ऑस्ट्रेलिया के न्यू साउथ वेल्स, क्वींसलैंड राज्य और अन्य इलाकों के जंगलों में अगस्त से आग लगी हुई है और वहां आग की कई ऐसी तस्वीरें व वीडियो वायरल हो रही हैं, जिन्हें देखकर शायद कई लोग अंदर से दहल जाएं।
जंगलों में आग लगने की घटना नई नहीं हैं, हर साल ऐसा होता है लेकिन मानवीय हरकतों के कारण हो रहे जलवायु परिवर्तन व बढ़ते तापमान की वजह से इस बार आग को लगे हुए 5 महीने बीत चुके हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ सिडनी के पर्यावरणविदों के मुताबिक, न्यू साउथ वेल्स में आग के कारण तकरीबन 50 करोड़ जानवर, पक्षी और सरीसृप मर चुके हैं और वास्तविक आंकड़ा इससे ज़्यादा भी हो सकता है।
रिपोर्ट्स के अनुसार,
न्यू साउथ वेल्स में अब भी 100 से अधिक एक्टिव फायर (जहां आग अब भी लगी हुई है) हैं। यह आग ऐसे समय में लगी है, जब ऑस्ट्रेलिया के कई शहरों में अधिकतम तापमान का रिकॉर्ड टूट गया है।
सरकार ने ऑस्ट्रेलिया के समुद्रतटों पर रह रहे लोगों के लिए बड़े पैमाने पर बचाव अभियान का आदेश दिया है और सरकार ने बचाव कार्य के लिए सेना के 3 जहाज भी तैनात कर दिए हैं।
ऐसा अनुमान है कि इस हफ्ते हीटवेव्स का तापमान 100 डिग्री सेल्सियस से भी अधिक हो सकता है। हज़ारों लोग समुद्र तटों पर यह सोचकर बैठे हैं कि इस वक्त अगर वे बच सकते हैं तो यही अंतिम उपाय है।
स्थानीय अग्निकर्मी (फायर फाइटर्स) लगातार आग को बुझाने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि आग भीषण रूप ना ले ले लेकिन यह कई जगह संभव नहीं हो पा रहा है। आग के भयानक रूप का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि कुछ जगह लपटों की ऊंचाई 200 फीट तक पहुंच चुकी है।
न्यू साउथ वेल्स और क्वींसलैंड राज्यों में कई जगह मोबाइल, बिजली और जल व्यवस्था पूरी तरह से ठप्प हो चुकी है। आग के कारण अब तक 1.2 करोड़ एकड़ जंगल नष्ट हो चुके हैं। आग की भयानकता का आलम यह है कि ऑस्ट्रेलिया के जंगलों में लगी आग से निकले धुएं के कारण न्यूज़ीलैंड के ग्लेशियर और आसमान भूरे रंग के हो गए हैं।
जंगलों में लगी आग ने अपना खुद का मौसम बना लिया है, जिसके कारण आग बुझाने में बहुत ज़्यादा समस्या आ रही है। आग लगने के कारण ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने अपनी भारत यात्रा रद्द कर दी है।
ऑस्ट्रेलिया में आग के कारण अब तक कार्बन डाइऑक्साइड का कितना उत्सर्जन हो चुका है?
द गार्डियन ऑस्ट्रेलिया के अनुसार, न्यू साउथ वेल्स और क्वींसलैंड में आग के कारण अगस्त से अब तक बहुत बड़ी मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन हो चुका है, जो 2018 में ऑस्ट्रेलिया के कुल ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन के तकरीबन आधे के बराबर है।
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के विश्लेषण के अनुसार,
इन दोनों राज्यों में आग के कारण 1 अगस्त से अब तक 25 करोड़ टन कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन हो चुका है, जबकि 2018 में ऑस्ट्रेलिया का ग्रीन हाउस गैसों का कुल उत्सर्जन 53.2 करोड़ टन था।
बतौर विश्लेषण, न्यू साउथ वेल्स में आग के कारण 1 अगस्त से अब तक 19.5 करोड़ टन कार्बन डाइऑक्साइड, जबकि क्वींसलैंड में 5.5 करोड़ टन कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन हो चुका है। ऑस्ट्रेलिया के पूर्व प्रधानमंत्री टोनी अबॉट ने इज़रायली रेडियो को दिए इंटरव्यू में कहा,
हम जलवायु परिवर्तन की गिरफ्त में हैं, जिसके कारण नीतियां बनेंगी और लोग स्वयं इसके प्रति जागरूक होंगे।
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सोर्स- dw.com, theguardian.com, reuters.com, theguardian.com,newsweek.com, theguardian.com, theguardian.com
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