मिलती हैं, जिनमे सेक्स के किस्से भरे होते हैं और उन किताबों की बिक्री भी बहुत होती है। जब भी कोई चीज़ जो प्राकृतिक है, उसे दबाने की कोशिश की जाती है तो वे कई और रूपों में नज़र आने लगते हैं।
इसलिए हस्तमैथुन जैसी चीज़ों पर नॉर्मल रवैया रखना और अपनाना नॉर्मल है। लगभग हर पुरुष कभी ना कभी हस्तमैथुन करता ही है। इसका शादी या सेक्स की संतुष्टि से कोई सम्बन्ध नही है।
हस्तमैथुन करना कोई गंदी बात नहीं
हस्तमैथुन अपने आप में एक क्रिया है। शादीशुदा व्यक्ति भी हस्तमैथुन करता है, उसका मतलब यह नहीं कि उसे पर्याप्त सेक्स नहीं मिल रहा है। अगर हस्तमैथुन कुछ है, तो मुझे लगता है ‘बेहतर’ ही है। इसका कोई नुकसान नहीं है।
12-13 साल के बाद हस्तमैथुन करना एकदम स्वाभाविक है। आप चाहकर भी इसे नियंत्रित नहीं कर सकते हैं। आप यह मत सोचें कि आपका बेटा वैसा नहीं है। “वैसा” हर कोई होगा, यह नॉर्मल है।
बेहतर यह है कि हम और आप इन विषयों पर खुली बात रखें। हम यह बता सकते हैं कि वे क्या पढ़ें, कैसे साफ-सफाई रखें और भी कई चीज़ें। आप सबका हस्तमैथुन का अलग-अलग अनुभव रहा होगा। सबका अलग रहता ही है।
महिलाओं के हस्तमैथुन को लेकर और भी ज़्यादा रुढ़िवादिता है
ये सब तब समझ आया था, जब मैं बड़ा हो गया था और डेटिंग करने लगा था। लड़कों के हस्तमैथुन के बारे में जो है सो है ही, महिलाओं के हस्तमैथुन के बारे में तो हज़ार गुना ज़्यादा रूढ़िवादिता है।
गाँवों और छोटे कस्बों में तो पूछो मत! वैसे भी लड़कियों की यौनिकता को लेकर तो एक लंबा इतिहास रहा है। अगर लड़की सेक्स के लिए पहल करे तो चरित्र ठीक नहीं, लड़की सेक्स टाइप का जोक मारे तो गिरी हुई है।
हम लगभग इसी तरह के माहौल, संस्कृति और सभ्यता के आसपास बड़े होते हैं फिर अमूमन लड़कियों के बीच भी दूसरे लड़कियों के बारे में यही धारणा बन जाती है। (मैंने जितनी लड़कियों से बात की है, यह धारणा उसी के अनुसार है।)
12 -13 साल में जब लड़कियों का मासिक धर्म शुरू होता है, तो यह मान लिया जाता है कि वे अब बड़ी हो गई हैं मगर बड़ी कैसे हो गईं? बड़ी हो गईं तो क्या? कभी उनके साथ ऐसी कोई बात की गई, जिससे लगे कि हां वे बड़ी हो गई हैं?
खैर, आते हैं हस्तमैथुन पर। लड़कियों के लिए भी हस्तमैथुन उतना ही महत्वपूर्ण है। मेरा मानना है कि पुरुषो से भी ज़्यादा। मैंने सैकड़ों बार जो महिलाएं जिनके साथ यौन शोषण हुए हैं, उनसे इस विषय पर बात की है। उन सबका कहना था कि हस्तमैथुन करना और ऑर्गेज़्म तक पहुंचना एक आज़ादी जैसा था।
दुनियाभर में ना जाने कितने रिसर्च हुए होंगे जिनमें ऐसी बातें कही जाती होंगी कि हर चौथी लड़की अपने सेक्स से खुश नहीं हैं। हर तीसरी लड़की अपने जीवन काल में बहुत बार ऑर्गेज़्म (जैसा पुरुषो का वीर्य निकलता है वैसा ही) का आनंद ले पाती हैं।
पुरुषों का वीर्य निकल गया तो समझ आ गया कि इस छोरे का काम हो गया मगर लड़कियों का क्या? सेक्स कर लेना एक बात है और ऑर्गेज़्म (कामोत्तेजना) का आनंद लेना दूसरी बात। जब कभी उसे अनुभव ही नहीं किया गया तो कैसे पता चलेगा कि कैसे लगता है?
