नागरिकता कानून को लेकर विरोध प्रदर्शनों का मुद्दा पिछले कुछ दिनों से गरमाया हुआ है, देशभर में इसके खिलाफ आंदोलन हो रहे हैं। इन सबके बीच ABVP के दिल्ली राज्य सचिव सिद्धार्थ ने यह माना है कि इस बिल (CAA) को लेकर सरकार की तैयारी कम थी।
उन्होंने इस बारे में अपनी बात रखते हुए कहा,
मैं अपना पक्ष रखूं तो यह स्वीकार करना चाहता हूं कि इस बिल (CAA) को लेकर सरकार की तैयारी कम थी। सरकार को पूरी तैयारी के साथ इस बिल को लाना चाहिए था। उस तैयारी में सबसे ज़्यादा समाज में सूचनाओं का अभाव है। उन पर बात पहले होनी चाहिए थी।
सिद्धार्थ ने यह बात दिल्ली के अंबेडकर इंटरनैशनल सेंटर में चल रहे Youth Ki Awaaz Summit में नागरिकता कानून का मुद्दा उठाए जाने पर कही। सिद्धार्थ पर्सलन लिबर्टी और फ्रीडम पर आयोजित किए गए पैनल डिसक्शन में अपनी बात रख रहे थे।
इस पैनल डिसक्शन में सिद्धार्थ के साथ ही Femme First Foundation की फाउंडर एंजेलिका अरिबम, The Queer India Muslim Project के संस्थापक और सामाजिक कार्यकर्ता रफिउल रहमान और मानवाधिकार एडवोकेट श्रेया भी मौजूद थी।
सिद्धार्थ यादव ने जामिया मिलिया विश्वविद्यालय में CAA को लेकर हो रहे आंदोलन पर अपना मत रखते हुए कहा,
जामिया की एक घटना को लेकर स्टूडेंट्स के साथ एक मूवमेंट बनाया जाता है। जिस विश्वविद्यालय में चार हज़ार विद्यार्थी हो और उनका रजिस्ट्रार कहता हो कि बड़ी संख्या में विद्यार्थी अंदर फंसे थे। लोग पत्थर चलाते हैं और अवसर पाकर अंदर घुस जाते हैं, बस जल जाती है और जामिया नगर के लोग विश्वविद्यालय के अंदर घुस जाते हैं। ये विद्यार्थियों का आंदोलन नहीं है, आंदोलन ऐसे नहीं होते हैं।
ट्रांस और क्वीयर लोगों को NRC से बाहर रखा गया है-
असम से ताल्लुक रखने वाले रफिउल रहमान ने NRC पर अपना पक्ष रखते हुए कहा,
मैं खुद एक बंगाली बोलने वाले मुस्लिम परिवार से आता हूं। मैंने देखा है कि एक पूरे समुदाय के लोगों को संदेह के घेरे में रखा जाता है। नाम और पते में साधारण गलतियों के बाद भी लोगों को डिटेंशन कैंपों में डाला गया।
उन्होंने इसकी वजह से ट्रांस और क्वीयर समुदाय को होने वाली परेशानी पर अपनी बात रखते हुए कहा,
2000 से अधिक ट्रांसजेंडर्स को NRC से बाहर कर दिया गया है। उनके लिए कोई ऑप्शन नहीं रखा गया है। ट्रांस और क्वीयर लोगों के लिए यह संभव नहीं कि वे अपने परिवार वालों से अपने डॉक्यूमेंट्स ले सकें, जिसे वे 15 साल पहले छोड़ आए थे।
पूरे विश्व में भारत इंटरनेट बंद के मामले पर पहले पायदान पर है
एडवोकेट श्रेया ने भी दिल्ली में हो रहे नागरिकता कानून के विरोध प्रदर्शन के बारे में बात करते हुए कहा,
राइट विंग के लोग गॉंधी और अंबेडकर को तभी याद करते हैं, जब उनको ज़रूरत होती है।
उन्होंने देश के कई राज्यों में विरोध प्रदर्शन से उत्पन्न हुई हिंसा से कारण किए गए इंटरनेट बंद को लेकर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा,
