द इकोनॉमिस्ट की एजेंसी द इकोनॉमिस्ट इंटेलीजेंस यूनिट यानी EIU के लोकतंत्र इंडेक्स पर नई रिपोर्ट आ गई है। इस नई रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश भारत 10 स्थान गिरकर 51वें पायदान पर खिसक गया है। नार्वे इस सूची में शीर्ष पर है। जबकि उत्तर कोरिया 167वें स्थान के साथ सबसे नीचे है।
भारत की डेमोक्रेसी इंडेक्स में गिरती रैंकिंग का कारण
डेमोक्रेसी इंडेक्स के सूचकांक के अनुसार भारत की रैंकिंग में गिरावट का एक प्रमुख कारण असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर यानी NRC का लागू होना होना क्यों नहीं? समझने की बात है कि NRC के कारण 19 लाख व्यक्तियों को इससे से बाहर होना पड़ा।
यही नहीं, उस रिपोर्ट में अनुच्छेद 370 एवं अनुच्छेद 35 ‘A’ को निरस्त करने की चर्चा की गई। यहां तक कहा गया कि भारत सरकार ने जम्मू-कश्मीर में बड़ी संख्या में सैनिकों को तैनात किया, विभिन्न सुरक्षा उपायों को लागू किया। साथ ही स्थानीय नेताओं को घर में नज़रबंद रखा, जिनमें भारत के संवविधान समर्थक भी शामिल थे।
कैसे तैयार हुई यह रिपोर्ट
डेमोक्रेसी इंडेक्स पर “The Economist intelligence Unit” द्वारा तैयार की गई “A Year Of Democratic Setbacks and Popular protect” नामक रिपोर्ट जारी की गई। यह वैश्विक सूचकांक 165 स्वतंत्र देशों और दो यूनियन टेरिटॉरीज़ में लोकतंत्र की मौजूदा स्थिति को प्रदर्शित करता है। ज्ञात हो कि पांच पैमानों पर इस रैंकिंग का निर्धारण किया जाता है।
वे पांच पैमाने जिनसे गुज़रकर रिपोर्ट डेमोक्रेसी इंडेक्स की रैंकिंग तय करती है
- चुनाव प्रक्रिया और बहुलतावाद
- सरकार की कार्यशैली
- राजनीतिक भागीदारी
- राजनीतिक संस्कृति
- नागरिक आजादी
ये सभी पैमाने एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। यही नहीं इन पांच पैमानों के आधार पर ही किसी भी देश में निष्पक्ष चुनाव एवं लोकतांत्रिक व्यवस्था की स्थिति का पता लगाया जाता है। अत: आंकलन में मिले 1 से 10 अंकों के पैमाने के आधार पर रैंक तय की जाती है। सूचकांक से संबंधित प्रमुख बिंदु इस प्रकार हैं,
- पूर्ण लोकतंत्र
- दोषपूर्ण लोकतंत्र
- हाइब्रिड शासन
- सत्तावादी शासन/ निरंकुश
परत दर परत क्या कहती है रिपोर्ट
तो सूचकांक के अनुसार 167 देशों में केवल 22 मुल्कों को पूर्ण लोकतांत्रिक देश बताया गया है। दोषपूर्ण लोकतांत्रिक श्रेणी के तहत कुल 54 देश इसमें शामिल हैं। खास बात ये है कि इस श्रेणी में भारत भी सम्मिलित है। हाइब्रिड शासन श्रेणी में कुल 37 देशों को शामिल किया गया है, तो वहीं सत्तावादी शासन श्रेणी में कुल 54 देशों को शामिल किया गया है।
इस सूची में नॉर्डियक देश शीर्ष पांच स्थानों पर काबिज हैं। इस सूची में पहले स्थान पर डेनमार्क (85 अंक) है, जिसके बाद नॉर्वे, फिनलैंड, स्वीडन और आइसलैंड हैं। शीर्ष दस देशों की सूची में नीदरलैंड (6वें), स्विट्जरलैंड (7वें), ऑस्ट्रिया (8वें), बेल्जियम (9वें) और लक्जमबर्ग (10वें) स्थान पर हैं।
तो भारत ने चुनाव प्रक्रिया और बहुलतावाद में 8.67, सरकार की कार्यशैली में 6.79, राजनीतिक भागीदारी में 6.67, राजनीतिक संस्कृति में 5.63 और नागरिक आज़ादी में 6.76 अंक हासिल किये।
भारत को दोषपूर्ण लोकतंत्र की श्रेणी में रखा गया है
वर्तमान सूचकांक में भारत को दोषपूर्ण लोकतंत्र की श्रेणी में रखा गया है। दोषपूर्ण लोकतंत्र की श्रेणी से आशय है कि वह मुल्क जहां स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव होते हैं तथा बुनियादी नागरिक स्वतंत्रता का सम्मान किया जाता है लेकिन लोकतंत्र के पहलुओं में विभिन्न समस्याएं हिती हैं। उन समस्याओं के अनुसार शासन में समस्याएं, एक अविकसित राजनीतिक संस्कृति और राजनीतिक भागीदारी का निम्न स्तर आदि शामिल हैं।
सोचिये हिंदू-मुस्लिम के इर्द-गिर्द घूमती सियासत की चादर ओढ़कर के नागरिकों को उनके मूल अधिकारों से वंचित करने का आखिर परिणाम होगा क्या? आप खुद देखिये कि भारत को सबसे कम अंक राजनीतिक संस्कृति में मिले हैं। जो इस लोकतंत्र के लिए बुरे संकेत नहीं तो क्या हैं। अर्थव्यवस्था तार-तार है तो बेरोज़गारी चरम पर लेकिन यहां धार्मिक बहस के अलावा और कोई काम नहीं है।
2019 में जितने भी इंडेक्स आये थे उन सभी में भारत की दशा बहुत खराब थी चाहे वो हंगर इंडेक्स हो, पासपोर्ट इंडेक्स हो या HDR हो। गज़ब तो तब होगा जब क्रोनोलॉजी समझने पर पता चलेगा कि जिन देशों की रैंकिंग डेमोक्रेसी इंडेक्स में अच्छी है उनकी प्रेस इंडेक्स में भी अच्छी रैंकिंग है। प्रथम 4-5 देशों की रैंकिंग को आप खुद देखकर अंदाज़ा लगा सकते हैं।
सच तो यह है कि हम इस बात को बिल्कुल नहीं नकार सकते कि 2019 में आये सभी इंडेक्स में डेमोक्रेसी इंडेक्स भारत के लिए सबसे बुरा रहा है। जबकि आप नॉर्वे को पर नज़र डालियए तो अधिकांशत इंडेक्स में उसकी प्रथम रैंक है।