सीएए और एनआरसी को लेकर पूरे देश में लगातार विरोध जारी है। विरोध प्रदर्शन कर रहे लोगों के लगातार गिरफ्तार करने की भी खबरें मिल रही हैं। उत्तर प्रदेश में विरोध प्रदर्शन करने वाले अब तक 1113 लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं।
गिरफ्तार होने वाले लोगों में 68 लोग पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के भी शामिल हैं। 19 दिसंबर को बेनियाबाग में शांतिपूर्वक विरोध प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने इन लोगों को गिरफ्तार कर लिया। शाम तक पुलिस लाइन में रखने के बाद इन्हें ज़िले के जेल में भेज दिया गया।
बीएचयू स्टूडेंट्स और समाजसेवियों पर लगाई गई संगीन धाराएं
गिरफ्तार होने वाले लोगों की सूची में बीएचयू के स्टूडेंट्स, सोशल वर्कर्स, एक्टिविस्ट्स, शहर के कुछ बुद्धजीवी और वरिष्ठ नागरिक शामिल हैं। इनमें कुछ ऐसे भी लोग हैं जिनकी उम्र 70 साल से ज़्यादा है। इनमें 57 लोगों के खिलाफ आइपीसी की धारा 147, 148, 149, 188, 332, 353, 341 और आपराधिक कानून संशोधन अधिनियम की धारा 7 के तहत मुकदमा दर्ज़ कर लिया गया है।
मालूम हो कि बीएचयू के कुछ स्टूडेंट्स को मंगलवार को छोड़ दिया गया। हालांकि अब भी बीएचयू के 12 स्टूडेंट्स जेल में हैं जिसमें से तीन पीएचडी, आठ एमए और एक बीए के स्टूडेंट हैं।
आपको बता दें-
- धारा 147, 148, 149 दंगो के लिए लगाई जाती है, जिसमें 2 वर्ष की सज़ा और जुर्माना लगता है।
- इसके अलावा 188 दंगा कराने की प्रवृत्ति करने वालों के खिलाफ
- जानबूझकर लोगों को चोट पहुंचाने के लिए धारा 332
- डर का माहौल बनाने के लिए 353 और
- गलत तरीके से किसी व्यक्ति को रोकने के लिए धारा 341 लगाया जाता है।
इन धाराओं में जमानत भी हो जाती है। फिलहाल की स्थिति यह है कि जिन 56 लोगों के खिलाफ नामजद एफआइआर की गई थी, उनकी ज़मानत को सीजेएम की अदालत ने सोमवार को खारिज़ कर दिया है। अगली सुनवाई एक जनवरी 2020 को होनी है।
कौन हैं अनूप श्रमिक जिनकी गिरफ्तारी हुई?
अनूप श्रमिक, रिदम मंच के कार्यकर्ता हैं। अनूप लगातार बनारस के घाट, पर्यावरण, किसान, गरीब, मज़दूर को लेकर काम करते रहते हैं। अनूप श्रमिक आदिवासियों के लिए भी लगातार काम करते हैं।
19 दिसंबर को गिरफ्तार होने वाले लोगों में अनूप का नाम भी शामिल है। इनके ऊपर आइपीसी की धारा 147, 148, 149, 188, 332, 353, 341 और आपराधिक कानून संशोधन अधिनियम की धारा 7 के तहत केस दर्ज़ किया गया है।
वाराणसी के सामाजिक कार्यकर्ता धनंजय सिंह
वाराणसी के सामाजिक कार्यकर्ता की लिस्ट में प्रमुख रूप से शामिल धनंजय सिंह बीएचयू के आयुर्वेद विभाग से पीएचडी कर रहे हैं। धनंजय अपनी पढ़ाई के अलावा गरीब मज़दूर की लड़ाई भी लड़ते रहते हैं।
सामाजिक और आर्थिक रूप से कमज़ोर लोगों के लिए धनंजय हमेशा खड़े होते हैं। 19 दिसंबर को गिरफ्तार होने वाले लोगों में धनंजय का नाम भी शामिल है।
समाज सेवक संजीव सिंह
इलाहबाद यूनिवर्सिटी से पढ़ाई करने वाले संजीव सिंह एक वकील से ज़्यादा राजनेता हैं और उससे भी बेहतरीन समाज सेवक। हर तरह से बनारस और यहां के स्टूडेंट्स का साथ देते हैं।
19 दिसंबर को जब बेनियाबाग से शांतिपूर्ण तरीके से विरोध मार्च निकाला जा रहा था, तभी पुलिस ने इन्हें गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया। इनके ऊपर आइपीसी की धारा 147, 148, 149, 188, 332, 353, 341 और आपराधिक कानून संशोधन अधिनियम की धारा 7 के तहत केस दर्ज़ किया गया है।
कौन हैं दिवाकर सिंह?
