एक बेहतर समाज के लिए एक योग्य लीडर की हमेशा से ज़रूरत होती है लेकिन हम अकसर लीडर उसे ही मान लेते हैं, जिनके पास दौलत हो, जिनके पास पहले से एक राजनीतिक पावर हो। जबकि असली लीडर कभी भी इन पैमानों पर निर्मित नहीं होता है।
समाज में लीडर और लीडर के चुनाव की इसी समस्या पर मुखिया रितु जायसवाल ने YKA Summit में अपनी बात रखी। उन्होंने समाज में एक बेहतर लीडर के चुनाव की ज़रूरत और हम किन्हें एक बेहतर लीडर माने इसके बारे में भी बातें की।
रितु जायसवाल ने 2016 में ग्राम पंचायत राज सिंगवाहिनी से मुखिया पद के लिए भारी मतों से चुनाव जीता था।
रितु ने देश के वर्तमान हालात पर बात करते हुए कहा कि देश की स्थिति इस समय काफी नाज़ुक चल चल रही है, ऐसे में एक बेहतर लीडर की ज़रूरत और भी बढ़ जाती है लेकिन आजकल के नेताओं का स्तर दिन प्रतिदिन गिरता ही जा रहा है। ऐसा नहीं है कि सब बेकार हैं लेकिन ज़्यादातरों की हालत ऐसी ही है।
एक अच्छा लीडर वही होता है, जो बड़े पद का लालच ना दिखाए बल्कि कोई भी पद रहते हुए ज़मीनी स्तर पर काम करे। एक समझदार लीडर को चुनने के वक्त हम लोग ज़्यादा ध्यान नहीं देते हैं, फिर बाद में पछताते हैं कि हमने उसी लीडर के हाथ में अपने विकास की चाभी दे दी है।
रितु ने चुनाव जीतने के बाद ज़मीनी स्तर पर काफी काम किया है। उन्होंने शिक्षा केंद्रों की स्थापना, खुले में शौच की समस्या से निपटने के लिए शौचालयों के निर्माण, सोलर लाइट्स लगाने, पानी की उपलब्धता और सड़कों के निर्माण की दिशा में खासा काम करते हुए गॉंव में बड़ा बदलाव लाया है।
इसके साथ ही वह स्थानीय निवासियों के साथ जागरूकता को लेकर लगातार काम कर रही हैं। इस दिशा में उन्होंने मेंस्ट्रुअल हेल्थ, बायोगैस प्रबंधन और व्यावसायिक प्रशिक्षण जैसे ज़रूरी क्षेत्रों के लिए जागरूकता अभियान चलाए हैं।
सिर्फ रुतबे वाले और संसाधन संपन्न ही नहीं होते हैं बेहतर लीडर
रितु ने आगे अपनी बात रखते हुए कहा कि एक अच्छा लीडर सिर्फ बड़े पद वाले, या फिर मंत्रालय संभालने वाले लोग ही नहीं, बल्कि समाज के वो लोग भी एक अच्छे लीडर होते हैं, जो किसी-ना-किसी तरीके से समाज को कुछ वापस लौटा रहे हैं या फिर उसमें योगदान कर रहे हैं। उदाहरण के लिए, सफाई करने वाला या फिर एक गाड़ी चलाने वाला भी एक रियल हीरो है।
युवाओं की राजनीतिक पसंद
युवाओं की राजनीति में च्वाइस की बात पर रितु ने कहा कि आज के समय में अगर कोई युवा राजनीति में आना चाहता है तो वह सीधे एमपी, एमएल बनने का ही सोचता है। शायद ही कोई मुखिया, वार्ड काउंसलर बनने के बारे में सोचता है। कोई भी गॉंव की समस्याओं को नहीं समझना चाहता है, कोई भी समस्या की जड़ तक नहीं जाना चाहता है।
भारत में ऐसे कई गॉंव हैं, जहां पर अच्छी सड़कें, इंटरनेट और कई ऐसी मूलभूत चीज़ें भी नहीं हैं, उनके लिए कोई सामने नहीं आ रहा है। ऐसे समय में एक ऐसे लीडर की ज़रूरत बढ़ जाती है, जो इन सारी मुश्किलों को हल कर सके। समाज में बेहतर बदलाव के लिए, विकास के लिए गॉंवों और छोटे इलाकों से शुरुआत होनी चाहिए।