CAA के खिलाफ शाहीन बाग का विरोध प्रर्दशन शुरू हुआ। साथ ही यह आंदोलन पुलिस द्वारा स्टूडेंट्स पर हुए निर्मम कृत्य के खिलाफ भी है। इस आंदोलन की अगुवाई महिलाएं कर रही हैं।
शाहीन बाग से प्रेरणा लेते हुए अन्य शहरों में भी इस तरह के विरोध प्रदर्शन शुरू हुए हैं, कोलकाता, बैंगलोर, पटना, गया और प्रयागराज जैसे शहर इनमें शामिल हैं।
मैंने शाहीन बाग में जो देखा
हमने जब शाहीन बाग में विरोध प्रदर्शन वाली जगह का दौरा किया तो पाया कि वहां पर विरोध प्रर्दशन में आने वाले लोगों में विविधता है। कैम्प में भले ही महिलाएं बैठी हुई हैं पर आसपास पुरुषों की ठीक-ठाक संख्या दिखाई देती है। कई सारे पुरुष वॉलेंटियर्स दिखाई देते हैं, जो पानी बांटने से लेकर, प्रदर्शनकारियों का साक्षात्कार करने आए पत्रकारों के लिए प्रबंधन करते हुए दिखाई देते हैं। वहीं, पर एक पोस्टर भी लगा हुआ है कि किसी भी वॉलेंटियर को किसी भी तरीके से पैसा ना दिए जाएं।
क्रिएटिव अड्डा बना हुआ है शाहीन बाग
कुछ कॉलेज स्टूडेंट्स ने वहां पर पुस्तकालय भी बनाया हुआ है। लोग आते हैं, पढ़ते हैं। बातचीत में वहां पर एक विद्यार्थी ने बताया कि यह सामूहिक प्रयास है, इसमें कई विश्वविद्यालयों के स्टूडेंट्स शामिल हैं और उन्होंने उदाहरण के तौर पर दिल्ली विश्वविद्यालय और अलीगढ़ विश्वविद्यालय के नाम लिए।
दुकानदारों को मिलने वाले मुआवजे़ की खबर पर मिली-जुली प्रतिक्रिया मिली। किसी ने कहा कि नहीं हमने ऐसी खबर नहीं सुनी है और किसी ने कहा कि मिलेगा। सारी दुकानें बंद थीं, इसलिए इस सिलसिले में ठीक से बातचीत नहीं हो पाई।
हरियाणा से आए हुए लोगों द्वारा लगाए गए लंगर के पास हमें एक व्यक्ति मिले। उन्होंने बातचीत में कहा,
अगर किसी व्यक्ति की आय पूरी तरह से किराए पर निर्भर है, तो वह किस तरह से रियायत बरतेगा? अभी एक महीने हो गए हैं, यह आंदोलन आगे कितना लंबा खिंचेगा, इसकी समय सीमा निर्धारित तो नहीं है।
हमने कुछ महिलाओं से बात की। हमने उनसे पूछा कि कुछ रोज़ पहले यहां पर लोग तख्तियां लेकर प्रदर्शन कर रहे थे, जिनपर नरेंद्र मोदी को निमंत्रण दिया गया था उसपर आपका क्या कहना है,
हमने उन्हें बातचीत के लिए बुलाया था। कहा था कि किसी तरह से गो बैक नहीं कहा जाएगा पर वे हमारे संदर्भ में कहते हैं, वो टोली हमारे साथ कभी नहीं हो सकती।
हमने उनसे प्रधानमंत्री के लिए उनका संदेश पूछा तो उन्होंने कहा,
भाई जैसा मुल्क चल रहा था चलने दो, क्या करोगे? ऊपर जाओगे तो जवाब नहीं दोगे? क्या कहोगे कि हम मुल्क का बेड़ा गर्क करके आए हैं।
दो महिलाएं जो मेडिकल कैम्प के पास खड़ी हुई थीं, उनसे जब हमने दिल्ली चुनाव पर राय जाननी चाही तो उन्होंने कहा,
लगे रहो। अच्छा करो, सबके लिए काम करो। गुड इंडिया बनाओ, पूरी दुनिया में नाम रौशन करो ना कि बदनाम करो।
मीडिया के प्रति दिखी नाराज़गी
लोगों में मीडिया के प्रति नाराज़गी दिखी। बातचीत में लोग मीडिया पर गुस्सा दिखाते वक्त गोदी मीडिया शब्द का इस्तेमाल भी कर रहे थे। साथ ही अमित मालवीय के लगाए हुए आरोप पर बात करते हुए एक महिला ने हमसे कहा कि जब हम ऊपर जाएंगे तो अपने ज़मीर के साथ जाएंगे, 500 क्या दो लाख रुपए लेकर भी नहीं बैठेंगे। कैम्प से बाहर लोग बोलने से बच रहे थे, जिससे कि प्रर्दशन के बारे बाहर गलत संदेश ना जाए। इस बात का ध्यान रखा जा रहा था।
आस-पास नारे गूंज रहे थे-
जामिया तेरे खून से इंकलाब आएगा
JNU तेरे खून से इंकलाब आएगा
CAA डाउन डाउन
मंच पर कई वक्ता बारी-बारी से आ रहे थे और अधिकतर वक्ता अपनी बातों में नरेंद्र मोदी और अमित शाह से नाराज़गी ज़ाहिर करते हुए , संविधान में अपना विश्वास जता रहे थे। उनकी बातों में भगत सिंह, अशफाक उल्ला खां, महात्मा गॉंधी, अंबेडकर का ज़िक्र था।
मेरे लिए यह आंदोलन यह बताता दिख रहा है कि जब विपक्ष कमज़ोर है, तब जनता ही विपक्ष है और सरकार के हर फैसले को सर माथे चढ़ाने की बजाय यह उसका तार्किक तोल करेगी।
नोट: विष्णु Youth Ki Awaaz इंटर्नशिप प्रोग्राम जनवरी-मार्च 2020 का हिस्सा हैं।