चाहे वो अमेरिका हो या कोई और यूरोपीय देश। महिलाओं में सेक्स और उनकी सेक्स इच्छा या डिज़ायर के बारे में बहुत कम बात हो पाती है। मेरे पास विशेषाधिकार है कि मैं सैकड़ों महिला दोस्तों के साथ इस विषय पर चर्चा कर पाता हूं।
ऑर्गेज़्म के समय निकलने वाले तरल पदार्थ
लड़कियों के ऑर्गेज़्म के समय कई तरह के रासायनिक तरल पदार्थ निकलते हैं, जो कई कारणों से बहुत ही उपयोगी हैं। मानसिक और शारीरिक दोनो रूप से। अब रही बात हस्तमैथुन करें कैसे? तो वो भी लड़कों की तरह ही अटपटा सा है या उससे ज़्यादा ही कह सकते हैं।
अब जबकि रूढ़िवादिता इस वर्ग में और ज़्यादा है, तो जान लीजिए कि लड़कियों के हस्तमैथुन के लिए तमाम तरह की चीज़ें आती हैं। मैं उन सब पर एक उपन्यास लिख सकता हूं। फिलहाल, मुख्य रूप से लड़कियों के हस्तमैथुन के लिए दो तरह की चीज़ें चर्चा में हैं। एक प्लेन डिल्डो होता है, जो दिखता लिंग की ही तरह है। यह अलग-अलग साइज़ और संरचना में मिलता है।
दूसरा, जिसे वाइब्रेटर कहते हैं। जो हस्तमैथुन करते समय कम्पन करती है, जिससे लगता है कि असल में लिंग ही है। सेक्स के बारे में लड़कियो के बीच इसका चलन अब बढ़ रहा है, जो कि अच्छा ही है।
आप अपनी गर्लफ्रेंड के लिए बाली लेते हैं, झुमका लेते हैं, बीवी के लिए साड़ी लेते हैं तो डिल्डो क्यों नहीं? आप एक बेहतर मर्द होना चाहते हैं और अपने आपको मर्द कहते हैं, तो बस यह छोटा काम शुरू कर दीजिए।
दूसरों के बारे में नहीं लिखूंगा। खुद की ही कमज़ोरियों और अनुभवों को साझा करता रहूंगा। एक मेरी गर्लफ्रेंड थी। बहुत संघर्ष के बाद हम इस स्तर पर पहुंचे थे कि वह हस्तमैथुन कर सकती थी।
एक वाइब्रेटर लिया था। कई बार वह मेरे सामने बैठकर हस्तमैथुन करती थी। कभी-कभी हम एक साथ करते थे। यह सिर्फ सेक्स कर लेना या कमज़ोरी, मर्दानगी टाइप के बारे में नहीं है। अपनी यौनिकता और लैंगिकता को समझना भी बेहद ज़रूरी है और मैं मानता हूं कि महिलाओं में ऑर्गेज़्म का आनंद लेना आज़ादी की एक परत है।
चाहे कोई शादीशुदा हो या सिंगल, हस्तमैथुन एकदम नॉर्मल है। जमकर करिए। दूसरों से बात भी कीजिए इस पर।
मिथक और अफवाह
एक तो होते हैं चमपट्ट लाल जो हांकते फिरते रहते हैं कि मैंने इतनी दफा हस्तमैथुन किया। तो ऐसी चीज़ों को छोड़कर और ढेर सारे मिथक हैं। अंधापन होना या आंख का कमज़ोर होना। यग सबसे मशहूर अफवाह है कि ज़्यादा हस्तमैथुन करने से आंख कमज़ोर हो जाता है।
फिर एक लंबी लिस्ट है, जिनमें से बस कुछ का ज़िक्र कर रहा हूं यहां। जैसे- नपुंसकता आ जाएगी, लिंग का साइज़ छोटा हो जाएगा, बाल झड़ने लगेंगे इत्यादि। यह भी कहा जाता है कि अधिक हस्तमैथुन करने से शारीरिक कमज़ोरी हो जाएगी। थोड़ा मानसिक विकास रुक जाएगा।
लड़कियों के लिए?
बांझ हो जाएगी, बच्चा नहीं होगा, वर्जिन या कुमारी नहीं रहेगी जैसी बातें लड़कियों के संदर्भ में आम है मगर इन सब चीजों को टॉयलेट में फेंक आइए। इनमें से किसी भी बात में रत्ती भर सच्चाई नही है। अगर कोई यह कहे, तो उसे कंडोम गिफ्ट कर दो बस। या गोबर का एक लौंदा।
और हां, हस्तमैथुन की कोई सीमा नहीं है। जितनी बार चाहे कर सकते हैं। बस तकलीफ ना हो तब तक। हस्तमैथुन के कोई नुकसान नहीं है।
अगर कभी अधिक बार करने से लिंग फूल जाए, तो घबराइए मत क्योंकि यह नॉर्मल है। एक दिन में अपने आप ठीक हो जाएगा। कुछ दवा मत खाइए उसके लिए, बल्कि हस्तमैथुन के फायदे कई हैं। जैसे- नींद में मददगार होता है और कई बार तनाव को भी दूर करता है।
मर्द समाज के लिए मेरी ओर से मुफ्त का ज्ञान
लुब्रिकेंट (एक तरल चीज़), महिलाएं/लड़कियां जब संभोग के लिए तैयार हो तो योनि के आसपास गीलापन होना स्वाभाविक है। यह शरीर का रिस्पॉन्स है, जो संभोग को दर्द रहित बनाने में मदद मददगार है।
योनि का गीलापन कई चीज़ों पर निर्भर करता है। जैसे उम्र, हॉर्मोन, दवाइयां, तनाव, मूड, इंफेक्शन और रिलेशनशिप कैसा है आदि। इसके अलावा बाज़ार में भी तरह-तरह के लुब्रिकेंट मिलते हैं, जिसे सेक्स करने के दौरान उपयोग कर सकते हैं।
इसे सेक्स से पहले लड़के अपने लिंग में और लड़कियां अपनी योनि में लगा सकती हैं। इससे रूखापन नहीं रहता और दर्द भी नहीं होता। कुछ केमिकल वाले होते हैं उसे मत लीजिएगा, जैविक वाला बेहतर होता है। इसका बड़ा फायदा यह है कि इसे लगाने के बावजूद भी आप ओरल सेक्स कर सकते हैं और इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है।
आगे के लिए आपके पास सेक्स से संबंधित कुछ मिथक हों तो बताइएगा। मैं लिखने की कोशिश करूंगा।