“मैं जिस रंग के साथ जिस देश में पैदा हुई हूं, वहां मुझे खूबसूरत नहीं समझा जाता है। खूबसूरती की पारम्परिक परिभाषा में मैं खूबसूरत नहीं मानी जाती हूं लेकिन मैं चाहती हूं कि अब जब मैं अपने देश को लौटूं तो बच्चियां मुझे देखकर गर्व से भर जाएं। वे मुझमें अपना अक्स देखें और खुद को खूबसूरत महसूस कर सकें।”
जोजिबिनी ने मिस यूनिवर्स का खिताब जीतने के बाद उक्त बातें कहीं। इनकी तस्वीर को देखकर बहुत लोगों को हंसी आ गई होगी और बहुत से लोग ऐसे होंगे जिन्होंने ज्यूरी तक को मूर्ख कह दिया होगा।
कुछ लोग ऐसे भी होंगे जिन्हें यह ताना मारने में भी शर्म नहीं आई होगी कि आखिर इसमें ऐसा क्या देख लिया! मैंने सदैव कहा है कि सौंदर्य कभी गोरेपन की मोहताज नहीं होती है परन्तु हमारे यहां के वातावरण व समाज ने हमारी सोच को बहुत हद तक प्रभावित किया है। इसमें सिर्फ आप ही नहीं, बल्कि मैं स्वयं भी शामिल हूं जिसने सुंदरता का अर्थ रंग को माना है।
गोरा बनने के चक्कर में वर्षों वक्त गुज़ार देती हैं लड़कियां
मैंने बहुत से परिवार देखे हैं जहां बेटियों के विवाह इन रंग के कारण लंबे समय तक नहीं हो पाए हैं। रंग ने व्यक्ति के मस्तिष्क पर एक तरह अतिक्रमण कर रखा है। सुंदर दिखने की होड़ इस कदर है कि फेयर एंड लवली जैसी कंपनियां करोड़ों का कारोबार कर जाती हैं।
मुझे तो आज तक इन कॉस्मेटिक्स कंपनियों के प्रोडक्ट्स के प्रयोग से कोई गोरा होता दिखाई नहीं दिया है। हो सकता है आपको दिया हो परन्तु मैं एक भी ऐसे व्यक्ति से मुखातिब नहीं हो सका जो यह कह दे कि मैं अंग्रेज़ी बाबू बन गया हूं।
इन कंपनियों ने हमारे दिमाग पर इस तरह राज कर लिया है कि हम इनके आदी हो गए हैं। हमने खुद को बेहतर बनाने से अधिक इनके प्रयोग में अपना समय गंवाया है। मैं कभी कोई क्रीम नहीं लगाता हूं, केवल सर्दियों में कोल्ड क्रीम का प्रयोग कर लेता हूं परन्तु चेहरे को नया रूप देने के लिए इन कंपनियों का सहयोगी कभी नहीं बना।
माँ ने बचपन से ही बेटियों में यह बीज बो देने के तमाम प्रयास कर लिए होते हैं कि तुम काली हो, विवाह खोजने में बहुत दिक्कत होने वाली है। उसको गोरा करने में एक माँ बचपन से ही उसे वह सब झंझावट परोस देती हैं, जिनसे वह सारी उम्र निकल ही नहीं पाती। खुद को गोरा बनाने के चक्कर में वे काफी वक्त ज़ाया करती हैं। इसके बाद जो वक्त बचता है उसमें परिवार का पालन किया जाता है। हमने कभी उसे महिला बनने ही नहीं दिया है। हमने कभी उसे उड़ान भरने ही नहीं दी है। हमने कभी उसे वह स्वतंत्रता ही नहीं दी जिसकी उसे चाह थी।
उन चाह का उजाला बनकर आई है जोजिबिनी जिनकी तस्वीर यह बताने के लिए पर्याप्त है कि मुकाम पाने के लिए रूप-रंग का कोई महत्व नहीं है। महत्व रखता है तो वह है आपका व्यक्तित्व और आपका आचरण।
आइए हम और आप मिलकर जोजिबिनी से कुछ सीखते हैं।