हम अपने निजी स्वार्थ की वजह से हर रोज़ धड़ल्ले से पेड़ों की कटाई कर रहे हैं। लिहाज़ा पेड़ों के कटने और तेज़ी से तबाह होते जंगलों के कारण आज ग्लोबल वॉर्मिंग बढ़ रही है और बढ़ती ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह से मौसम में अजीबो-गरीब परिवर्तन देखने को मिल रहे हैं।
ऐसी परिस्थिति में कुछ युवा ऐसे भी हैं, जिन्होंने अपना जीवन ही पर्यावरण संरक्षण के नाम कर दिया है। इस सूची में 16 साल की गुरुग्राम के वीर ओजस भी हैं।
जिस उम्र में बच्चे अपने शौक पूरा करने के लिए अपने माता-पिता से ज़िद करते हैं, उस उम्र में वीर ने अपनी बहन मान्या के साथ मिलकर क्लाइमेट एक्शन गुड़गॉंव (Climate Action Gurgaon Group) बनाया है, जिसके ज़रिए उन्होंने भारत के अब तक के सबसे बड़े बच्चों के आंदोलन (Children Protest) का आयोजन किया और अरावली रेंज को बचाने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं।
दिल्ली के डॉ आंबेडकर इंटरनैशनल सेंटर में आयोजित Youth Ki Awaaz Summit में वीर ने अपनी इस मुहिम के बारे में विस्तार से बात की। उन्होंने इवेंट में मौजूद लोगों से सवाल किया कि क्या आपको अपनी और अपनी आने वाली पीढ़ी के भविष्य की चिंता है? अगर है तो आप मेरी बातों को ध्यान से सुनें। वायु प्रदूषण जिसका आप हर रोज़ सामना कर रहे हैं, वह इतनी आसानी से खत्म नहीं होने वाला है, इसके लिए आपको कड़ी मशक्कत करनी होगी। क्लाइमेट चेंज एक सच्चाई है और यह पूरे विश्व के लिए चिंता का विषय है।
इस क्रम में उन्होंने अरावली रेंज पर अपनी चिंता जताई
उन्होंने बताया,
विश्व की सबसे पुरानी अरावली रेंज खतरे में है और इसे बचाने की ज़रूरत है। भारत में हरियाणा के पास सबसे कम (3.59%) जंगल क्षेत्र हैं। यह आंकड़ा डराने वाला है। 3.59% जंगल क्षेत्र हरियाणा के शिवालिक और अरावली में सीमित हैं।
अरावली को बचाना क्यों ज़रूरी है?
अरावली की ज़रूरत पर बात करते हुए वीर ने बताया कि नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली और उसके आसपास के क्षेत्र का ग्राउंड वॉटर खत्म हो जाएगा? अरावली दिल्ली-गुड़गाँव के वॉटर रिचार्जिंग का कम करता है। अरावली के बिना आपके घरों के नल सुख जाएंगे।
अरावली ऑक्सीजन और तापमान पर नियंत्रण के लिए ज़रूरी है। अरावली नॉर्थ-साउथ बैरियर की तरह काम करता है, जो मरुस्थल से आने वाली धूल को रोकता है।
अरावली को बर्बाद करके हम एक बायोडायवर्सिटी हॉटस्पॉट खो देंगे, इसके साथ ही 100 से ज़्यादा पेड़ों की प्रजातियां, 200 से ज़्यादा पक्षियों की प्रजातियां और 100 से ज़्यादा तितलियों की प्रजातियां खत्म हो जाएंगी। इसके लिए दो चीज़ें ज़िम्मेदार हैं- PLPA (पंजाब लैंड प्रिज़र्वेशन अमेंडमेंट एक्ट) और PLPA नोटिफिकेशन।
क्या है PLPA?
हरियाणा के एक तिहाई जंगलों को चिन्हित करके 74000 हज़ार एकड़ में फैले जंगलों को माइनिंग, कंस्ट्रक्शन से बचाने के लिए इसे लाया गया था। PLPA नोटिफिकेशन सरकार को 15-30 साल के लिए रिन्यू करना होता है पर हरियाणा सरकार ने 2002 से PLPA नोटिफिकेशन को रिन्यू नहीं किया है। आज की तारीख में 130 में से 115 PLPA नोटिफिकेशन एक्सपायर हो चुके हैं। अरावली जंगल को रियल एस्टेट, प्राइवेट कंपनी के द्वारा गलत तरीके से एक्सप्लॉइट किया जा रहा है।
कैसी हुई क्लाइमेट एक्शन गुडगाँव की शुरुआत
वीर ने इस बारे में बताते हुए कहा कि ग्रेटा थनबर्ग के फ्राइडे फॉर फ्यूचर से प्रभावित होकर मैंने और मेरी बहन ने क्लाइमेट एक्शन गुडगाँव ग्रुप बनाया और अरावली को बचाने की मुहिम चलाई। हमने सोशल मीडिया कैंपेन चलाया, सड़कों पर उतरे और लोगों को जंगलों से जोड़ने का कम किया। मैं चाहूंगा कि आप अपनी आवाज़ क्लाइमेट चेंज के लिए बुलंद करें और हमारे भविष्य को बचाने में मदद करें।