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पटना की सड़कों पर उतरी महिलाएं मोदी जी से क्या कह रही हैं

Sabzi bagh protest

हमारे पुरखों का शरीर इस देश की मिट्टी में दफ्न है और आप हमसे नागरिक होने का सबूत मांग रहे हैं, यह नहीं चलेगा।

यह कहना है पटना के सब्ज़ी बाग में विरोध प्रदर्शन में बैठी शहज़ादी बेगम का। दिल्ली के शाहीन बाग के बाद अब पटना के सब्ज़ी बाग में भी महिलाएं सड़कों पर उतर आई हैं और मोदी सरकार से NRC और CAA वापस लेने की मांग कर रही हैं।

नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ पूरे देश में विरोध प्रदर्शन हो रहा है और इस विरोध प्रदर्शन में महिलाओं की भी पूरी भागीदारी देखने को मिल रही है। इस आंदोलन की मुख्य बात यह है कि यह स्वतः स्फूर्त आंदोलन है। इसका ना तो कोई एक नेता है, ना ही कोई एक पार्टी या संगठन।

उत्तर पूर्व हो या दक्षिण हर जगह इस कानून का विरोध पुरजोर तरीके से हो रहा है। लोग जाति, धर्म, क्षेत्र की सीमा से परे जाकर इस कानून के विरोध में एकजुटता दिखा रहे हैं। सबसे बड़ी खासियत इस आंदोलन की यह है कि पूरे देश में बड़ी तादाद में महिलाएं अपने घरों से निकलकर इस आंदोलन में शरीक हो रही हैं।

पटना के सब्ज़ीबाग में भी विगत 12 जनवरी से महिलाओं का आंदोलन हो रहा है। इस हाड़ कंपकपाती ठंड के बावजूद महिलाएं 24 घंटे CAA और NRC के खिलाफ आंदोलनरत हैं, जिसने पूरे देश का ध्यान अपनी तरफ खींचा है।

पोस्टरों और बैनरों से पटे हैं धरना स्थल

कार्यक्रम स्थल विभिन्न प्रकार के पोस्टरों और बैनरों से पटे मिलेंगे, जहां फैज़, हबीब जालिब से लेकर, पाश, ब्रेख्त, धूमिल, गोरख पांडेय की पंक्तियां सुनने और देखने को मिलेंगी। रातभर चलने वाले सांस्कृति कार्यक्रम में क्रांतिकारी कविताएं सर्द रात में भी गर्माहट का एहसास देती हैं।

मकर संक्रांति पर चूड़ा, गुड़, तिलकुट, दही खाने के साथ वे मोर्चे पर डटी हुई हैं। सभा स्थल के इर्द-गिर्द अलाव लगाकर महिलाएं इस कानून की खामियों पर चर्चा करते मिल जाएंगी।

महिलाओं ने बता दिया है कि हम किसी से कम नहीं

यह आंदोलन महिलाओं को लेकर कई तरह की भ्रांतियां तोड़ रही है। सब्ज़ीबाग की महिलाओं ने इस आंदोलन के माध्यम से बता दिया है कि हम किसी से कम नहीं हैं। जब संकट के बादल छाएंगे तो हम उस घटाटोप अंधेरे से मुकाबला करने सारे बंधनों को तोड़कर सामने आएंगे।

आंदोलन में शामिल शहज़ादी बेगम से जब पूछा गया कि आपलोग क्यों आंदोलन कर रही हैं तो वह बताती हैं,

सरकार का मकसद लोगों को तबाह करना है। जहां देश में लोगों को दो जून की रोटी मिल जाए यही काफी है, वहां पुश्तों के कागज़ात की रखवाली किसके लिए संभव है। लोगों को नोटबंदी की तरह लाइन में लगाया जाएगा और उसका हासिल कुछ नहीं होगा। मोदी जी लोगों से जो वादा किए थे, उसे नहीं पूरा कर पाए हैं, तो उससे ध्यान भटकाने के लिए इस तरह का काला कानून ले आएं। हम महिलाएं इसकी मुखालफत करेंगे।

प्रोटेस्ट में शामिल स्टूडेंट आकांक्षा ने कहा,

हम स्टूडेंट हैं, जब देश जल रहा है तब हम लोगों का यह कर्तव्य बनता है कि इसका पुरजोड़ विरोध करें। हमारे प्रधानमंत्री कहते हैं कि आंदोलन करने वाले के कपड़े देखो। CAA की लड़ाई किसी एक धर्म की लड़ाई नहीं है, इसमें सभी धर्म-सम्प्रदाय के लोग हिस्सा ले रहे हैं। जो भी पीड़ित हैं, वे हमारे साथ हैं।

उन्होंने आगे कहा,

आज विश्वविद्यालयों को तबाह किया जा रहा है। बेरोज़गारों की फौज तबाह हो रही है। इन सबका सरकार को समाधान नहीं मिल रहा है तो हमें बांटने के लिए प्रपंच रचा जा रहा है। जबतक सरकार CAA को वापस नहीं कर देती, हम पीछे हटने वाले नहीं हैं।

जो भी हो सर्द मौसम में सब्ज़ीबाग की ख्वातीनों द्वारा किया जा रहा आंदोलन एक सुखद एहसास तो ज़रूर दे रहा है और वह बहादुर महिलाएं हमारे ज़िन्दा होने की निशानी पेश कर रही हैं।

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