पूरे विश्व में भारत इंटरनेट बंद के मामले पर पहले पायदान पर है। कश्मीर को 138 दिनों तक बंद रखा गया। यह इस साल का दुनियाभर का सबसे बड़ा बंद था।
2 दिन पहले उन्होंने गुवाहाटी उच्च न्यायालय के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि कोर्ट ने असम सरकार को निर्देश दिया कि इंटरनेट व्यवस्था शाम 5 बजे से पहले तक बहाल करे। आज तक किसी किसी उच्च न्यायालय ने किसी राज्य सरकार को ऐसे निर्देश नहीं दिए थे।
लोग अभिव्यक्ति की आज़ादी की बात तभी करते हैं, जब उनको ज़रूरत पड़ती है
फेमे फर्स्ट (Femme First) की संस्थापक एंजिलिका ने रामजस कॉलेज की घटना का ज़िक्र करते हुए कई सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि संघ परिवार से जुड़े लोग अभिव्यक्ति की आज़ादी की बात तब ही करते हैं, जब उनको ज़रूरत पड़ती है। जब दूसरों की अभिव्यक्ति की आज़ादी की बात की जाती है, तो इनका मकसद उन्हें मारपीट कर भगा देना होता है।
उन्होंने अपने फाउंडेशन Femme First के बारे में विस्तार से बात करते हुए कहा कि हमारा समाज महिला सशक्तिकरण और महिला सुरक्षा के बारे में बात करता है लेकिन महिलाओं की राजनीति में भागीदारी की बात नहीं करता। हम इस फाउंडेशन के माध्यम से देश के विभिन्न दलों से जुड़ी महिला सांसदों की कहानियों और उनसे जुड़े संघर्षों को मुख्यधारा में लाकर महिलाओं को राजनीति में आने के लिए प्रेरित करते हैं।
CAA को लागू करना कितना उचित है?
ऑडियंस में मौजूद एक महिला ने सिद्धार्थ से CAA के संबंध में एक सवाल पूछा,
GDP निरंतर गिर रही है, गरीबी रेखा सूचकांक में हम निरंतर बढ़ते जा रहे हैं और ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भी हमारी स्थिति संतोषजनक नहीं है, तो इन हालातों में CAA को लागू करना कितना उचित है? जब हमारे लिए ही रोज़गार नहीं है, तो बाहर से जो लोग आएंगे उनको रोज़गार कैसे मिलेगा?
इस प्रश्न का उत्तर देते हुए सिद्धार्थ ने कहा,
अच्छा हुआ Youth Ki Awaaz Summit प्लैटफॉर्म पर इस विषय को उठाया गया। मैं आपको स्पष्ट कर दूं कि जिनको नागरिकता दी जा रही है, वे पाकिस्तान से नहीं आ रहे हैं, वे हमारे बीच के लोग हैं, जो नौकरी कर रहे होंगे।
उन्होंने यह यह भी कहा कि देश में अराजकता जो भी फैला रहा है, वे तो ज़िम्मेदार हैं ही, देश के अलग-अलग राज्यों में जो सरकार हैं इस दिशा में उनकी भी ज़िम्मेदारी होनी चाहिए। जब आप CAA को पढ़ेंगे, तो आप पाएंगे कि इस विधेयक में कहीं भी NRC का उल्लेख नहीं है।
प्रोटेस्ट का एक तरीका होता है, हमने भी भूख हड़ताल की है परन्तु यह आंदोलन का कौन सा तरीका है कि हम किसी के नाम की आड़ में जाते हैं और पब्लिक प्रॉपर्टी को जला देते हैं। पूरे शहर के शहर जलाए जा रहे हैं, फिर हम आकर कहते हैं कि वह वाला सेक्शन हम पर थोपा जा रहा है। जिसने भी देश को जलाया है, वह सही नहीं है।