दिवाकर बीएचयू IIT में रिसर्च स्कॉलर हैं। इनका अभी एक महीने का बच्चा है और पत्नी अभी कुछ दिनों पहले ही अस्पताल में मौत से लगभग जंग जीतकर घर वापस आई हैं। उनकी सेहत में सुधार हो रहा है लेकिन उन्हें अभी देखभाल की बहुत ज़रूरत है।
दिवाकर की पत्नी पिछले 6 महीने से बीमार हैं। वह अपनी पत्नी का खयाल तो रख ही रहे थे मगर देश और समाज के लिए सड़क पर भी बराबर नज़र आ रहे थे। एक आम इंसान जहां सरकार और पुलिस के पचड़े से बचना चाहता है, वहीं ये वे लोग हैं जो परिवार की नाज़ुक स्थितियों के बावजूद सड़क पर उतरकर गलत का विरोध कर रहे होते हैं।
रवि और एकता दंपति भी गिरफ्तार
गिरफ्तार होने वाले लोगों की सूची में रवि और एकता का नाम भी शामिल है। रवि और एकता पति पत्नी और एक्टिविस्ट हैं। दंपति सवा साल की बच्ची को छोड़कर 19 दिसंबर को नागरिकता कानून का विरोध करने गए। विरोध के दौरान उन्हें पहले हिरासत में लिया गया और बाद में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
तब से आज तक बच्ची को अपने माता-पिता का इंतज़ार है। आपको बता दें कि इनकी जमानत याचिका खारिज़ हो गई है। सेशन कोर्ट में अगली सुनवाई 01 जनवरी को है। गिरफ्तार लोगों के बारे में वाराणसी के पुलिस अधिकारी थाना चेतगंज सीओ अनिल कुमार बताते हैं,
इन लोगों पर जो धाराएं लगानी चाहिए थीं, वही धाराएं लगाई गई हैं। जब उनसे और ज़्यादा जानकारी लेने की कोशिश की गई तो उन्होंने अपनी व्यस्तता कहकर बात करने से मना कर दिया।
अखबार में फोटो छपवाकर लोगों को ढूंढती पुलिस
19 दिसंबर को वाराणसी के बेनियाबाग से जब प्रदर्शन कर रहे कुछ लोगों को पुलिस गिरफ्तार करती है, तो गिरफ्तार करने वाले लोगों को पुलिस पहले शाम तक सिविल लाइन में में रखती है। गिरफ्तारी के खिलाफ जब सिविल लाइन के बाहर लोग विरोध कर रहे थे, तब उसी समय पुलिस एक तस्वीर लेती है जिसे 20 दिसंबर के दिन अखबार में जारी करवाती है।
20 दिसम्बर की सुबह अखबार में जारी किए गए फोटो में लिखा हुआ है,
इन लोगों को जो व्यक्ति जहां भी देखें तुरंत पुलिस को सूचित करें। सूचित करने वाले को उचित इनाम दिया जाएगा।
पुलिस जानती है कि गिरफ्तार किए गए इन 69 लोगों में लगभग 20 तो बीएचयू के स्टूडेंट्स हैं। इन सबके बावजूद अखबार में छपी खबरों से पता चला कि पुलिस इन पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) लगाने पर विचार कर रही है।
बीएचयू प्रवक्ता राजेश सिंह ने कहा कि पुलिस ने गिरफ्तार किए गए लोगों की सूची साझा नहीं की है। उन्होंने कहा, “अगर किसी को किसी अन्य जगह पर कानून तोड़ने के लिए गिरफ्तार किया गया तो विश्वविद्यालय ज़्यादा कुछ नहीं कर सकता है।”
दूसरी तरफ एसएसपी प्रभाकर चौधरी ने कहा,
ना तो बीएचयू के स्टूडेंट्स को गिरफ्तार किया गया और ना ही हमने बीएचयू के अंदर से किसी को उठाया है। गिरफ्तार किए गए लोग मुख्य रूप से वाम मोर्चे के नेता थे। बीएचयू के कुछ पूर्व छात्र हो सकते हैं लेकिन विश्वविद्यालय परिसर से किसी को गिरफ्तार नहीं किया गया है।
बीएचयू के 51 प्रोफेसरों ने भी किया इस कानून का विरोध
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के 51 प्रोफेसरों ने संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) और प्रस्तावित राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के खिलाफ हस्ताक्षर अभियान चलाकर अपना विरोध जताया है।
सीएए और एनआरसी का विरोध कर रहे स्टूडेंट्स की गिरफ्तारी के बाद बीएचयू और उससे संबंधित 51 प्रोफेसरों ने यह अभियान चलाकर अपना विरोध जताया है।