एक तरफ जहां देश नए साल के जश्न में डूबा हुआ है, वहीं दूसरी तरफ राजस्थान का कोटा शहर साल के जाते-जाते 91 बच्चों की मौत का दंश झेल रहा है। यह आंकड़ा अब 100 पर पहुंच चुका है। पिछले 29 दिनों के अंदर करीब 100 मासूमों ने शहर के जेके लोन अस्पताल में अपना दम तोड़ दिया।
उल्लेखनीय है कि कोटा के प्रतिष्ठित जेके लोन अस्पताल में 23-24 दिसंबर के बीच 10 बच्चों की मौत हो चुकी है। इसके बाद 25-29 दिसंबर के बीच कुल 14 बच्चों को अपनी जान गंवानी पड़ी है।
जांच कमेटी की रिपोर्ट में क्या कहा गया?
बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत मामले का संज्ञान लेने के बाद एक जांच टीम बनाकर अस्पताल भेज चुके थे ताकि नवजात बच्चों की लगातार हो रही मौतों के बारे में सही तरीके से पता चल सके लेकिन गहलोत सरकार की बनाई जांच कमेटी ने अस्पताल प्रशासन और डॉक्टरों को क्लीन चिट दे दी है।
जांच कमेटी ने इलाज में कोई खामी नहीं पाई है। इस जांच कमेटी की रिपोर्ट में अस्पताल में बेड की भारी कमी के साथ-साथ यह भी बताया गया कि माता-पिता द्वारा सर्दी की चपेट में आने के बाद बच्चों को बिना एहतियातन एक स्थान से दूसरे स्थान ले जाया गया। जांच कमेटी ने यह भी कहा है कि आईसीयू में ऑक्सीजन सिलेंडर पाइप-लाइन की व्यवस्था नहीं थी जिस कारण वहां तक सिलेंडर ले जाना पड़ता था।
बच्चों की मौत पर शुरू हुई राजनीतिक बयानबाज़ी
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस पूरे मामले पर विवादित बयान देते हुए कहा कि राजस्थान में हर दिन अस्पताल में तीन से चार बच्चों की मौत होती रहती है, यह कोई नई बात नहीं है।
इस मामले को लेकर काँग्रेस और बीजेपी के नेताओं में सियासी घमासान भी देखा जा सकता है, क्योंकि हमारे देश में एक छोटे शहर में स्वास्थ्य सुविधाएं पूर्णत: उपलब्ध हो या ना हो मगर राजनीतिक मुद्दों में कमी कभी नहीं आती है फिर चाहे बात 100 मासूमों की मौत की ही क्यों ना हो!
मौत के लिए बीजेपी ने काँग्रेस को ज़िम्मेदार ठहराया है। वहीं, काँग्रेस ने बीजेपी को अपनी सरकार के आंकड़ों पर गौर करने के लिए कहा है। जबकि बसपा प्रमुख मायावती ने काँग्रेस की सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि इस मुद्दे पर क्यों खामोश है राज्य की सरकार? आपको बता दें कि अस्पताल के खिलाफ कार्रवाई के नाम पर सिर्फ अभी तक अस्पताल के अधीक्षक डॉ. एचएल मीणा को हटाया गया है।
कोटा के जेके लोन अस्पताल में पिछले 6 सालों में बच्चों की मौतों की संख्या पर एक नज़र-
गौरतलब है कि NCPCR (National Commission for Protection of Child Rights) के मुताबिक कोटा के जेके लोन अस्पताल में साफ-सफाई की हालत बेहद खराब है। इस अस्पताल में साल 2019 में 963 बच्चों की मौत हो चुकी है।
अभी कुछ महीने पहले ही बिहार के मुज़फ्फरपुर में चमकी बुखार के कारण जब भारी संख्या में बच्चों की मौतें हुई थीं, तब ऐसा लग रहा था कि देश के अलग-अलग शहरों में बच्चों के स्वास्थ्य पर सरकार द्वारा किसी ठोस योजना पर काम किया जाएगा मगर क्या वाकई में ऐसा हुआ?
सरकारें आती हैं और जाती हैं, आम जनता के लिए जो बेहद ज़रूरी है वो यह कि हम लगातार सरकारी व्यवस्था की खामियों के खिलाफ आवाज़ उठाएं। यदि हम आवाज़ नहीं उठाएंगे तो हमारे लिए कोई और आवाज़ बुलंद करने नहीं आएगा।