वाइल्डलाइफ प्रोटेक्शन सोसायटी ऑफ इंडिया ट्रस्ट की रिपोर्ट (डब्ल्यूपीएसआई) के मुताबिक, भारत में बीते 10 सालों (2010-2019) में सड़क और रेल दुर्घटनाओं में तेंदुओं की मौत में 278% की बढ़ोतरी हुई है।
डब्ल्यूपीएसआई ने बताया कि
- 2019 में एक्सीडेंट्स में 83 तेंदुए,
- 2018 में 80,
- 2017 में 63,
- 2016 में 51,
- 2015 में 51,
- 2014 में 41,
- 2013 में 35,
- 2012 में 28,
- 2011 में 30 और
- 2010 में 22 तेंदुए मारे गएं।
- हालांकि, 2019 में कुल 491 तेंदुए मारे गएं,
- जबकि 2018 में यह आंकड़ा 500 था।
महाराष्ट्र में मारे गए सबसे ज़्यादा तेंदुए
अगर तेंदुओं की मौत के मामले में राज्यों की बात की जाए तो 2019 में सबसे ज़्यादा 22 तेंदुए (19 सड़क दुर्घटना और 3 रेल ऐक्सिडेंट) महाराष्ट्र में मारे गए। बीते सोमवार को पुणे नासिक-हाइवे पर एक चार वर्षीय तेंदुए को किसी वाहन ने टक्कर मार दी थी और वह बाद में तड़प-तड़प कर मर गया। इसी हाइवे को कुछ समय पहले दो लेन से चौड़ाकर चार लेन में बदला गया है।
2018 में भी तेंदुओं की सर्वाधिक मौत महाराष्ट्र में ही हुई थी। अगर अन्य राज्यों की बात करें तो उत्तराखंड में पिछले साल 11, राजस्थान में 10, मध्य प्रदेश में 9, कर्नाटक में 7, गुजरात में 5 तेंदुए मारे गएं।
2019 में 110 बाघ मारे गएं
वाइल्डलाइफ प्रोटेक्शन सोसायटी ऑफ इंडिया ट्रस्ट की रिपोर्ट (डब्ल्यूपीएसआई) के मुताबिक, भारत में साल 2019 में 110 बाघ (टाइगर) मारे गएं और इनमें से 38 की मौत का कारण अवैध शिकार, 26 की मौत की वजह आकस्मिक मौत, 36 मौतें बाघों के बीच आपसी लड़ाई और 3 की मौत की वजह सड़क/रेल दुर्घटना है। वहीं, साल 2018 में 104 बाघों की मौत हुई थी और 34 के मरने का कारण अवैध शिकार था।
किन राज्यों में कितने बाघों की मौत हुई?
डब्ल्यूपीएसआई ने बताया कि 2019 में सबसे ज़्यादा 23 बाघ मध्य प्रदेश में मारे गए जो पिछले साल से 6 अधिक है। बाघ की मौतों के आंकड़ों को लेकर अन्य राज्यों की बात की जाए तो 2019 में महाराष्ट्र में 22 बाघों की मौत हुई जबकि 2018 में यह आंकड़ा 19 है। पिछले साल कर्नाटक में 12 बाघों की मौत हुई, जो 2018 से 4 कम है। सबसे कम 3 बाघों की मौत केरल में हुई है।