एक शब्द है ब्राह्मणवाद, जिसे सुनते ही हम सबके कान खड़े हो जाते हैं। हम कहने लगते हैं कि यह जातिगत टिप्पणी है। दरअसल, हम ब्राह्मणवाद और ब्राह्मण जाति के बीच अंतर स्पष्ट नहीं कर पा रहे हैं।
या यूं कहें कि करना चाहते नहीं, ताकि मूल मुद्दे को पीछे धकेल इसे सिर्फ एक जातिवादी टिप्पणी कहकर नकार दिया जाए। सवाल यह है कि क्या ब्राह्मणवाद का संबंध उन लोगों से है जो इस जाति से आते हैं? बिल्कुल नहीं।
ब्राह्मणवाद एक मानसिकता है, जिसके तहत किसी जाति विशेष के लोगों को उनकी जाति के आधार पर ही योग्य मान लिया जाए। वहीं, अन्य जाति के लोगों को उनकी जाति के आधार पर अयोग्य। ज़रूरी नहीं कि कोई ब्राह्मण ही ब्राह्मणवादी हो। ब्राह्मणवादी किसी भी वर्ग का वह व्यक्ति हो सकता है, जो जाति के आधार पर किसी को ऊंचा या नीचा मानता है।
यह कहना कि फलानी जगह पर ब्राह्मणवाद व्याप्त है, किसी ब्राह्मण पर टिप्पणी नहीं, बल्कि एक विशेष मानसिकता पर टिप्पणी है। आप उस टिप्पणी को यदि खुद पर हमला मानते हैं, तो साफ है कि दुर्भाग्यवश आप उसी मानसिकता से ग्रस्त हैं। अगर नहीं हैं, तो इस अंतर को समझिए। ब्राह्मणवाद का ब्राह्मण जाति के प्रत्येक व्यक्ति से कोई लेना देना नहीं है।
इसका संबंध मानसिकता से है। अगर कोई व्यक्ति ब्राह्मणवाद के विरोध की आड़ में किसी पर निजी हमले करता है, तो उस व्यक्ति का इंसानियत से कोई लेना देना नहीं है। असल में ब्राह्मणवाद का विरोध जातिवाद का विरोध है। हर उस व्यक्ति को इसके समर्थन में आना चाहिए, जो चाहता है कि लोगों को बराबरी के अवसर मिले।
अगर आप ब्राह्मणवाद के विरोध का ही विरोध करते हैं, तो इसका अर्थ है कि आप जाति व्यवस्था का समर्थन कर रहे हैं। जाति व्यवस्था का दंश झेलने वाले तबके को जब अपना सामाजिक स्तर सुधारने के लिए आरक्षण का लाभ मिलता है, तो आपको जाति से समस्या होती है।
इसके विपरीत जब इसी जाति व्यवस्था का विरोध होता है, तो आपको विरोध से दिक्कत होती है। क्या इससे स्पष्ट नहीं होता कि आप जाति के नाम पर मिलने वाला हर प्रिविलेज लेना चाहते हैं लेकिन जब इसका विरोध किया जाए, तो आप इसे निजी टिप्पणी बताकर विरोध को दबाना चाहते हैं।
अगर यह सच नहीं है, तो जाति का दंभ छोड़, समानता की लड़ाई लड़ने में समाज के उस तबके के साथ खड़े होइए जिसे उसकी जाति के आधार पर पीछे रखा गया है। आपको पांचवे माले से नीचे नहीं उतरना लेकिन उसे तो लिफ्ट में बैठने का मौका देना पड़ेगा साहब, जिसे अपाहिज करके बेसमेंट में छोड़ दिया गया है।